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गढ़वाः भक्तों की आस्था का केंद्र बना योगियानाथ धाम, ग्रामीणों के प्रयास से बंजर पहाड़ी हुई हरी-भरी

गढ़वा में पर्यावरण की रक्षा से जुड़ी ग्रामीणों की सकारात्मक सोच ने जिले में 90 एकड़ में फैले करीब एक हजार फीट ऊंची बंजर पहाड़ी को हराभरा बना दिया है. योगियानाथ धाम से नामांकित उस पहाड़ी के टॉप पर शिव मंदिर की स्थापना की गई है. वहीं, गुरुवार को महाशिवरात्रि और सावन पूर्णिमा को वहां भव्य मेला का आयोजन होता है. जहां कई राज्यों के हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.

idea of saving environment took a big shape
पर्यावरण बचाने की सोच ने लिया बड़ा स्वरूप
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Published : Mar 11, 2021, 3:59 PM IST

गढ़वाः जिले में ग्रामीणों के सार्थक प्रयास से बंजर पहाड़ी हरी-भरी हो गई है. यहां स्थित योगियानाथ धाम न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. ग्रामीणों के इस प्रयास की चारों ओर सराहना हो रही है. जानकारी के अनुसार डंडई प्रखंड के टोरी कला, नावाडीह, लोरा, सिकरिया, पोखरिया, चकिया, कपाट, सोती और तसरर गांव की सीमा से सटे 90 एकड़ में फैली एक पहाड़ी स्थित है.

देखें पूरी खबर

पूर्व में पौधों की अंधाधुंध कटाई और मवेशी के विचरण के कारण पहाड़ी बंजर हो गई थी. उसी पहाड़ी पर एक योगी रहा करते थे. वह अचानक वहां से गायब हो गए थे, जिसके बाद उस पहाड़ी पर उनका कुछ अवशेष प्राप्त हुए थे, जिससे यह कयास लगाया गया कि उन्होंने पहाड़ पर ही समाधि ले ली होगी. योगी जब जिंदा थे, तो गांव-गांव में घूमकर पहाड़ को बचाने की मदद मांगते थे.

पहाड़ी बनी योगियानाथ धाम, शिव मंदिर की स्थापना

योगी के समाधि लेने के बाद आसपास के ग्रामीणों ने 2013 में पहाड़ी पर एक बड़ी बैठक कर पहाड़ी का नामकरण योगियानाथ धाम के रूप में कर दिया. योगी बाबा मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया, जिसके बाद वहां पहाड़ी के टॉप पर शिव चबूतरा का निर्माण किया गया. पथ विहीन पहाड़ के टॉप पर चढ़ना मुश्किल था.

इस कारण ग्रमीण एक-एक लीटर पानी, दो-दो किलो छर्री, बालू, सीमेंट लेकर वहां पहुंचते थे. ग्रामीणों के इस चट्टानी प्रयास से वहां योगी की भव्य प्रतिमा और शिव मन्दिर का निर्माण किया गया. अब वहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि और सावन पूर्णिमा को भव्य मेला का आयोजन होता है. जहां गढ़वा जिले के अलावे दूसरे जिले और दूसरे राज्यों छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, बिहार से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

मवेशी चराने और लकड़ी काटने पर प्रतिबंध

ग्रामीणों ने मंदिर निर्माण के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा का भी संकल्प लिया. ग्रामीणों ने खुद पर वहां मवेशी नहीं चराने और लकड़ी नहीं काटने का प्रतिबंध लगा लिया. दूसरों को भी ऐसा करने से रोकने का सामूहिक निर्णय लिया. ग्रामीणों के इस प्रयास के बाद पहाड़ी हरी-भरी ही गई.

विधायक भानु कर रहे है पर्यटन केंद्र बनवाने का प्रयास

वर्ष 2019 में क्षेत्रीय विधायक भानु प्रताप शाही ने पर्यटन विभाग के सभापति के रूप में योगियानाथ धाम को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कराने का प्रयास किया था. उनके प्रयास से पहाड़ पर रोड बनाने के लिए संबंधित विभाग ने दो करोड़ 54 लाख रुपये का डीपीआर तैयार किया था.

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता ने भी निरीक्षण कर पहाड़ी पर बिजली व्यवस्था देने की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसके बाद विधानसभा चुनाव आ गया. राज्य में सरकार बदल गई. योगियानाथ धाम को पर्यटन के रूप में विकसित करने का तीव्र प्रयास रुक गया. हालांकि, विधायक भानु प्रताप शाही इसके लिए अभी भी प्रयासरत हैं.

स्थानीय लोगों को रोजगार का मिलेगा मौका

योगिया बाबा मंदिर निर्माण समिति के कोषाध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि क्षेत्र के सारे ग्रामीण मिलकर इस पहाड़ी को पर्यटन केंद्र बनाने में लगे हैं. पर्यावरण की दृष्टि से यह पहाड़ी अत्यंत रमणीय है. पर्यटन के विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार से जुड़ने का मौका मिलेगा.

गढ़वाः जिले में ग्रामीणों के सार्थक प्रयास से बंजर पहाड़ी हरी-भरी हो गई है. यहां स्थित योगियानाथ धाम न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. ग्रामीणों के इस प्रयास की चारों ओर सराहना हो रही है. जानकारी के अनुसार डंडई प्रखंड के टोरी कला, नावाडीह, लोरा, सिकरिया, पोखरिया, चकिया, कपाट, सोती और तसरर गांव की सीमा से सटे 90 एकड़ में फैली एक पहाड़ी स्थित है.

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पूर्व में पौधों की अंधाधुंध कटाई और मवेशी के विचरण के कारण पहाड़ी बंजर हो गई थी. उसी पहाड़ी पर एक योगी रहा करते थे. वह अचानक वहां से गायब हो गए थे, जिसके बाद उस पहाड़ी पर उनका कुछ अवशेष प्राप्त हुए थे, जिससे यह कयास लगाया गया कि उन्होंने पहाड़ पर ही समाधि ले ली होगी. योगी जब जिंदा थे, तो गांव-गांव में घूमकर पहाड़ को बचाने की मदद मांगते थे.

पहाड़ी बनी योगियानाथ धाम, शिव मंदिर की स्थापना

योगी के समाधि लेने के बाद आसपास के ग्रामीणों ने 2013 में पहाड़ी पर एक बड़ी बैठक कर पहाड़ी का नामकरण योगियानाथ धाम के रूप में कर दिया. योगी बाबा मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया, जिसके बाद वहां पहाड़ी के टॉप पर शिव चबूतरा का निर्माण किया गया. पथ विहीन पहाड़ के टॉप पर चढ़ना मुश्किल था.

इस कारण ग्रमीण एक-एक लीटर पानी, दो-दो किलो छर्री, बालू, सीमेंट लेकर वहां पहुंचते थे. ग्रामीणों के इस चट्टानी प्रयास से वहां योगी की भव्य प्रतिमा और शिव मन्दिर का निर्माण किया गया. अब वहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि और सावन पूर्णिमा को भव्य मेला का आयोजन होता है. जहां गढ़वा जिले के अलावे दूसरे जिले और दूसरे राज्यों छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, बिहार से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

मवेशी चराने और लकड़ी काटने पर प्रतिबंध

ग्रामीणों ने मंदिर निर्माण के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा का भी संकल्प लिया. ग्रामीणों ने खुद पर वहां मवेशी नहीं चराने और लकड़ी नहीं काटने का प्रतिबंध लगा लिया. दूसरों को भी ऐसा करने से रोकने का सामूहिक निर्णय लिया. ग्रामीणों के इस प्रयास के बाद पहाड़ी हरी-भरी ही गई.

विधायक भानु कर रहे है पर्यटन केंद्र बनवाने का प्रयास

वर्ष 2019 में क्षेत्रीय विधायक भानु प्रताप शाही ने पर्यटन विभाग के सभापति के रूप में योगियानाथ धाम को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कराने का प्रयास किया था. उनके प्रयास से पहाड़ पर रोड बनाने के लिए संबंधित विभाग ने दो करोड़ 54 लाख रुपये का डीपीआर तैयार किया था.

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता ने भी निरीक्षण कर पहाड़ी पर बिजली व्यवस्था देने की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसके बाद विधानसभा चुनाव आ गया. राज्य में सरकार बदल गई. योगियानाथ धाम को पर्यटन के रूप में विकसित करने का तीव्र प्रयास रुक गया. हालांकि, विधायक भानु प्रताप शाही इसके लिए अभी भी प्रयासरत हैं.

स्थानीय लोगों को रोजगार का मिलेगा मौका

योगिया बाबा मंदिर निर्माण समिति के कोषाध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि क्षेत्र के सारे ग्रामीण मिलकर इस पहाड़ी को पर्यटन केंद्र बनाने में लगे हैं. पर्यावरण की दृष्टि से यह पहाड़ी अत्यंत रमणीय है. पर्यटन के विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार से जुड़ने का मौका मिलेगा.

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