गिरिडीहः बगोदर में पुस्तैनी धंधे को बचाने के लिए राजस्थान के कलाकार लगातार संघर्ष कर रहे हैं. दो जून की रोटी के लिए इस कंपकंपाती ठंड में भी कलाकार फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रहने को विवश है.
पुस्तैनी धंधे को जिंदा रखने में इस परिवार की महिलाएं और लड़कियां भी पीछे नहीं हैं. ये कलाकार बगोदर में तीन महीने से फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं और पेरिस ऑफ प्लास्टर से तरह- तरह की मूर्तियां बनाकर उसे बाजारों में बेच रहे हैं.
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इस कलाकारी में परिवार की महिलाओं के साथ-साथ छोटे बच्चे और बड़े भी जुड़े हुए हैं. लड़कियां तो तैयार मूर्तियों को बेचने के लिए ठेले चलाकर गांव- गांव तक की सफर करती है. मूर्ति कलाकार बताते हैं कि मूर्तियां बनाना उनकी पुस्तैनी धंधा है त्योहारों के समय मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है, जिसे लेकर मेहनत ज्यादा करना पड़ता है.