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कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक जेसी बोस को भी रहा था लगाव, उसरी जलप्रपात पर सैलानियों की उमड़ रही भीड़, पुलिस भी अलर्ट

Usri waterfall of Giridih. गिरिडीह का उसरी वाटरफॉल दशकों से मशहूर है. प्रकृति के इस उपहार की ओर लोग आकर्षित भी हुए हैं. यह झरना कवि रवींद्रनाथ टैगोर और महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस की पसंदीदा जगहों में से एक रहा है. इस बार भी नए साल पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है. गिरिडीह एसपी ने खुद यहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है.

Usri waterfall of Giridih
Usri waterfall of Giridih
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 1, 2024, 5:23 PM IST

कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक जेसी बोस का पसंदीदा उसरी जलप्रपात

गिरिडीह: 'चलो जाबो देखते उसरी झरना' गुरुदेव कवि रवींद्रनाथ टैगोर जब गिरिडीह आये थे तो उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा था. इसकी चर्चा आज भी होती है. यह बात पश्चिम बंगाल से आने वाले लोग भी बताते रहते हैं. बताते हैं कि गिरिडीह आना और महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस से मुलाकात करने के समय भी वे उसरी झरना की चर्चा अवश्य किया करते थे. लोगों का कहना है कि वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचंद्र बसु, महर्षि अरविंद घोष के अलावा फिल्म निर्माता सत्यजीत रे भी सखुआ के पेड़ों से भरे जंगलों के बीच स्थित इस उसरी जलप्रपात के शौकीन थे. यहां उसरी नदी तीन अलग-अलग धाराओं में बंटकर 40 फीट नीचे गिरती है. इसके प्रवाह को देखने के लिए ये महान लोग कई बार यहां आ चुके हैं. यहां चट्टान से गिरती पानी की दूधिया धारा और कल-कल की मधुर ध्वनि उनका मन मोहती रहती है.

क्या कहते हैं जानकार: साहित्य से जुड़े रितेश सराक बताते हैं कि निश्चित तौर पर पहाड़ियों, जंगलों के बीच बसा यह झरना महान कवि, वैज्ञानिक, फिल्मकार के साथ-साथ साहित्यकार के लिए रमणिक रहा है. उन्होंने कहा कि उसरी नदी गिरिडीह की सांस्कृतिक पहचान है. पूर्व के समय जब यह बंगाल का हिस्सा था, जितने भी विद्वान-विभूतियां रहें हैं, उन्हें उसरी से काफी प्रेम था. इसी नदी के तट पर महान लोगों ने कई रचनाएं लिखी हैं. अभी भी पश्चिम बंगाल में चौथी कक्षा के पाठ्यक्रम में गुरुदेव रविन्द्र नाथ के द्वारा लिखी गई कहानी बच्चों को पढ़ाया जाता है. आज भी पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा सैलानी यहां आते हैं तो इसके पीछे इस झरना से जुडा इतिहास सबसे बड़ा कारण है.

सैलानियों से पटा यह सुंदर इलाका: वैसे यह यह क्षेत्र शांति के साथ-साथ सुकून देता है. यहां सालों भर लोग आते रहते हैं. नववर्ष के समय यहां विशेष भीड़ रहती है. इस बार भी यहां काफी भीड़ उमड़ रही है. दूर-दूर से लोग आ रहे हैं. इस बार भी पश्चिम बंगाल से आए सैलानियों की संख्या अच्छी खासी है.

स्थानीय युवा हैं एक्टिव: उसरी जलप्रपात संचालन समिति के सदस्य लोगों को सुविधा देने में जुटे हैं. समिति के अध्यक्ष कोलेश्वर सोरेन के नेतृत्व में तीन दर्जन स्थानीय लोग सैलानियों की सेवा कर रहे हैं. वाहन की पार्किंग, जाम नहीं लगना, लोगों को समझाने समेत भीड़ को नियंत्रित करने में इनकी अहम भूमिका रह रही है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: इस बार यहां की सुरक्षा व्यवस्था को और भी दुरुस्त किया गया है. एसपी दीपक शर्मा खुद ही यहां का जायजा ले रहे हैं. इस बार एसपी ने प्रशिक्षु डीएसपी कैलाश महतो और मुफस्सिल थाना प्रभारी कमलेश पासवान के साथ न सिर्फ क्षेत्र का निरीक्षण किया, बल्कि यहां पहुंचे सैलानियों से बात भी की. उनके अनुभव को सुना, साथ ही साथ लोगों से गंदगी नहीं फैलाने की अपील भी की है. वहीं सुरक्षा के लिए तैनात जवानों को दिशा निर्देश भी दिया. एसपी ने साफ कहा कि सुरक्षा में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी. इस दौरान एसपी दीपक ने उसरी जलप्रपात संचालन समिति के सदस्यों से भी बात की और कई निर्देश भी दिए.

यह भी पढ़ें: नए साल के स्वागत के लिए पिकनिक स्पॉट और पर्यटन स्थल स्वागत के लिए है तैयार, प्रशासन ने की है पूरी तैयारी

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कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक जेसी बोस का पसंदीदा उसरी जलप्रपात

गिरिडीह: 'चलो जाबो देखते उसरी झरना' गुरुदेव कवि रवींद्रनाथ टैगोर जब गिरिडीह आये थे तो उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा था. इसकी चर्चा आज भी होती है. यह बात पश्चिम बंगाल से आने वाले लोग भी बताते रहते हैं. बताते हैं कि गिरिडीह आना और महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस से मुलाकात करने के समय भी वे उसरी झरना की चर्चा अवश्य किया करते थे. लोगों का कहना है कि वैज्ञानिक डॉ. जगदीशचंद्र बसु, महर्षि अरविंद घोष के अलावा फिल्म निर्माता सत्यजीत रे भी सखुआ के पेड़ों से भरे जंगलों के बीच स्थित इस उसरी जलप्रपात के शौकीन थे. यहां उसरी नदी तीन अलग-अलग धाराओं में बंटकर 40 फीट नीचे गिरती है. इसके प्रवाह को देखने के लिए ये महान लोग कई बार यहां आ चुके हैं. यहां चट्टान से गिरती पानी की दूधिया धारा और कल-कल की मधुर ध्वनि उनका मन मोहती रहती है.

क्या कहते हैं जानकार: साहित्य से जुड़े रितेश सराक बताते हैं कि निश्चित तौर पर पहाड़ियों, जंगलों के बीच बसा यह झरना महान कवि, वैज्ञानिक, फिल्मकार के साथ-साथ साहित्यकार के लिए रमणिक रहा है. उन्होंने कहा कि उसरी नदी गिरिडीह की सांस्कृतिक पहचान है. पूर्व के समय जब यह बंगाल का हिस्सा था, जितने भी विद्वान-विभूतियां रहें हैं, उन्हें उसरी से काफी प्रेम था. इसी नदी के तट पर महान लोगों ने कई रचनाएं लिखी हैं. अभी भी पश्चिम बंगाल में चौथी कक्षा के पाठ्यक्रम में गुरुदेव रविन्द्र नाथ के द्वारा लिखी गई कहानी बच्चों को पढ़ाया जाता है. आज भी पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा सैलानी यहां आते हैं तो इसके पीछे इस झरना से जुडा इतिहास सबसे बड़ा कारण है.

सैलानियों से पटा यह सुंदर इलाका: वैसे यह यह क्षेत्र शांति के साथ-साथ सुकून देता है. यहां सालों भर लोग आते रहते हैं. नववर्ष के समय यहां विशेष भीड़ रहती है. इस बार भी यहां काफी भीड़ उमड़ रही है. दूर-दूर से लोग आ रहे हैं. इस बार भी पश्चिम बंगाल से आए सैलानियों की संख्या अच्छी खासी है.

स्थानीय युवा हैं एक्टिव: उसरी जलप्रपात संचालन समिति के सदस्य लोगों को सुविधा देने में जुटे हैं. समिति के अध्यक्ष कोलेश्वर सोरेन के नेतृत्व में तीन दर्जन स्थानीय लोग सैलानियों की सेवा कर रहे हैं. वाहन की पार्किंग, जाम नहीं लगना, लोगों को समझाने समेत भीड़ को नियंत्रित करने में इनकी अहम भूमिका रह रही है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: इस बार यहां की सुरक्षा व्यवस्था को और भी दुरुस्त किया गया है. एसपी दीपक शर्मा खुद ही यहां का जायजा ले रहे हैं. इस बार एसपी ने प्रशिक्षु डीएसपी कैलाश महतो और मुफस्सिल थाना प्रभारी कमलेश पासवान के साथ न सिर्फ क्षेत्र का निरीक्षण किया, बल्कि यहां पहुंचे सैलानियों से बात भी की. उनके अनुभव को सुना, साथ ही साथ लोगों से गंदगी नहीं फैलाने की अपील भी की है. वहीं सुरक्षा के लिए तैनात जवानों को दिशा निर्देश भी दिया. एसपी ने साफ कहा कि सुरक्षा में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी. इस दौरान एसपी दीपक ने उसरी जलप्रपात संचालन समिति के सदस्यों से भी बात की और कई निर्देश भी दिए.

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