जमशेदपुर: जिले के वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के लिए सरकार ने बेहतर पहल की है. वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को अब वन पट्टा मिलेगा. जिला वन अधिकार समिति के सदस्य ने बताया कि जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का घर नहीं उजाड़ा जाएगा. वन भूमि का अतिक्रमण कर आशियाना बनाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी.
जमशेदपुर पूर्वी सिंहभूम जिला कार्यालय के सभागार में जिला उपायुक्त के नेतृत्व में बैठक की गई, जिसमें जंगल में रहने वाले आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, आदिम जनजाति के लोगों के निरस्त वन पट्टा पर विचार करते हुए उन्हें दुबारा वन पट्टा के आवेदन दाखिल करने का निर्णय लिया गया. वर्षों से जंगलों में रह रही आबादी को बसाने में जिला वन अधिकार समिति ने अपना पूरा सहयोग देने का फैसला किया है. इस बैठक में जिला उपायुक्त के अलावा डीडीसी धालभूम अनुमंडल के डीएफओ जिला कल्याण पदाधिकारी और समिति के सदस्य मौजूद रहे.
सर्वे में 3 हजार से ज्यादा जंगलों में बसे परिवार का पट्टा दस्तावेज पूरा नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया गया है, साथ ही वन भूमि पर गैर आदिवासियों द्वारा अतिक्रमण भी किया गया है. आपको बता दें कि वन अधिकार नियम 2008 के तहत सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत भारत सरकार ने सुदूर जंगलों में रह रहे आदिवासियों और आदिम जनजातियों को बसाने का फैसला किया है.
जिला वन अधिकार समिति की सदस्य आरती सामद ने बताया कि वन क्षेत्र में बसे आदिवासी, आदिम जनजाति आबादी को अब उजाड़ा नहीं जाएगा, जिनका वन पट्टा निरस्त हुआ है वो फिर से ग्राम वन अधिकार समिति को आवेदन करेंगे जो अनुमंडल वन अधिकार समिति के जरिये जिला वन अधिकार समिति को दिया जाएगा.