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गढ़वाः महीनों से धान की बिक्री न होने से किसान मायूस, खुले आसमान के बीच सड़ता रहा

गढ़वा के किसान धान बिक्री न होने से मायूस हैं. परेशान किसानों ने डीसी को पत्र लिखकर अपने नुकसान की जानकारी दी है.

Garhwa farmers are upset, awaiting paddy sale
महीनों से धान की बिक्री का इंतजार कर रहे गढ़वा के किसानों को निराशा हाथ लगी, डीसी को लिखा पत्र
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Published : May 25, 2021, 12:04 PM IST

गढ़वा: दो महीनों से धान की बिक्री का इंतजार कर रहे किसानों के सारे सपने तब टूट गए हैं. अब उनका धान नहीं खरीदा गया. पिछले हफ्ते हुई बारिश में किसानों की बची-खुची उम्मीदें भी बह गईं. नगर उंटारी प्रखण्ड के क्रय केंद्र का ये पूरा मामला है.

इसे भी पढ़ें- पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी ने बाराती गाड़ी को मारी टक्कर, दूल्हे के भाई और मौसा की मौत

बताते चलें कि कई गांव के किसानों को 10 से 18 मार्च के बीच सरकार की क्रय एजेंसी एफसीआई ने धान लेकर क्रय केंद्र पर आने का मैसेज दिया था, जिसके बाद किसान झट से धान के साथ क्रय केंद्र पहुंच गए. दो महीने तक वो क्रय केंद्र के बाहर अपने धान की रखवाली करते रहे, लेकिन उनका धान नहीं खरीदा गया.

खुले आसमान में रखा किसानों का धान भीग गया. जमीन से सटे धान के छल्ले भी पानी में डूब गए. किसानों का धान सड़ गया. इस धान को कौड़ी के भाव भी कोई लेने को तैयार नहीं है. इसके पहले भी ऐसी ही शिकायत कांडी प्रखंड से भी सामने आयी थी.

कर्ज के तले दब गए किसान

किसान फसल उगाने के लिए हर वर्ष कर्ज लेते है, जिसे फसल की बिक्री के बाद लौटाते हैं. इस साल गढ़वा जिले में धान की फसल अच्छी हुई थी. किसानों के चेहरे खिल गए थे. वो बेटी की शादी से लेकर कई आवश्यक कार्यों को पूरा करने के सपने देख रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके सारे सपने यूं इस तरह बिखर जाएंगे.

कार्रवाई की मांग

नगर उंटारी प्रखंड के किसान इंडेश्वर चतुर्वेदी, आजम अंसारी, प्रदीप बैठा, जयप्रकाश गुप्ता समेत दो दर्जन से ज्यादा किसानों ने डीसी को पत्र लिखकर अपने नुकसान की जानकारी दी है. साथ ही कहा कि क्रय केंद्र पर उनके बजाय बिचौलियों और अमीर लोगों के धान खरीदे जा रहे थे. किसानों ने डीसी से दोषी लोगों पर कार्रवाई करने और बर्बाद हुए किसानों के धान को सरकारी दर पर खरीदने की मांग की.

क्या कहते हैं गोदाम मैनेजर

दूसरी ओर नगर उंटारी बिक्री केंद्र के दो गोदाम मैनेजर में से एक उपेंद्र आनंद ने कहा कि जब किसानों का धन मंगवाया गया था, उस समय दोनों गोदाम मैनेजर कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. नेगेटिव होकर काम पर लौटे तो 30 अप्रैल से धान क्रय बंद करने का आदेश आ गया. अभी तक धन क्रय करने का आदेश नहीं आया था. इस कारण किसानों का धान नहीं खरीदा जा सका.

गढ़वा: दो महीनों से धान की बिक्री का इंतजार कर रहे किसानों के सारे सपने तब टूट गए हैं. अब उनका धान नहीं खरीदा गया. पिछले हफ्ते हुई बारिश में किसानों की बची-खुची उम्मीदें भी बह गईं. नगर उंटारी प्रखण्ड के क्रय केंद्र का ये पूरा मामला है.

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बताते चलें कि कई गांव के किसानों को 10 से 18 मार्च के बीच सरकार की क्रय एजेंसी एफसीआई ने धान लेकर क्रय केंद्र पर आने का मैसेज दिया था, जिसके बाद किसान झट से धान के साथ क्रय केंद्र पहुंच गए. दो महीने तक वो क्रय केंद्र के बाहर अपने धान की रखवाली करते रहे, लेकिन उनका धान नहीं खरीदा गया.

खुले आसमान में रखा किसानों का धान भीग गया. जमीन से सटे धान के छल्ले भी पानी में डूब गए. किसानों का धान सड़ गया. इस धान को कौड़ी के भाव भी कोई लेने को तैयार नहीं है. इसके पहले भी ऐसी ही शिकायत कांडी प्रखंड से भी सामने आयी थी.

कर्ज के तले दब गए किसान

किसान फसल उगाने के लिए हर वर्ष कर्ज लेते है, जिसे फसल की बिक्री के बाद लौटाते हैं. इस साल गढ़वा जिले में धान की फसल अच्छी हुई थी. किसानों के चेहरे खिल गए थे. वो बेटी की शादी से लेकर कई आवश्यक कार्यों को पूरा करने के सपने देख रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके सारे सपने यूं इस तरह बिखर जाएंगे.

कार्रवाई की मांग

नगर उंटारी प्रखंड के किसान इंडेश्वर चतुर्वेदी, आजम अंसारी, प्रदीप बैठा, जयप्रकाश गुप्ता समेत दो दर्जन से ज्यादा किसानों ने डीसी को पत्र लिखकर अपने नुकसान की जानकारी दी है. साथ ही कहा कि क्रय केंद्र पर उनके बजाय बिचौलियों और अमीर लोगों के धान खरीदे जा रहे थे. किसानों ने डीसी से दोषी लोगों पर कार्रवाई करने और बर्बाद हुए किसानों के धान को सरकारी दर पर खरीदने की मांग की.

क्या कहते हैं गोदाम मैनेजर

दूसरी ओर नगर उंटारी बिक्री केंद्र के दो गोदाम मैनेजर में से एक उपेंद्र आनंद ने कहा कि जब किसानों का धन मंगवाया गया था, उस समय दोनों गोदाम मैनेजर कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. नेगेटिव होकर काम पर लौटे तो 30 अप्रैल से धान क्रय बंद करने का आदेश आ गया. अभी तक धन क्रय करने का आदेश नहीं आया था. इस कारण किसानों का धान नहीं खरीदा जा सका.

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