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कारगिल युद्ध में गोड्डा के वीरेंद्र महतो ने दिखाया था शौर्य, 18 साल बाद मिली शहीद की मां को आवंटित जमीन - ETV Jharkhand

गोड्डा के पांडुबथान गांव के शहीद वीरेंद्र महतो की मां को सालों पहले आंवटित की गई जमीन अब जा कर सौंपी गई. कारगिल युद्ध में शौर्य का परिचय देने वाले गोड्डा के जांबाज बाद में एक विस्फोट में शहीद हो गए थे. करीब 18 साल पहले शहीद की मां के नाम जमीन आंवटित की गई थी, जो अब तक फाइलों में दबी थी.

Godda Martyred Virendra Mahto mother got allotted land
Godda Martyred Virendra Mahto mother got allotted land
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Published : Jun 25, 2022, 9:32 AM IST

Updated : Jun 25, 2022, 9:30 PM IST

गोड्डा: झारखंड सरकार के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कारगिल युद्ध में शौर्य का परिचय देने और बाद में शहीद हो जाने वाले वीरेंद्र महतो की मां को एक समारोह में पांच एकड़ जमीन का पट्टा सौंपा. इस दौरान उन्होंने कहा कि घोषणा के बावजूद पिछले 18 सालों से शहीद की मां को उनका अधिकार नहीं मिल रहा था. ऐसे में ये उनके लिए ये खुशी का क्षण की शहीद की मां की सालों पुरानी लंबित घोषणा को वे पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि शहीद कभी मरते नहीं वो अमर होते हैं.

इसे भी पढ़ें: गलवान में शहीद गणेश हांसदा को किया गया याद, श्रद्धासुमन अर्पित कर कुणाल षाडंगी ने किया नमन

बड़ी मात्रा में आने वाले हैं रोजगार के अवसर: उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार काफी तेजी से काम कर रही है. श्रमिक पेंशन समेत कई तरह की योजनाएं संचालित हो रही है. लोग इसका लाभ उठाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही बड़ी मात्रा झारखंड में रोजगार के अवसर आने वाले हैं. हेमंत सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है. इस मौके पर पूर्व सांसद फुरकान अंसारी, पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, पूर्वविधायक संजय यादव समेत गठबंधन के घटक दल के बिभिन्न दल के नेता मौजूद थे.

देखें पूरी खबर

वीरेंद्र ने कारगिल युद्ध में हासिल की थी फतह: गोड्डा के पांडुबथान गांव के जांबाज राष्ट्रीय राइफल के गनर वीरेंद्र महतो उन भाग्यशाली जांबाज सिपाहियों में थे, जिसने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय देते हुए फतह हासिल की. इसके बाद वे छुट्टी लेकर अपने गांव पांडुबथान पहुंचे. इस दौरान जैसे ही वीरेंद्र महतो की छुट्टी समाप्त हुई, उन्हें फिर एक बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए ऑपरेशन रक्षक टीम का हिस्सा बना दिया गया और उस वक्त वीरेंद्र अपने घर से यह कहकर निकले कि मां जल्द ही वापस आऊंगा, लेकिन अपने बटालियन में योगदान के आठ दिन भी नहीं बीते थे कि घरवालों को उनके शहादत की खबर मिली. इस खबर से पूरा गांव सन्न रह गया. उस वक्त वीरेंद्र 25 वर्ष के थे. शहीद वीरेंद्र महतो के सम्मान में गोड्डा शहर के मुख्य चौक को कारगिल शहीद वीरेंद्र चौक नाम दिया गया.

गोड्डा: झारखंड सरकार के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कारगिल युद्ध में शौर्य का परिचय देने और बाद में शहीद हो जाने वाले वीरेंद्र महतो की मां को एक समारोह में पांच एकड़ जमीन का पट्टा सौंपा. इस दौरान उन्होंने कहा कि घोषणा के बावजूद पिछले 18 सालों से शहीद की मां को उनका अधिकार नहीं मिल रहा था. ऐसे में ये उनके लिए ये खुशी का क्षण की शहीद की मां की सालों पुरानी लंबित घोषणा को वे पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि शहीद कभी मरते नहीं वो अमर होते हैं.

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बड़ी मात्रा में आने वाले हैं रोजगार के अवसर: उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार काफी तेजी से काम कर रही है. श्रमिक पेंशन समेत कई तरह की योजनाएं संचालित हो रही है. लोग इसका लाभ उठाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही बड़ी मात्रा झारखंड में रोजगार के अवसर आने वाले हैं. हेमंत सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है. इस मौके पर पूर्व सांसद फुरकान अंसारी, पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, पूर्वविधायक संजय यादव समेत गठबंधन के घटक दल के बिभिन्न दल के नेता मौजूद थे.

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वीरेंद्र ने कारगिल युद्ध में हासिल की थी फतह: गोड्डा के पांडुबथान गांव के जांबाज राष्ट्रीय राइफल के गनर वीरेंद्र महतो उन भाग्यशाली जांबाज सिपाहियों में थे, जिसने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय देते हुए फतह हासिल की. इसके बाद वे छुट्टी लेकर अपने गांव पांडुबथान पहुंचे. इस दौरान जैसे ही वीरेंद्र महतो की छुट्टी समाप्त हुई, उन्हें फिर एक बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए ऑपरेशन रक्षक टीम का हिस्सा बना दिया गया और उस वक्त वीरेंद्र अपने घर से यह कहकर निकले कि मां जल्द ही वापस आऊंगा, लेकिन अपने बटालियन में योगदान के आठ दिन भी नहीं बीते थे कि घरवालों को उनके शहादत की खबर मिली. इस खबर से पूरा गांव सन्न रह गया. उस वक्त वीरेंद्र 25 वर्ष के थे. शहीद वीरेंद्र महतो के सम्मान में गोड्डा शहर के मुख्य चौक को कारगिल शहीद वीरेंद्र चौक नाम दिया गया.

Last Updated : Jun 25, 2022, 9:30 PM IST
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