गिरिडीह: ठेकेदार और विभाग की असंवेदनशीलता के कारण ग्रामीणों को आवागमन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जर्जर हो चुकी सड़कों के निर्माण का ठेका लिए ठेकेदारों ने समय पर सड़कों का निर्माण करना मुनासिब नहीं समझा. यही वजह है कि बगोदर के तिरला-औंरा भाया अलगडीहा, हरिहरधाम-बरांय और बेको-हेसला जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है.
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बारिश के दिनों में बढ़ जाती है परेशानी: ग्रामीणों को आवागमन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बगोदर प्रखंड के तिरला गांव की सड़क बदहाल स्थिति में है. सड़क पर गड्ढे निकलने से हल्की बारिश में उसमें जल जमा हो जाता है. इससे सड़क होकर आवागमन करने में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वाहनों के परिचालन से सड़क पर जमे गंदे पानी भी छीड़क कर ग्रामीणों के कपड़े को बदरंग कर रहे है.
इतना ही नहीं जल जमाव होने से सड़क दुर्घटना के साथ बीमारी फैलने की संभावना से भी ग्रामीण डरे सहमें रह रहे हैं. स्थानीय निवासी डूमरचंद महतो व छोटू कुमार बताते हैं कि सड़क की स्थिति लंबे समय से खराब है. बारिश के दिनों में आवागमन करने में परेशानियां बढ़ जाती है. सड़क पर बन गए गड्ढों से गंदे पानी का जमाव हो जाता है.
ग्रामीणों ने की सड़क निर्माण की मांग: तिरला से औंरा भाय अलगडीहा सड़क निर्माण कार्य की स्वीकृति मिलने के बाद इस बात को लेकर ग्रामीणों में खुशी थी कि इस बार बारिश के महीने में आवागमन में सहूलियत होगी, सड़क चकाचक होगी. सड़क की स्वीकृत होने के बाद निर्माण कार्य की भी शुरुआत हुई. निर्माण कार्य शुरू हुए कई महीने बीत गए मगर सड़क का निर्माण का गांव में नहीं हो पाया है. इससे सड़क की स्थिति दिनों दिन और भी बिगड़ती जा रही है. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कार्य को पूरा करने की मांग की है.
27 करोड़ 19 लाख की लागत की है सड़क: बता दें कि तिरला औंरा भाया अलगडीहा की यह सड़क बगोदर और विष्णुगढ़ प्रखंड के कई गांवों को आपस में जोड़ती है. उक्त सड़क पिछले पांच सालों से बदहाल स्थिति में थी. इसे देखते हुए विधायक विनोद कुमार सिंह के प्रयास से सड़क निर्माण कार्य की स्वीकृति हुई है. 27 करोड़ 19 लाख की लागत से इस सड़क के सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है. मगर निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है. सड़क की लंबाई लगभग 14 किलोमीटर है.
चार साल बाद भी पूरा नहीं हुआ सड़क निर्माण: सड़क सुदृढ़ीकरण के साथ चौड़ीकरण भी होना है. ग्रामीणों को जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजे का प्रावधान है. इस सड़क के चौड़ीकरण के एवज में ग्रामीणों से जमीन अधिग्रहण करने पर अलग से 4.30 करोड़ रुपये मुआवजा की राशि की भी स्वीकृत हुई है. लेकिन भू-स्वामियों को मुआवजा नहीं मिल पाया है. ऐसे में उनके द्वारा बगैर मुआवजा के सड़क निर्माण पर आपत्ति जताई जा रही है. इसके कारण कुछ जगहों पर सड़क का निर्माण कार्य किया गया है तो कुछ जगहों पर आधा अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया गया है. वहीं तिरला गांव में इसकी शुरुआत भी नहीं हुई है. हरिहरधाम-बरांय सड़क की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. आधा-अधूरा सड़क निर्माण कर छोड़ दिया गया है. हेसला- बेको सड़क निर्माण कार्य चार साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है.