बगोदर,गिरिडीह: जिला के बगोदर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में बगोदर प्रखंड मुखिया सह ग्राम प्रधानों ने मंगलवार को एक दिवसीय धरना दिया. कोरोना काल को देखते हुए सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए धरना दिया गया. यह धरना सरकारी स्तर पर शोषण के खिलाफ था. मुखियाओं ने कहा है कि झारखंड की हेमंत सरकार के कार्यकाल में योजनाओं के जांच के नाम पर सरकारी स्तर पर मुखियाओं का शोषण किया जा रहा है, उन्हें डराया जा रहा.
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उन्होंने कहा कि जांच के नाम पर मुखियाओं पर शोषण बंद नहीं होने पर ना सिर्फ बगोदर के ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी मुखिया एक साथ इस्तीफा देंगे. धरना के दौरान पूर्व की रघुवर सरकार और वर्तमान हेमंत सरकार के कार्यकाल की तुलना की गई. जिसमें पूर्व की रघुवर सरकार की प्रशंसा की, जबकि वर्तमान सरकार की आलोचना की, साथ ही सरकार विरोधी नारेबाजी भी गई. मुखियाओं ने कहा कि जांच के नाम पर मुखियाओं को डराया जा रहा.
पंचायत सचिवालयों में सुविधाएं तक नहीं है. इससे विकास के कार्य भी बाधित हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व की रघुवर सरकार के कार्यकाल में 2019-20 में पंचायतों में तीन मॉडर्न योजनाओं की स्वीकृति दी थी. इसके तहत स्ट्रीट लाइट, जल मीनार और फेबर ब्लॉक रोड का निर्माण किया जाना था. इसके लिए राशि भी निर्धारित की गई थी और पंचायतों में तीनों योजनाएं धरातल पर उतारी भी गई. उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख से अधिक की खरीदारी करने पर टेंडर नहीं होने के खिलाफ मुखियाओं का अब शोषण किया जा रहा. जबकि उस समय टेंडर से संबंधित किसी तरह की गाइडलाइन सरकार की नहीं थी.
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योजनाओं का विश्लेषण करने एवं वित्तीय नियमावली की जानकारी के अभाव में किसी पंचायत में त्रुटि होने पर मुखिया/ग्राम प्रधान को जिम्मेदार नहीं ठहराते हुए जांच की कार्रवाई को स्थगित करते हुए सहानुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की गई. कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात बगोदर बीडीओ मनोज कुमार गुप्ता को मांग पत्र सौंपा गया.
धरना में मुखिया संघ के अध्यक्ष महेश कुमार, मुखियाओं में संतोष रजक, टेकलाल चौधरी, लालजीत मरांडी, डा शशि भूषण, लक्ष्मण महतो, कंचन देवी, जिबाधन मंडल, मुखिया प्रतिनिधि उमेश मंडल, रामकृष्ण मेहता, कृष्णा उर्फ वितन, अखतर अंसारी, अनवर अंसारी, कैलाश महतो, हरि प्रकाश नारायण उपस्थित रहे.