गोड्डा: सोमवार को झारखंड विकास मोर्चा (Jharkhand Vikas Morcha) का झंडा कांग्रेस विधायक दल के नेता और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम (Rural Development Minister Alamgir Alam) के स्वागत में लहराया गया. सैकड़ों कार्यकर्ताओं के हाथ में झारखंड विकास मोर्चा के कंघी छाप वाला झंडा हाथ में था, मंत्री भी ये सब देखकर भौचक्के थे.
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ये तो सबको पता है कि झाविमो का विधानसभा चुनाव परिणाम के ठीक कुछ दिन बाद नाटकीय ढंग से दो भागों में बंटने के बाद प्रदीप यादव और बंधु तिर्की वाले गुट ने जेवीएम के विलय की कांग्रेस में घोषणा कर दी तो बाबूलाल मरांडी ने पार्टी के विलय का कांग्रेस में दावा किया. बताते चलें कि ये तीन विधायक झाविमो के चुनाव चिन्ह कंघी छाप वाले झंडे के सहारे जीत कर आए थे. अभी-भी विलय का मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है. बीजेपी ने तो बाबूलाल मरांडी को नेता विधायक दल और प्रतिपक्ष भी घोषित कर रखा है, तो प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस का झंडा ढो रहे हैं.
क्या है जेवीएम के झंडे की क्रोनोलॉजी?
गोड्डा में मंत्री आलमगीर के स्वागत में झाविमो के झंडे लहराने की क्रोनोलॉजी कुछ अलग ही इशारे कर रही है. कांग्रेस में प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को आज तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है और ना ही पार्टी स्तर पर उन्हें संगठन या अन्य स्तर पर लगाया गया है. जबकि बाबूलाल मरांडी को बीजेपी ने ज्यादा तवज्जो के साथ नेता प्रतिपक्ष भी घोषित कर रखा है और कई मौकों पर उन्हें पार्टी स्टैंड को रखने की इजाजत देती है. ऐसे में बड़े नेता के सामने दवाब बनाने की रणनीति झाविमो के झंडे का प्रदर्शन हो सकता है.
भले ही झाविमो के पूर्व नेता ये बताते हों कि ये सिर्फ प्रभारी मंत्री को पुराने वजूद को दिखाने की कोशिश है, समझ से परे है और साथ ही बिना प्रदीप यादव की सहमति से झाविमो का जिन्न फिर से निकला हो. वहीं पूरे मसले पर मंत्री आलमगीर आलम ने झेंपते हुए कहा कि मंत्री पार्टी का नहीं, सबका होता है. इसलिए कोई भी स्वागत कर सकता है, पर इतना तो उन्हें भी पता है ही कि झाविमो का झंडा अचानक निकलने की टाइमिंग के पीछे कुछ तो बात है.