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पुस्तैनी धंधा को जीवित रखने को कलाकार कर रहे संघर्ष, फूटपाथ पर रहने को हैं मजबूर - Artist on footpath in Giridih

गिरिडीह में महिनों से राजस्थान के मूर्ति कलाकार मूर्तियां बनाते आ रहे हैं. ये सभी फूटपाथ पर झोपड़ी बनाकर मूर्तियां बनाया करते हैं और गांव-गांव जाकर बेचते हैं. इन कलाकारों का मानना है कि यह इनका पुस्तैनी धंधा है, जो कभी खत्म नहीं हो सकता.

Artists forced to live on footpath in Giridih
फूटपाथ पर कलाकार रहने को मजबूर
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Published : Jan 3, 2020, 11:33 PM IST

गिरिडीहः बगोदर में पुस्तैनी धंधे को बचाने के लिए राजस्थान के कलाकार लगातार संघर्ष कर रहे हैं. दो जून की रोटी के लिए इस कंपकंपाती ठंड में भी कलाकार फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रहने को विवश है.

देखें पूरी खबर

पुस्तैनी धंधे को जिंदा रखने में इस परिवार की महिलाएं और लड़कियां भी पीछे नहीं हैं. ये कलाकार बगोदर में तीन महीने से फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं और पेरिस ऑफ प्लास्टर से तरह- तरह की मूर्तियां बनाकर उसे बाजारों में बेच रहे हैं.

इसे भी पढ़ें:- गिरिडीहः सज गया तिलकुट का बाजार, व्यवसाय पर मंदी की मार

इस कलाकारी में परिवार की महिलाओं के साथ-साथ छोटे बच्चे और बड़े भी जुड़े हुए हैं. लड़कियां तो तैयार मूर्तियों को बेचने के लिए ठेले चलाकर गांव- गांव तक की सफर करती है. मूर्ति कलाकार बताते हैं कि मूर्तियां बनाना उनकी पुस्तैनी धंधा है त्योहारों के समय मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है, जिसे लेकर मेहनत ज्यादा करना पड़ता है.

गिरिडीहः बगोदर में पुस्तैनी धंधे को बचाने के लिए राजस्थान के कलाकार लगातार संघर्ष कर रहे हैं. दो जून की रोटी के लिए इस कंपकंपाती ठंड में भी कलाकार फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रहने को विवश है.

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पुस्तैनी धंधे को जिंदा रखने में इस परिवार की महिलाएं और लड़कियां भी पीछे नहीं हैं. ये कलाकार बगोदर में तीन महीने से फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं और पेरिस ऑफ प्लास्टर से तरह- तरह की मूर्तियां बनाकर उसे बाजारों में बेच रहे हैं.

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इस कलाकारी में परिवार की महिलाओं के साथ-साथ छोटे बच्चे और बड़े भी जुड़े हुए हैं. लड़कियां तो तैयार मूर्तियों को बेचने के लिए ठेले चलाकर गांव- गांव तक की सफर करती है. मूर्ति कलाकार बताते हैं कि मूर्तियां बनाना उनकी पुस्तैनी धंधा है त्योहारों के समय मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है, जिसे लेकर मेहनत ज्यादा करना पड़ता है.

Intro:पुस्तैनी धंधा को जीवित रखने के लिए राजस्थान के कलाकार कर रहा संघर्ष, महिलाएं भी बना रहीं मूर्तियां

बगोदर/गिरिडीह


Body:बगोदर/गिरिडीहः पुस्तैनी धंधे को बचाने के लिए राजस्थान के कलाकारों के द्वारा बगोदर में संघर्ष किया जा रहा है. दो जून की रोटी के लिए इस कंपकंपाती ठंड में उन्हें फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रहने की विवशता हैं. पुस्तैनी धंधे को जिंदा रखने में इस परिवार की महिलाएं व लड़कियां भी पीछे नहीं है. ये कलाकार बगोदर में तीन महीने से फूटपाथ में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. वहीं पर पेरिस ऑफ प्लास्टर से तरह- तरह की मूर्तियां बनाकर उसे गांव से लेकर बाजारों में बेचा जाता है. इस धंधे में परिवार की महिला सदस्यों के साथ बच्चे और बड़े भी जुड़े हुए हैं. लड़कियां तो तैयार मूर्तियों को बेचने के लिए ठेले चलाकर गांव- गांव तक की सफर करती नजर आती है. कलाकार डूमा राम, आशाराम आदि बताते हैं कि मूर्तियां बनाना उनकी पुस्तैनी धंधा है. बताते हैं त्योहारों के समय मूर्तियों की मांग बढ़ जाती है. बता दें कि दो परिवार के दर्जन भर कलाकारों का इन दिनों बगोदर में जमावड़ा लगा हुआ है.


Conclusion:डूमा राम, कलाकार

आशा राम, छोटा कलाकार
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