गिरिडीहः जिले के डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने खनन और भूतत्व विभाग के सचिव को पत्र प्रेषित कर रोजगार को बढ़ाने का अनुरोध किया है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि गिरिडीह जिला अंतर्गत माइका की प्रचुर भंडार मौजूद है. वन संरक्षण अधिनियम 1980 के लागू होने के पूर्व गिरिडीह जिला में 100 से अधिक माइंस संचालित थी, जिसमें जिले के लाखों श्रमिक नियोजित थे लेकिन वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रभावी होने और खनन पट्टा बंद होने के पश्चात लाखों बेरोजगार श्रमिकों का पलायन इस जिले से देश के विभिन्न जिलों में होने लगा.
65 हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों की वापसी
वर्तमान में कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण करीब 65 हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों की वापसी जिले में हो चुकी है. फलस्वरूप जिले के इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा और विभिन्न निर्माण संबंधी योजनाओं की ओर से नियोजन का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कुशल और अकुशल मजदूरों में अप्रत्याशित वृद्धि के आलोक में शत प्रतिशत लोगों को रोजगार मुहैया कराना जिला प्रशासन के लिए प्रमुख चुनौती बन गया है. इस परिस्थिति में व्यापक पैमाने पर रोजगार सृजन करने के लिए माइका उद्योग को पुनर्जीवित करना महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है. झारखंड लघु खनिज के समुनदान नियमावली 2004 (संशोधित 2017) के नियमों के अनुसार माइका लघु खनिज के खनन पट्टों की स्वीकृति खान निदेशालय की ओर से नीलामी की प्रक्रिया की ओर से दी जानी है. ब्लॉक तैयार कर नीलामी की जाती है. इससे बड़े पैमाने में माइका व्यवसाय के तहत रोजगार सृजित हो सकता है.
इसे लेकर गिरिडीह जिले के चैंबर ऑफ कॉमर्स और माइका एसोसिएशन की ओर से भी माइका व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए निरंतर अनुरोध किया जा रहा है. ऐसे ने अभ्रख खनिज के ब्लॉक को चिन्हित कराकर खनन पट्टा स्वीकृति प्रक्रिया को सरलीकरण करने से रोजगार का सृजन शीघ्र होगा.