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Sarhul in Giridh: यह पर्व प्रकृति को सम्मान देना सिखाता है- डीसी नमन प्रियेश लकड़ा - गिरीडीह न्यूज

सरहुल पर्व को लेकर गिरिडीह में भी उत्साह देखा जा रहा है. जिले में सरहुल पर्व की शुरूआत धार्मिक तरीके से पूजा पाठ कर की गई. इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. कार्यक्रम में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा भी शामिल हुए. जिले में भव्य जुलूस भी निकाला गया.

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DC in sarhul celebration
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Published : Apr 4, 2022, 5:05 PM IST

गिरिडीह: सरहुल पर्व को लेकर आदिवासी समाज में गजब का उत्साह देखा जा रहा है. जिले में भी सरहुल पर्व की रौनक देखने को मिल रही है. गिरिडीह के कई स्थानों पर इस पर्व को मनाया गया. शहर के बस पड़ाव के समीप भी पूजा का आयोजन किया गया. इस पूजा में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा भी शामिल (DC Participated in Celebration) हुए. यहां मांदर की थाप पर डीसी भी थिरकते नजर आए. मौके पर बाबूलाल मरांडी के छोटे भाई नुनूलाल मरांडी और आदिवासी नेता सिकंदर हेम्ब्रम भी आदिवासी लोक गीतों पर थिरके. पूजा के बाद भव्य जुलूस भी निकाला गया.

इसे भी पढ़ें: प्रकृति पर्व सरहुल की धूम, जानिए क्या है इससे जुड़ी मान्यताएं

प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है यह पर्व: कार्यक्रम में मौजूद डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति की पूजा करते हैं. इससे हमें काफी कुछ सिखने को मिलता है. खुशी की बात है कि आज के इस दौर में भी आदिवासी समाज ने पुराने विधि विधान को जीवंत रखने का काम किया है. उन्होंने कहा कि गांव में जंगलों में भी यह पूजा की जाती है. यह पर्व प्रकृति को सम्मान देना भी सिखाता है. उन्होंने कहा की वर्तमान में नवरात्रा, रामनवमी के अलावा रमजान भी है और ईसाई धर्म का भी पर्व है. लोग सभी पर्व को सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाएं.

मांदर की थाप पर थिरकते डीसी

गिरिडीह: सरहुल पर्व को लेकर आदिवासी समाज में गजब का उत्साह देखा जा रहा है. जिले में भी सरहुल पर्व की रौनक देखने को मिल रही है. गिरिडीह के कई स्थानों पर इस पर्व को मनाया गया. शहर के बस पड़ाव के समीप भी पूजा का आयोजन किया गया. इस पूजा में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा भी शामिल (DC Participated in Celebration) हुए. यहां मांदर की थाप पर डीसी भी थिरकते नजर आए. मौके पर बाबूलाल मरांडी के छोटे भाई नुनूलाल मरांडी और आदिवासी नेता सिकंदर हेम्ब्रम भी आदिवासी लोक गीतों पर थिरके. पूजा के बाद भव्य जुलूस भी निकाला गया.

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प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है यह पर्व: कार्यक्रम में मौजूद डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति की पूजा करते हैं. इससे हमें काफी कुछ सिखने को मिलता है. खुशी की बात है कि आज के इस दौर में भी आदिवासी समाज ने पुराने विधि विधान को जीवंत रखने का काम किया है. उन्होंने कहा कि गांव में जंगलों में भी यह पूजा की जाती है. यह पर्व प्रकृति को सम्मान देना भी सिखाता है. उन्होंने कहा की वर्तमान में नवरात्रा, रामनवमी के अलावा रमजान भी है और ईसाई धर्म का भी पर्व है. लोग सभी पर्व को सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाएं.

मांदर की थाप पर थिरकते डीसी
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