गिरिडीहः गिरिडीह कोलियरी (giridih colliery)से एमपीएल (मैथन पॉवर लिमिटेड, Maithon Power Limited MPL) को कोयला उठाव की अनुमति मिली है. इस बार एमपीएल को लगभग दो हजार टन कोयला आवंटित किया गया है. जल्द ही एमपीएल को इस कोयला का उठाव करना है, लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया है. ट्रक ओनर्स एसोसिएशन ने इसके खिलाफ धरना शुरू कर दिया है. ट्रक ओनर्स के इस विरोध का समर्थन भाजपा, कांग्रेस के अलावा भाकपा माले भी कर रहीं हैं. इससे टकराव की आशंका बन गई है.
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एमपीएल के उठाव करने पर दस हजार परिवार होंगे प्रभावित
ट्रक ओनर्स का कहना है कि यहां पर हमेशा ही रोड सेल के कोयले (सड़क मार्ग से परिवहन) का उठाव लोकल ट्रक ही करते हैं. इन ट्रकों में लोडिंग का काम स्थानीय असंगठित मजदूर करते हैं, वहीं ट्रक के चालक, खलासी और मालिक भी स्थानीय हैं. ऐसे में यदि एमपीएल कोयले का उठाव करती है तो 10 हजार से अधिक परिवार सीधे तौर पर प्रभावित होंगे.
इधर राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने ट्रक ओनर्स के आंदोलन का समर्थन कर दिया है. इसको लेकर भाजपा ने बैठक की है. बाद में ट्रक ओनर्स के धरनास्थल पर जाकर भाजपा नेताओं ने साफ कहा है कि वह एमपीएल के कोयला उठाव का विरोध करेंगे. भाजपा नेताओं ने यह भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी कोलियरी आएंगे.
कांग्रेस ने भी एमपीएल के कोयला उठाव का विरोध किया है. इंटक नेता एनपी सिंह बुल्लू ने कहा कि ट्रक के माध्यम से होनेवाले सेल से कोलियरी को अधिक मुनाफा मिलता है. इसके बावजूद कम राशि में ही एमपीएल को कोयला उठाव के लिए कोयले का आवंटन किया गया. इससे कोलियरी को नुकसान तो है ही, स्थानीय असंगठित मजदूर, ट्रक के मालिक-चालक खलासी भी सीधे प्रभावित होंगे. इसका विरोध इंटक करेगा. इंटक ने कहा कि जनता के हित को देखते हुए स्थानीय सांसद और विधायक को सामने आना चाहिए. वहीं सीटीओ की व्यवस्था कर कबरीबाद माइंस को भी शुरू कराना चाहिए.
भाकपा माले के नेता राजेश यादव और राजेश सिन्हा ने भी ट्रक ओनर्स के आंदोलन को समर्थन अपना समर्थन दिया है. दोनों नेता धरने में शामिल हुए. दोनों नेताओं ने कहा कि एमपीएल को कोयला देने का सीसीएल का यह निर्णय, सीसीएल पर निर्भर होकर किसी तरह गुजर कर रहे स्थानीय हजारों लोगों के खिलाफ है. यहां तक कि इससे गिरिडीह सीसीएल का घाटा भी और बढ़ जाएगा. क्योंकि लोकल सेल में कोयला बिकने के रेट से आधे से भी कम रेट में मात्र 1100 रुपये प्रति टन के हिसाब से एमपीएल को कोयला भेजा जाने वाला है.
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दूसरे संगठनों पर साधा निशाना
दोनों नेताओं ने कहा कि लोकल सेल में कोयला बिकने से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल जाता है. माले नेताओं ने कहा कि यही कारण है कि पिछले कई दफे जब भी एमपीएल द्वारा यहां कोयला उठाव का निर्णय हुआ तो सब ने इसका विरोध किया. लेकिन हाल के दिनों तक इसके विरोध में रहने वाले कई लोग तथा यूनियन आज एमपीएल के पक्ष में खड़े होकर स्थानीय लोगों के रोजगार के साथ खिलवाड़ करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं. लेकिन स्थानीय लोग ऐसा नहीं होने देंगे. सीसीएल के इस मनमाने निर्णय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा, स्थानीय लोगों के रोजगार के साथ खिलवाड़ नहीं चलेगा.