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अब नहीं उजड़ेगा आदिवासियों का आशियाना, सरकार ने लिया वन पट्टा दाखिल करने का फैसला

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Published : Jun 22, 2019, 6:29 PM IST

आदिवासियों के लिए सरकार ने बेहतर पहल की है. वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को अब वन पट्टा मिलेगा. जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम जिला कार्यालय के सभागार में जिला उपायुक्त के नेतृत्व में बैठक की गई, जिसमें  जंगल में रहने वाले आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, आदिम जनजाति के लोगों के निरस्त वन पट्टा पर विचार करते हुए उन्हें दुबारा वन पट्टा के आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया गया.

सरकार ने लिया वन पट्टा दाखिल करने का फैसला

जमशेदपुर: जिले के वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के लिए सरकार ने बेहतर पहल की है. वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को अब वन पट्टा मिलेगा. जिला वन अधिकार समिति के सदस्य ने बताया कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का घर नहीं उजाड़ा जाएगा. वन भूमि का अतिक्रमण कर आशियाना बनाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी.

देखें पूरी खबर

जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम जिला कार्यालय के सभागार में जिला उपायुक्त के नेतृत्व में बैठक की गई, जिसमें जंगल में रहने वाले आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, आदिम जनजाति के लोगों के निरस्त वन पट्टा पर विचार करते हुए उन्हें दुबारा वन पट्टा के आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया गया. वर्षों से जंगलों में रह रही आबादी को बसाने में जिला वन अधिकार समिति ने अपना पूरा सहयोग देने का फैसला किया है. इस बैठक में जिला उपायुक्त के अलावा डीडीसी धालभूम अनुमंडल के डीएफओ जिला कल्याण पदाधिकारी और समिति के सदस्य मौजूद रहे.

सर्वे में 3 हजार से ज्यादा जंगलों में बसे परिवार का पट्टा दस्तावेज पूरा नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया गया है, साथ ही वन भूमि पर गैर आदिवासियों द्वारा अतिक्रमण भी किया गया है. आपको बता दें कि वन अधिकार नियम 2008 के तहत सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत भारत सरकार ने सुदूर जंगलों में रह रहे आदिवासियों और आदिम जनजातियों को बसाने का फैसला किया है.

जिला वन अधिकार समिति की सदस्य आरती सामद ने बताया कि वन क्षेत्र में बसे आदिवासी, आदिम जनजाति आबादी को अब उजाड़ा नहीं जाएगा, जिनका वन पट्टा निरस्त हुआ है वो फिर से ग्राम वन अधिकार समिति को आवेदन करेंगे जो अनुमंडल वन अधिकार समिति के जरिये जिला वन अधिकार समिति को दिया जाएगा.

जमशेदपुर: जिले के वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के लिए सरकार ने बेहतर पहल की है. वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को अब वन पट्टा मिलेगा. जिला वन अधिकार समिति के सदस्य ने बताया कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का घर नहीं उजाड़ा जाएगा. वन भूमि का अतिक्रमण कर आशियाना बनाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी.

देखें पूरी खबर

जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम जिला कार्यालय के सभागार में जिला उपायुक्त के नेतृत्व में बैठक की गई, जिसमें जंगल में रहने वाले आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, आदिम जनजाति के लोगों के निरस्त वन पट्टा पर विचार करते हुए उन्हें दुबारा वन पट्टा के आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया गया. वर्षों से जंगलों में रह रही आबादी को बसाने में जिला वन अधिकार समिति ने अपना पूरा सहयोग देने का फैसला किया है. इस बैठक में जिला उपायुक्त के अलावा डीडीसी धालभूम अनुमंडल के डीएफओ जिला कल्याण पदाधिकारी और समिति के सदस्य मौजूद रहे.

सर्वे में 3 हजार से ज्यादा जंगलों में बसे परिवार का पट्टा दस्तावेज पूरा नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया गया है, साथ ही वन भूमि पर गैर आदिवासियों द्वारा अतिक्रमण भी किया गया है. आपको बता दें कि वन अधिकार नियम 2008 के तहत सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत भारत सरकार ने सुदूर जंगलों में रह रहे आदिवासियों और आदिम जनजातियों को बसाने का फैसला किया है.

जिला वन अधिकार समिति की सदस्य आरती सामद ने बताया कि वन क्षेत्र में बसे आदिवासी, आदिम जनजाति आबादी को अब उजाड़ा नहीं जाएगा, जिनका वन पट्टा निरस्त हुआ है वो फिर से ग्राम वन अधिकार समिति को आवेदन करेंगे जो अनुमंडल वन अधिकार समिति के जरिये जिला वन अधिकार समिति को दिया जाएगा.

Intro:Jamshedpur
Jitendra kumar
9431301511


जमशेदपुर।

ज़िला के वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को वन पट्टा मिलेगा। ज़िला वन अधिकार समिति के सदस्य ने बताया है कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का घर नही उजड़ेगा ।वन भूमि का अतिक्रमण कर आशियाना बनाने वालों पर होगी कार्रवाई।


Body:जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम ज़िला कार्यालय के सभागार में पूर्वी सिंहभूम ज़िला उपायुक्त के नेतृत्व में जिला वन अधिकार समिति की बैठक हुई ।बैठक में डीडीसी धालभूम अनुमंडल के डीएफओ ज़िला कल्याण पदाधिकारी और समिति के सदस्य शामिल हुए।

बैठक में जंगल मे रहने वाले आदिवासियों अनुसूचित जनजातियों आदिम जनजाति के लोगों के निरस्त वन पट्टा पर विचार करते हुए उन्हें दुबारा वन पट्टा के आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया गया है ।वर्षों से जंगलों में रह रही आबादी को बसाने में जिला वन अधिकार समिति ने अपना पूरा सहयोग देने का फैसला किया है।

आपको बता दे कि वन अधिकार नियम 2008 के तहत सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत भारत सरकार ने सुदूर जंगलों में रह रहे आदिवासियों व आदिम जनजातियों के सिर छुपाने के लिए उन्हें जगह देने का फैसला किया है।

पूर्व में किये गए सर्वे में 3 हज़ार से ज़्यादा जंगलों में बसे परिवार का पट्टा दस्तावेज पूरा नही होने के कारण निरस्त कर दिया गया है ।साथ ही वन भूमि पर गैर आदिवासियों द्वारा अतिक्रमण भी किया गया है ।
ज़िला वन अधिकार समिति की सदस्य आरती सामद ने बताया है कि वन क्षेत्र में बसे आदिवासी आदिम जनजाति आबादी को अब उजाड़ा नही जाएगा ।जिनका वन पट्टा निरस्त हुआ है वो फिर से ग्राम वन अधिकार समिति को आवेदन करेंगे जो अनुमंडल वन अधिकार समिति के जरिये ज़िला वन अधिकार समिति को दिया जाएगा और समिति उसे पारित करेगी।उन्होंने बताया है कि वन भूमि पर गैर आदिवासियों द्वारा अतिक्रमण कर भवन मकान का निर्माण किया गया है उन् पर कार्रवाई करते हुए उन्हें हटाने की मांग की गई है ।


Conclusion:
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