ETV Bharat / state

महिषासुर के वध पर संथाल के आदिवासी समाज ने जताया दुख, मां दुर्गा से पूछा- बताओ...बताओ... मेरा इष्ट कहां है

author img

By

Published : Oct 15, 2021, 8:10 PM IST

झारखंड में संथाल आदिवासी विजयादशमी के दिन गम में रहते हैं, क्योंकि वो महिषासुर को अपना इष्ट मानते हैं. जिनका विजयदशमी के दिन मां दुर्गा वध कर देती हैं. इसी कारण से विजयादशमी का दिन संथाल परगना के ज्यादातर पूजा पंडालों में संथाल आदिवासी महिषासुर की तलाश में आते हैं और मां दुर्गा से सवाल करते हैं.

ETV Bharat
विजयादशमी

गोड्डा: विजयादशमी के मौके पर हर तरफ उत्साह का माहौल है. लेकिन झारखंड में संथाल आदिवासी इस मौके पर गम में रहते हैं, क्योंकि वो महिषासुर को अपना इष्ट मानते हैं. जिनका विजयदशमी के दिन शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा वध कर देती हैं. इसी कारण से विजयादशमी का दिन संथाल परगना के ज्यादातर पूजा पंडालों में संथाल आदिवासी महिषासुर की तलाश में आते हैं और मां दुर्गा से सवाल करते हैं कि उनका राजा महिषासुर कहां है. वे महिषासुर का नाम भी महिषा सोरेन बताते हैं.

इसे भी पढे़ं: मूर्ति विसर्जन करने का अनोखा तरीका, यहां मंदिर परिसर में ही कृत्रिम जलाशय बनाकर मां दुर्गा को किया जाता है विसर्जित


गोड्डा के प्राचीनतम मेले में से एक बलबड्डा दुर्गा मेला में हजारों की संख्या में आदिवासी झूमते-नाचते-गाते पहुंचते हैं और पारंपरिक अस्त्र शस्त्र की कलाबाजी दिखाते हैं. माता के दरबार में जाकर पूछते हैं 'बताओ बताओ मेरा महिषा कहां है'. इस दौरान उन्हें स्थानीय लोगों की ओर से रोका जाता है और उन्हें समझा बुझाकर जल, प्रसाद देकर वापस भेजा जाता है.

देखें पूरी खबर

सालों से चल रही ये परंपरा

गोड्डा के बलबड्डा, महगामा, बरकोप जैसे प्राचीनतम दुर्गा स्थानों में ये परंपरा सालों से चल रही है. आदिवासियों की आस्था आज भी महिषासुर से जुड़ी है.

गोड्डा: विजयादशमी के मौके पर हर तरफ उत्साह का माहौल है. लेकिन झारखंड में संथाल आदिवासी इस मौके पर गम में रहते हैं, क्योंकि वो महिषासुर को अपना इष्ट मानते हैं. जिनका विजयदशमी के दिन शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा वध कर देती हैं. इसी कारण से विजयादशमी का दिन संथाल परगना के ज्यादातर पूजा पंडालों में संथाल आदिवासी महिषासुर की तलाश में आते हैं और मां दुर्गा से सवाल करते हैं कि उनका राजा महिषासुर कहां है. वे महिषासुर का नाम भी महिषा सोरेन बताते हैं.

इसे भी पढे़ं: मूर्ति विसर्जन करने का अनोखा तरीका, यहां मंदिर परिसर में ही कृत्रिम जलाशय बनाकर मां दुर्गा को किया जाता है विसर्जित


गोड्डा के प्राचीनतम मेले में से एक बलबड्डा दुर्गा मेला में हजारों की संख्या में आदिवासी झूमते-नाचते-गाते पहुंचते हैं और पारंपरिक अस्त्र शस्त्र की कलाबाजी दिखाते हैं. माता के दरबार में जाकर पूछते हैं 'बताओ बताओ मेरा महिषा कहां है'. इस दौरान उन्हें स्थानीय लोगों की ओर से रोका जाता है और उन्हें समझा बुझाकर जल, प्रसाद देकर वापस भेजा जाता है.

देखें पूरी खबर

सालों से चल रही ये परंपरा

गोड्डा के बलबड्डा, महगामा, बरकोप जैसे प्राचीनतम दुर्गा स्थानों में ये परंपरा सालों से चल रही है. आदिवासियों की आस्था आज भी महिषासुर से जुड़ी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.