जमशेदपुर: शहर के साकची क्षेत्र में स्थित कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल यानी एमजीएम अस्पताल (Jamshedpur MGM Hospital) आए दिन सुर्खियों में बना रहता है, जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस बार अस्पताल के ओपीडी में सेवा देने वाले जूनियर डॉक्टर और इंटर्न पांच महीने के बकाए वेतन नहीं मिलने के कारण ओपीडी बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
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स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने दिया था आश्वासन: एमजीएम अस्पताल में जूनियर डॉक्टर और इंटर्न की कुल संख्या 200 के करीब है. जूनियर डॉक्टर ओपीडी का मुख्य गेट बंद कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर बकाए वेतन की मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों भी ये डॉक्टर अपने बकाए वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे, सूचना मिलने पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वार्ता कर दस दिनों के अंदर बकाया वेतन देने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद हड़ताल समाप्त हो गया था. लेकिन यह आश्वासन बनकर ही रह गया. हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि विभाग के मंत्री, मुख्य सचिव और अस्पताल अधीक्षक को कई बार लिखित जानकारी दी गई है. तीन बार सिर्फ आश्वासन ही मिला लेकिन, बकाया वेतन नहीं मिला है. सरकार ना डॉक्टर के प्रति गंभीर है ना ही मरीजों के प्रति. अब जब तक वेतन नहीं मिलेगा, हम हड़ताल पर रहेंगे और आने वाले दिन में इमरजेंसी भी प्रभावित होगा.
फिर दिया जा रहा आश्वासन: वहीं एमजीएम के अधीक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर छुट्टी पर है. अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर नकुल चौधरी ने बताया कि तकनीकी त्रुटियों के कारण वेतन मिलने में विलंब हुआ है. उन्होंने कहा है कि 10 दिन के अंदर वेतन का भुगतान हो जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा है कि अस्पताल में सीनियर डॉक्टर सेवा दे रहे हैं, मरीजों को परेशानी नहीं होगी.
अस्पताल पहुंचे सांसद: इधर जमशेदपुर लोकसभा सांसद विद्युत वरण महतो अस्पताल पहुंचे और उपाधीक्षक से मामले की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना गंभीर मामला है सरकार इसे गंभीरता से ले और वेतन का भुगतान करे. उन्होंने कहा कि झारखंड का स्वास्थ्य विभाग शुरू से ही किसी ना किसी कारण से उपेक्षित रहा है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है.