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बिना शौचालय ही गांव को कर दिया ODF घोषित, ग्रामीणों को न लगे भनक इसलिए जंगल में लगाया बोर्ड - शौचालय निर्माण में गड़बड़ी

गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के जैरागी गांव में आधे-अधूरे शौचालय का निर्माण कराकर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, साथ ही इसका बोर्ड गांव से दूर जंगल में लगाया गया है, ताकि किसी भी ग्रामीण को भनक न लगे.

अधूरा बना शौचालय
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Published : Oct 9, 2019, 7:52 PM IST

गुमला: जिले स्वच्छ भारत मिशन को एक मजाक बनाकर रख दिया गया है. इस जिला में स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग बगैर शौचालय निर्माण के गांव को ओडीएफ घोषित कर रहा है और ओडीएफ घोषित करने के बाद इसे उपलब्धि के तौर पर सरकार को रिपोर्ट भेजी जा रही है.

देखें पूरी खबर

आधा-अधूरा निर्माण
बता दें कि गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के बामदा पंचायत के अंतर्गत आने वाले जैरागी गांव में 60 लाभुकों के लिए शौचालय बनाया जाना था. पर बिचौलियों और विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से इस गांव के करीब 10 से 12 लाभुकों के लिए शौचालय तो बनाया गया मगर वह आधे अधूरे हैं. जिसका लाभुक जलावन की लकड़ी रखने के लिए उपयोग कर रहे हैं. जबकि 40 से अधिक लाभुकों का शौचालय का निर्माण शुरू ही नहीं कराया गया है.

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जंगल में लगा दिया ओडीएफ का बोर्ड
गांव में शौचालय नहीं होने के बावजूद एक साल पहले ही इसे ओडीएफ घोषित कर दिया गया. यही नहीं गांव में रहने वाले लाभुकों को भ्रष्टाचार का पता न चले इसके लिए बिचौलियों और अधिकारियों ने ओडीएफ का साइन बोर्ड को गांव से करीब 5 से 7 किलोमीटर दूर बीच जंगल में लगा दिया.

60 से 65 लोगों के लिए शौचालय का निर्माण होना था
ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में एक साल पहले 60 से 65 लोगों के लिए शौचालय का निर्माण कराया जाना था. जिसमें 10 से 15 लोगों का शौचालय का निर्माण शुरू किया गया लेकिन उसे भी अधूरा कर छोड़ दिया गया. वे लाभुक हैं और उनका भी शौचालय बनना था. जिसके लिए उन्होंने नींव की खुदाई तक कर ली थी, लेकिन आज तक पंचायत के सदस्य, मुखिया और सरकारी बाबू ने शौचालय नहीं बनवाया.

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शौचालय का निर्माण अधूरा
वहीं, प्रखंड समन्वयक का कहना है कि चैनपुर प्रखंड के जैरागी गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा है. अभी उस पर भुगतान नहीं किया गया है. मगर जब उनसे पूछा गया कि अधूरे शौचालय निर्माण शुरू भी नहीं है किया गया है, ऐसे में उस गांव को ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया? तो उनका कहना था कि सर्वेक्षण को लेकर 2018 में अक्टूबर महीने में ही ओडीएफ की घोषणा की गई है. जंगल में बोर्ड लगाए जाने के संबंध में उनका कहना है कि गांव की सीमा क्षेत्र जहां शुरू होती है वहीं बोर्ड लगाया जाता है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: राजमहल विधायक ने गिनाई उपलब्थियां, विपक्ष ने कहा-नहीं किया काम

जल्द काम होगा पूरा
कार्यपालक अभियंता से जब पूछा गया कि बोर्ड तो गांव में लगनी चाहिए जंगल में क्यों लगाई गई, तो उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला स्तर के लोग ही बता पाएंगे. इस मामले पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से इस बात की जानकारी मिली है. जल्द ही अधूरे शौचालयों को बनवा दिया जाएगा.

गुमला: जिले स्वच्छ भारत मिशन को एक मजाक बनाकर रख दिया गया है. इस जिला में स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग बगैर शौचालय निर्माण के गांव को ओडीएफ घोषित कर रहा है और ओडीएफ घोषित करने के बाद इसे उपलब्धि के तौर पर सरकार को रिपोर्ट भेजी जा रही है.

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आधा-अधूरा निर्माण
बता दें कि गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के बामदा पंचायत के अंतर्गत आने वाले जैरागी गांव में 60 लाभुकों के लिए शौचालय बनाया जाना था. पर बिचौलियों और विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से इस गांव के करीब 10 से 12 लाभुकों के लिए शौचालय तो बनाया गया मगर वह आधे अधूरे हैं. जिसका लाभुक जलावन की लकड़ी रखने के लिए उपयोग कर रहे हैं. जबकि 40 से अधिक लाभुकों का शौचालय का निर्माण शुरू ही नहीं कराया गया है.

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जंगल में लगा दिया ओडीएफ का बोर्ड
गांव में शौचालय नहीं होने के बावजूद एक साल पहले ही इसे ओडीएफ घोषित कर दिया गया. यही नहीं गांव में रहने वाले लाभुकों को भ्रष्टाचार का पता न चले इसके लिए बिचौलियों और अधिकारियों ने ओडीएफ का साइन बोर्ड को गांव से करीब 5 से 7 किलोमीटर दूर बीच जंगल में लगा दिया.

60 से 65 लोगों के लिए शौचालय का निर्माण होना था
ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में एक साल पहले 60 से 65 लोगों के लिए शौचालय का निर्माण कराया जाना था. जिसमें 10 से 15 लोगों का शौचालय का निर्माण शुरू किया गया लेकिन उसे भी अधूरा कर छोड़ दिया गया. वे लाभुक हैं और उनका भी शौचालय बनना था. जिसके लिए उन्होंने नींव की खुदाई तक कर ली थी, लेकिन आज तक पंचायत के सदस्य, मुखिया और सरकारी बाबू ने शौचालय नहीं बनवाया.

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शौचालय का निर्माण अधूरा
वहीं, प्रखंड समन्वयक का कहना है कि चैनपुर प्रखंड के जैरागी गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा है. अभी उस पर भुगतान नहीं किया गया है. मगर जब उनसे पूछा गया कि अधूरे शौचालय निर्माण शुरू भी नहीं है किया गया है, ऐसे में उस गांव को ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया? तो उनका कहना था कि सर्वेक्षण को लेकर 2018 में अक्टूबर महीने में ही ओडीएफ की घोषणा की गई है. जंगल में बोर्ड लगाए जाने के संबंध में उनका कहना है कि गांव की सीमा क्षेत्र जहां शुरू होती है वहीं बोर्ड लगाया जाता है.

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जल्द काम होगा पूरा
कार्यपालक अभियंता से जब पूछा गया कि बोर्ड तो गांव में लगनी चाहिए जंगल में क्यों लगाई गई, तो उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला स्तर के लोग ही बता पाएंगे. इस मामले पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि ईटीवी भारत के माध्यम से इस बात की जानकारी मिली है. जल्द ही अधूरे शौचालयों को बनवा दिया जाएगा.

Intro:गुमला : गुमला जिला में स्वच्छ भारत मिशन को एक मजाक बनाकर रख दिया गया है । इस जिला में स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के द्वारा बगैर शौचालय निर्माण के गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया जा रहा है और ओडीएफ घोषित करने के बाद इसे उपलब्धि के तौर पर सरकार को रिपोर्ट भेजी जा रही है ।


Body:मगर आपको बता दें कि गुमला जिला के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के बामदा पंचायत के अंतर्गत आने वाले जैरागी गांव में 60 लाभुकों के लिए शौचालय बनाया जाना था । पर बिचौलियों और विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से इस गांव के करीब 10 से 12 लाभुकों के लिए शौचालय तो बनाया गया मगर वह भी आधे अधूरे हैं । जिसको लाभुक जलावन की लकड़ी रखने के लिए उपयोग कर रहे हैं । जबकि 40 से अधिक लाभुकों का शौचालय का निर्माण शुरू ही नहीं कराया गया है । बावजूद इसके एक साल पहले ही गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया । यही नहीं गांव में रहने वाले लाभुकों को भ्रष्टाचार का पता न चले इसके लिए बिचौलियों और अधिकारियों ने ओडीएफ का साइन बोर्ड को गांव से करीब 5 से 7 किलोमीटर दूर बीच जंगल में लगा दिया जहां जंगली जानवर विचरण करते हैं ।


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि हमारे गांव में एक साल पहले 60 से 65 लोगों का शौचालय का निर्माण कराया जाना था । जिसमें 10 से 15 लोगों का शौचालय का निर्माण शुरू किया गया लेकिन उसे भी अधूरा कर छोड़ दिया गया । हम लोग लाभुक है और हमारा भी शौचालय बनना था जिसके लिए हमने नींव की खुदाई कर दिया था । लेकिन आज तक पानी पंचायत के सदस्य ,मुखिया और सरकारी बाबू ने शौचालय नहीं बनाया ।
वहीं प्रखंड समन्वयक का कहना है कि चैनपुर प्रखंड के जैरागी गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा है अभी उस पर भुगतान नहीं किया गया है । मगर जब उनसे पूछा गया कि अधूरे शौचालय निर्माण और कई लोगों का भी काम शुरू भी नहीं है किया गया है ऐसे में उस गांव को ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया तो उनका कहना था कि सर्वेक्षण को लेकर 2018 में अक्टूबर महीने में ही ओडीएफ की घोषणा की गई है । जंगल में वोट लगाए जाने के संबंध में उनका कहना है कि गांव का सीमा क्षेत्र यहां से शुरू होता है इसलिए बोर्ड को यहां लगाया गया मगर जब उनसे पूछा गया की बोर्ड तो गांव में लगनी चाहिए जंगल में क्यों लगाई गई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला स्तर के लोग ही बता पाएंगे ।
वहीं इस मामले पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि आपके माध्यम से मुझे इस बात की जानकारी मिली है । मैं अगले एक सप्ताह के अंदर ही अधूरे शौचालय को पूर्ण कराऊंगा ।

बाईट : 1: बंधन मुंडा ( ग्रामीण )
बाईट : 2 : बिरेन्द्र यादव ( प्रखण्ड समन्वयक ,चैनपुर )
बाईट : 3 : चन्दन कुमार ( कार्यपालक अभियंता , पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ,गुमला )
पीटूसी : नरेश कुमार
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