जमशेदपुर: प्राकृतिक खनिज संपदाओं से भरे झारखंड के जंगलों और ग्रामीण इलाकों में हरियाली के बीच कई ऐसे जीव-जंतु हैं जिससे लोगों को खतरा बना रहता है. उनमें सांप एक ऐसा जीव है जिसके नाम से ही खौफ पैदा हो जाता है. झारखंड में कोबरा, करैत, बैंडेड करैत और रसल वाइपर जैसे जहरीले सांप पाए जाते हैं. सांप देखने के बाद लोग उसे मारने की कोशिश करते हैं लेकिन अब कई जगहों पर स्नेक कैचर उपलब्ध हैं जो सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचते हैं और सांपों को पकड़ते हैं.
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तीन साल से सांप पकड़ रही हैं रजनी
जमशेदपुर में डर से बेखौफ सांप पकड़ने का शौक रखने वालों में अब महिलाएं भी कदम बढ़ा चुकी है. महिलाएं बिना डरे सूचना मिलने पर सांप पकड़ने जाती हैं जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ भी जमा हो जाती है. जमशेदपुर के मानगो डिमना रोड की रहने वाली स्नेक कैचर रजनी लेहल पिछले 3 वर्षों से सांप को पकड़ने की मुहिम में लगी हुई हैं. रजनी को अब सांप से डर नहीं लगता. सांप को सुरक्षित पकड़ कर जंगल मे छोड़ना उन्हें अच्छा लगता है. कोबरा के अलावा कई प्रजाति के सांप पकड़ने वाली रजनी एक बार अजगर का शिकार हो चुकी हैं. उनका कहना है कि सांप पकड़ने का काम सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी कर सकती हैं. आज महिलाएं सभी क्षेत्र में आगे हैं.
40 सालों से पकड़ रहे सांप
जमशेदपुर के नवल किशोर सिंह बताते हैं कि वे पिछले 40 सालों से सांप पकड़ रहे हैं. अब तक कई किस्म के सांप को पकड़ चुके हैं. 70 वर्ष के नवल सिंह को सांपों से लगाव है. लोग इनको सांप वाले चाचा कहकर बुलाते हैं. नवल सिंह सांप पकड़ने के लिए 24 घंटे उपलब्ध हैं. कहीं भी अगर सांप निकलता है तो लोग उन्हें फोन करते हैं. नवल तुरंत सांप पकड़ने निकल जाते हैं और सांप पकड़कर उसे दूर जंगल में छोड़ देते हैं.
परिवार में सर्प दंश की हुई घटना, आहत होकर लिया सांपों के रेस्क्यू का निर्णय
नवल बताते हैं कि उनके परिवार में सर्प दंश की घटना के बाद वे काफी आहत हुए थे. जिसके बाद उन्होंने संकल्प लिया था कि अब वो सांप से लोगों को बचाएंगे और सांप को भी बचाएंगे. इस संकल्प के साथ वे आज तक अपनी मुहिम में जुटे हैं. नवल का कहना है कि सांप को छेड़ने पर ही वो हरकत में आता है. सांप को मारना नहीं चाहिए. सांप पकड़ने के दौरान इस बात का ख्याल रखते हैं कि सांप को चोट न पहुंचे. उनका कहना है कि सांप पकड़ना उनका पेशा नहीं है. वो अपने संकल्प के साथ सांप पकड़ते हैं और उसे बचाते हैं. इस दौरान उन्हें कई बार सांप ने काटा है लेकिन वो डॉक्टर के पास जाते है. झाड़ फूंक में विश्वास नहीं करते.
5 हजार से ज्यादा सांपों का किया है रेस्क्यू
लोग इंटरनेट पर जाकर सांपों के बारे में पढ़ते हैं. जमशेदपुर के रहने वाले मिथिलेश ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये सांप से जुड़ी जानकारी हासिल की. बचपन से सांप के प्रति लगाव रखने वाले मिथिलेश अपनी जेब खर्च से सपेरा के सांप खरीदते थे और उसे जंगल में छोड़ देते थे. सांप को बचाने से छोटू को राहत मिलती है. 8 साल से सांप पकड़ने वाले मिथिलेश ने अब तक 5 हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू कर उसे दलमा के जंगलों में छोड़ा है. उसके कई साथियों ने इस मुहिम में साथ दिया है. मिथिलेश बताते हैं कि सांप पकड़ने के बाद उसका पंचनामा करते हैं. ऑन स्पॉट स्थानीय लोगों की मौजूदगी में सांप की प्रजाति, जिस घर में सांप था उस घर वाले का नाम-पता लिखकर पंचनामा की एक कॉपी वन विभाग को सौंपते है और सांप को दलमा के जंगल में छोड़ देते हैं.
तीन हजार से ज्यादा सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ा
बरसात के मौसम में सांप पकड़ने का काम ज्यादा होता है. इस दौरान सांप काटने की कई घटनाएं घटती है लेकिन ऐसे समय पर स्नेक कैचर की टीम अलर्ट रहती है. जंगलों में घूमने का शौक रखने वाली तरुण कालिंदी बताते हैं कि वे जंगल में कई प्रजाति के सांपों से रूबरू हुए. सांपों को बिना चोट पहुंचाए उसे पकड़ना शुरू किया और आज तक तीन हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं. सांप पकड़ना किसी खतरे से कम नहीं है लेकिन लोगों की जिंदगी बचाने के लिए कुछ लोग खौफ से खेलकर सांपों को पकड़ते हैं.