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गिरिडीहः आलू की खेती कर रहे किसानों की फसल हुई बर्बाद, सरकार से कर रहे मुआवजे की मांग

गिरिडीह के किसान कभी आलू की बंपर मात्रा में उत्पादन किया करते थे, लेकिन इस बार उन्हें आलू की खेती करके भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, उन्होंने जो फसल उगाई थी, वह पौधे के रूप में विकसित होने से पहले ही बर्बाद हो गई है. इसे देखते हुए किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

The farmers of Giridih are demanding compensation from the government
आलू की फसल बर्बाद
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Published : Dec 30, 2019, 7:33 PM IST

गिरिडीहः जिले में कभी आलू की खेती बंपर मात्रा में हुआ करती थी, लेकिन इस बार यहां के किसानों को भारी नुकसान का सामना कर पड़ रहा है. दरअसल, किसानों ने जो आलू की फसल लगाई थी, वो प्राकृतिक कहर के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई है. इससे किसानों की माली हालत खराब हो गई है, एक तो उनकी पूंजी चली गई दूसरी कोई आमदनी भी नहीं हुई. ऐसी हालत को देखते हुए किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें: सरकारी उदासीनता का शिकार है हजारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य, कभी जंगली जानवरों की आवाज से थर्राता था इलाका


सरकार दे उचित मुआवजा
गिरिडीह के किसान आलू की इतनी खेती किया करते थे कि दूसरे राज्यों तक यहां के आलू की बिक्री हुआ करती थी, लेकिन इस बार दूसरे राज्यों को वे आलू क्या बेचेंगे खुद अपने खाने के लिए ही उनके पास आलू नहीं है. दरअसल, किसानों ने हर बार की तरह इस बार भी सैकड़ों एकड़ में आलू की फसलें तो लगाई लेकिन आलू की फसल तैयार होने के पहले ही ये पौधे मुरझा गए. इससे किसानों की पूंजी भी वापस आने की उम्मीद नहीं है. खेतों में आलू की पैदावर इतनी भी नहीं हुई कि वे खुद सालों भर आलू खा पाए. इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है. अपनी हालत को देखते हुए ही किसान चाहते हैं कि सरकार उन्हें उनकी फसल का उचित मुआवजा दे.

गिरिडीहः जिले में कभी आलू की खेती बंपर मात्रा में हुआ करती थी, लेकिन इस बार यहां के किसानों को भारी नुकसान का सामना कर पड़ रहा है. दरअसल, किसानों ने जो आलू की फसल लगाई थी, वो प्राकृतिक कहर के कारण पूरी तरह बर्बाद हो गई है. इससे किसानों की माली हालत खराब हो गई है, एक तो उनकी पूंजी चली गई दूसरी कोई आमदनी भी नहीं हुई. ऐसी हालत को देखते हुए किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

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सरकार दे उचित मुआवजा
गिरिडीह के किसान आलू की इतनी खेती किया करते थे कि दूसरे राज्यों तक यहां के आलू की बिक्री हुआ करती थी, लेकिन इस बार दूसरे राज्यों को वे आलू क्या बेचेंगे खुद अपने खाने के लिए ही उनके पास आलू नहीं है. दरअसल, किसानों ने हर बार की तरह इस बार भी सैकड़ों एकड़ में आलू की फसलें तो लगाई लेकिन आलू की फसल तैयार होने के पहले ही ये पौधे मुरझा गए. इससे किसानों की पूंजी भी वापस आने की उम्मीद नहीं है. खेतों में आलू की पैदावर इतनी भी नहीं हुई कि वे खुद सालों भर आलू खा पाए. इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है. अपनी हालत को देखते हुए ही किसान चाहते हैं कि सरकार उन्हें उनकी फसल का उचित मुआवजा दे.

Intro:दूसरों को आलू खिलाने वाले खुद आलू को तरसेंगे, खेतों में हीं जल गए आलू के पौधे

बगोदर/गिरिडीह


Body:बगोदर/गिरिडीहः दूसरे को आलू खिलाने वाले किसान इस बार खुद आलू खाने को तरसेंगे. किसानों के आलू की फसलों पर प्रकृति ने कहर बरपाया है. इससे कई एकड़ भू-भाग में लगे आलू की फसलें जलकर नष्ट हो गया है. बगोदर के अटका अंतर्गत लक्षी बागी इलाका कृषि क्षेत्र के लिए विख्यात है. यहां किसानों के द्वारा भारी मात्रा में आलू की फसलें उगाई जाती है, और वे आसपास के इलाके में आलू को बेचा करते थे. ऐसा नहीं कि किसानों ने इस बार यहां आलू नहीं लगाया था.किसानों ने आलू की फसलें तो लगाया जरूर था मगर फसल तैयार होने के पहले पौधे हीं मुरझा गए. इससे किसानों का पूंजी भी वापस आने की उम्मीद नहीं है .आलू की पैदावार इतना भी नहीं हुआ कि वे खुद सालों भर आलू खा पाएंगे. इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है. किसान टेकनारायण शाव बताते हैं कि आलू की फसल लगाने के 1 महीने के अंदर ही पौधे मुरझा गए .बताया कि आलू के पौधे को ठंड के कारण पाला लग गया है.बताया कि आलू की फसल के लिए लगाए गए पूंजी भी वापस आने के आसार नहीं है. पंचायत समिति सदस्य गोविंद सिंह ने प्रशासन से मामले की सुध लेने एवं किसानों के बीच क्षतिपूर्ति के रूप में राशि वितरण करने की मांग की है. बताया कि आलू की फसलें प्रभावित होने हे दो सौ किसानें प्रभावित हैं.


Conclusion:1 गोबिंद सिंह, पंचायत समिति सदस्य

2 टेकनारायण साव, किसान
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