जमशेदपुरः पीरिएड्स यानी माहवारी एक ऐसा विषय है, जिस पर आज भी बात करने से लोग कतराते हैं. हालांकि बदलाव आया है पर वो नाकाफी है. पुराने विचार ऐसे रहे हैं कि बचपन से ही इसको लेकर संकोच और हीनभावना और झिझक बच्चियों के मन में घर कर जाती है. इन्हीं विचारों को बदलने के लिए राष्ट्रीय स्तर की संस्था मेंस्ट्रुपेडिया ने नाम्या फाऊंडेशन के साथ मिलकर राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) पर पीरिएड्स को समर्पित कॉमिक सह अभियान जोहार पीरियड्स का सोमवार को जमशेदपुर के सेक्रेड हार्ट कान्वेंट में शुरुआत की गयी.
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जमशेदपुर में कॉमिक सह जोहार पीरियड्स कैंपेन लॉन्च हुआ. जोहार पीरियड्स अभियान में मुक्केबाज अरूणा मिश्रा और पूर्व विधायक सह नाम्या फाऊंडेशन के संस्थापक कुणाल षाड़ंगी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. वहीं नाम्या फाऊंडेशन की तरफ से डॉ. श्रद्धा सुमन, निकिता मेहता, पूर्णेंदु पात्रा, निधि केडिया और अन्य लोग उपस्थित रहे. ये कैंपेन सिर्फ निजी स्कूलों के लिए ही सीमित नहीं है बल्कि सरकारी स्कूलों में भी इसे आयोजित किया जाएगा और कॉमिक बुक को पूर्वी सिंहभूम जिला की 50 हजार छात्राओं तक पहुंचाया जाएगा. इस कॉमिक बुक के माध्यम से छात्राएं पीरिएड्स के विभिन्न पहलुओं, समस्याओं और निदान को लेकर जागरूक हो पाएंगी. साथ ही ये किताब पुरूषों को भी जागरूक करेंगे कि वो पीरिएड्स को लेकर महिलाओं-बच्चियों के प्रति नरम रवैया रखते हुए संवेदनशील और सहयोगी बनें.
कोरोना गाइडलाइंस की वजह से छात्राएं इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाईं. लेकिन उन्हें स्कूल की ओर से बुक्स ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा. इसके साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्गदर्शक स्कूल के लिए समर्पित होंगे. जिनको इस विषय पर बच्चियों के साथ निरंतर संपर्क स्थापित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. इस मौके पर कान्वेंट स्कूल की प्राचार्या सिस्टर रश्मिता ने नाम्या फाऊंडेशन को इतने महत्वपूर्ण कैंपेन के लिए धन्यवाद दिया. वहीं नाम्या फाऊंडेशन के संस्थापक कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि पीरिएड्स को समर्पित संस्था मेंस्ट्रूपीडिया के माध्यम से अब तक भारत समेत पूरी दुनिया में 'जोहार पीरिएड्स कॉमिक बुक' की डेढ़ करोड़ से ज्यादा प्रतियां वितरित की जा चुकी हैं. कुणाल ने कहा कि नाम्या फाऊंडेशन ने तय किया है कि मैंस्ट्रूपीडिया के सहयोग से पूरे झारखंड को इस विषय पर कॉमिक्स के माध्यम से जागरूक किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पीरिएड्स कोई अपराध नहीं है कि इससे जुड़े नैपकिन को काले पौलिथिन में लपेटकर छुपाकर अपराधबोध से ग्रसित होकर लिया जाए. समाज के सोच को इस कैंपेन के माध्यम से बदलने की कोशिश है.
इस कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. श्रद्धा सुमन और निकिता मेहता ने कहा कि कई बार अचानक पीरिएड्स आने पर महिलाएं या बच्चियां शर्मिंदगी की शिकार हो जाती हैं. स्कूल के दिनों से ही छात्र और छात्राएं, दोनों को जागरूक करने से पीरिएड्स को लेकर एक संवेदनशील समाज की नींव पड़ेगी. जहां असहज स्थिति आने पर लड़के या अन्य खिल्ली नहीं उड़ाएंगे बल्कि सहयोग करेंगे. इस मौके पर नाम्या की सदस्य निधि केडिया ने कहा कि ये कॉमिक्स समाज की सोच को बदलेगी. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज अरूणा मिश्रा ने अपनी बच्चियों का उदाहरण देते हुए बताया कि आज पहले से हालात बदले हैं क्योंकि उनके बताने से पहले ही उनकी बच्चियां पीरिएड्स के बारे में अपने स्कूल में ही जान चुकी थीं. अरूणा ने कहा कि सरकारी स्कूलों और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ऐसे अभियान की बहुत जरूरत है.