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जमशेदपुर: स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी ऑनलाइन स्टडी, चिड़चिड़ा रहा बचपन - student facing problem due to online study in jamshedpur

कोरोना के कहर के कारण देश भर के स्कूल-कॉलेज बंद हैं. ऐसे में छात्र और छात्राओं को स्मार्टफोन के जरिए ऑनलाईन पाठ्यक्रम से जोड़ा जा रहा है. स्मार्टफोन का अधिकतर उपयोग छात्र और छात्राओं के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. डॉक्टरों की माने तो बच्चों को लंबे समय तक मोबाइल और लैपटॉप के संपर्क में रहने से मानसिक और शारीरिक तौर पर असर पड़ता है.

online study
ऑनलाइन स्टडी
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Published : Jun 28, 2020, 8:07 PM IST

जमशेदपुर: कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में जमशेदपुर के सभी स्कूल तीन महीनों से बंद है. ऐसे में नौनिहालों की शिक्षा में कमी न रह जाए, जिसके कारण स्कूल और कॉलेज की तरफ से ऑनलाइन पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. जिसके कारण शहर के ब्च्चे स्मार्टफोन के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा की ये प्रणाली स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. एक तरफ परिजन इस बात पर खुश है की बच्चों की पढ़ाई हो रही है, तो दूसरी तरफ उन्हें ये भी चिंता सता रही है कि बच्चे को चार से पांच घंटे मोबाइल लेकर बैठना पड़ता है. जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक तौर पर असर हो सकता है.

देखें पूरी खबर

क्या है परिजनों का कहना

परिजनों का कहना है कि स्मार्टफोन का अधिकतर उपयोग खतरनाक बन सकता है. स्मार्टफोन से उनकी गर्दन टेढ़ी हो सकती है. आंखों की रोशनी कम हो सकती है, हड्डियों में दर्द हो सकता है. हालात यह है कि आंखों से पानी आना, नींद की कमी, कान से सुनने में समस्या, कमर दर्द जैसी समस्या होती है. जिसके कारण परिजनों में भय का माहौल है.

ये भी देखें- बाबा रामदेव को कोरोना दवा बेचने से पहले सरकार की अनुमति जरूरी, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की दो टूक

कई समस्याएं हो रही विकसित

एमजीएम अस्पताल के डॉ. नकुल चौधरी ने बताया कि शहर में कई लोग मोबाइल के कारण बीमार बन चुके हैं. आंकड़ों पर गौर करें, तो 21 से 35 साल के लोगों में यह बीमारी देखने को मिल रही है. गर्दन टेढ़ी होने के साथ स्पाइन की समस्या भी लोगों को हो रही है. मोबाइल के रेडिएशन के कारण ब्रेन और सोचने की शक्ति भी कम हो रही है.

सरकार की चुनौती

जमशेदपुर में स्कूल जाने वाले करीब चार लाख छात्र हैं. ऑनलाइन क्लास के जरिए जमशेदपुर में स्कूलों के नए सेशन शुरू हो चुके हैं. सेशन शुरू होने के साथ छात्र अपनी पढ़ाई के लिए अधिकतम समय स्मार्टफोन पर दे रहे हैं. जिससे कई परेशानियां, तो कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. ऐसे में अब झारखंड सरकार के समक्ष ये चुनौती है कि स्कूल के इन छात्रों को पठन पाठन के साथ बीमारियों से कैसे दूर रखा जा सके.

जमशेदपुर: कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में जमशेदपुर के सभी स्कूल तीन महीनों से बंद है. ऐसे में नौनिहालों की शिक्षा में कमी न रह जाए, जिसके कारण स्कूल और कॉलेज की तरफ से ऑनलाइन पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है. जिसके कारण शहर के ब्च्चे स्मार्टफोन के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा की ये प्रणाली स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है. एक तरफ परिजन इस बात पर खुश है की बच्चों की पढ़ाई हो रही है, तो दूसरी तरफ उन्हें ये भी चिंता सता रही है कि बच्चे को चार से पांच घंटे मोबाइल लेकर बैठना पड़ता है. जिससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक तौर पर असर हो सकता है.

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क्या है परिजनों का कहना

परिजनों का कहना है कि स्मार्टफोन का अधिकतर उपयोग खतरनाक बन सकता है. स्मार्टफोन से उनकी गर्दन टेढ़ी हो सकती है. आंखों की रोशनी कम हो सकती है, हड्डियों में दर्द हो सकता है. हालात यह है कि आंखों से पानी आना, नींद की कमी, कान से सुनने में समस्या, कमर दर्द जैसी समस्या होती है. जिसके कारण परिजनों में भय का माहौल है.

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कई समस्याएं हो रही विकसित

एमजीएम अस्पताल के डॉ. नकुल चौधरी ने बताया कि शहर में कई लोग मोबाइल के कारण बीमार बन चुके हैं. आंकड़ों पर गौर करें, तो 21 से 35 साल के लोगों में यह बीमारी देखने को मिल रही है. गर्दन टेढ़ी होने के साथ स्पाइन की समस्या भी लोगों को हो रही है. मोबाइल के रेडिएशन के कारण ब्रेन और सोचने की शक्ति भी कम हो रही है.

सरकार की चुनौती

जमशेदपुर में स्कूल जाने वाले करीब चार लाख छात्र हैं. ऑनलाइन क्लास के जरिए जमशेदपुर में स्कूलों के नए सेशन शुरू हो चुके हैं. सेशन शुरू होने के साथ छात्र अपनी पढ़ाई के लिए अधिकतम समय स्मार्टफोन पर दे रहे हैं. जिससे कई परेशानियां, तो कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है. ऐसे में अब झारखंड सरकार के समक्ष ये चुनौती है कि स्कूल के इन छात्रों को पठन पाठन के साथ बीमारियों से कैसे दूर रखा जा सके.

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