ETV Bharat / state

106 साल की विरासत समेटे है जमशेदपुर का सेंट जॉर्ज चर्च, लोगों को है अटूट विश्वास

जमशेदपुर का 106 साल पुराना सेंट जॉर्ज चर्च इतिहास की कई यादें संजोए हुए है. ब्रिटिश काल में बना यह चर्च बिना ढलाई के है जो आज भी मजबूती से खड़ा है. कोरोना काल के दो साल बाद यहां क्रिसमस मनाए (Christmas Celebration at St George Church) जाने को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं.

Christmas 2022
जमशेदपुर का सेंट जॉर्ज चर्च
author img

By

Published : Dec 25, 2022, 10:23 AM IST

Updated : Dec 25, 2022, 11:44 AM IST

सेंट जॉर्ज चर्च के बारे में जानकारी देते पादरी

जमशेदपुर: सौ साल से ज्यादा पुराने शहर जमशेदपुर से कई इतिहास जुड़े हुए हैं. अंग्रेजों के जमाने का बना पूर्वी सिंहभूम जिला का सबसे पुराना सेंट जॉर्ज चर्च ऐतिहासिक चर्च (Christmas Celebration at St George Church) है. बिना ढलाई के बना यह चर्च आज भी मजबूती के साथ खड़ा है. जिससे लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ें: Video: देर रात यीशु मसीह के जन्म के साथ ही शुरू हुआ क्रिसमस का जश्न, सड़कों पर नाचते रहे लोग

जमशेदपुर में बिष्टुपुर नॉर्दन टाउन स्थित चर्च आजादी से पूर्व अंग्रेजों के शासन काल में बनाया गया 106 साल पुराना ऐतिहासिक चर्च है. सेंट जॉर्ज चर्च नाम से प्रचलित यह चर्च ईसाई धर्मावलंबियों के लिए खास है. कोरोना काल के बाद इस साल क्रिसमस को लेकर चर्च से जुड़े लोग काफी उत्साहित हैं.

गौरतलब है कि जमशेदपुर में सौ साल से ज्यादा पुरानी टाटा स्टील कंपनी को ब्रिटिश शासन काल मे स्थापित किया था. कंपनी में आये अंग्रेज अधिकारियों ने प्रार्थना के लिए नॉर्दन टाउन में एक बड़े क्षेत्र का चयन कर 28 दिसंबर 1914 में चर्च की नींव रखी. दो वर्ष में चर्च का निर्माण कार्य पूरा हुआ और 23 अपैल 1916 में कोलकाता से आये बिशप ने चर्च में प्राण प्रतिष्ठा की और पहली प्रार्थना सभा हुई. चर्च का नाम सेंट जॉर्ज चर्च रखा गया.

आपको बता दें कि टाटा स्टील में ब्लास्ट फर्नेस के लिए इंग्लैंड से ईंटें लाई गई थीं. जिससे सेंट जॉर्ज चर्च का निर्माण किया गया. बिना ढलाई और पिलर के गगन चुम्बी चर्च खड़ा है. चारों तरफ सुंदर मनमोहक फूलों की बागवानी की गई है. खास बात यह है कि टाटा स्टील ने चर्च के लिए खास घंटा बनवाया, जिसे चर्च में लगाया गया. इससे खास प्रकार की ध्वनि निकलती है.


चर्च में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रार्थना होती है. ठंड के मौसम में सुबह 8 बजे से 9.30 तक अंग्रेजी और 10 बजे से 11.30 बजे तक हिंदी में प्रार्थना होती है. जबकि गर्मी में सुबह 7.30 बजे से 9 बजे तक अंग्रेजी में और 10 बजे से 11.30 बजे तक हिंदी में प्रार्थना होती है. चर्च में बैठने के लिए लकड़ी के बैंच भी सौ साल से ज्यादा पुराने है, जो चर्च की शोभा बढ़ाते हैं.

निर्माण के बाद आज तक चर्च की मरम्मत करने की जरूरत नहीं पड़ी. बताया जाता है कि जमशेदपुर में स्थित कीनन स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के लिए जब जब वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की टीम आती थी. खिलाड़ी मैच से पूर्व सेंट जॉर्ज चर्च में प्रार्थना करने आते थे. चर्च के 22 वें फादर पतरस बताते है कि यह ऐतिहासिक चर्च है जो अंग्रेजों के जमाने का बना है. इस चर्च से शहर के अलावा आस- पास क्षेत्र के लोग भी जुड़े हैं. 3 हजार से ज्यादा लोग इस चर्च के सदस्य हैं.

कोरोना काल के बाद इस साल क्रिसमस को लेकर सभी उत्साहित है. प्रभु ईशु के जन्म के साथ एक खुशी का पल शुरू होता है जो समाज में भाई-चारे और प्रेम का संदेश देता है. फादर बताते हैं कि चर्च शहर के लिए एक धरोहर है. चर्च में अंग्रेज के समय का वाद्य यंत्र है, जिसकी आवाज काफी मनमोहक है. इस चर्च में लोगो की मन्नतें भी पूरी होती है.

चर्च से जुड़े डेविड बताते है कि उनके पूर्वज इस चर्च में आया करते थे और अब हमारा परिवार भी यहीं प्राथना करने आता है. यह सबसे पुराना चर्च है. यहां आने से मन को शांति मिलती है. इस बार क्रिसमस मनाने को लेकर हम काफी उत्साहित है. यहां काफी भीड़ होती है. बहरहाल सेंट जॉर्ज चर्च के हर एक हिस्से का अपना इतिहास है और यहां क्रिसमस मना कर लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.

सेंट जॉर्ज चर्च के बारे में जानकारी देते पादरी

जमशेदपुर: सौ साल से ज्यादा पुराने शहर जमशेदपुर से कई इतिहास जुड़े हुए हैं. अंग्रेजों के जमाने का बना पूर्वी सिंहभूम जिला का सबसे पुराना सेंट जॉर्ज चर्च ऐतिहासिक चर्च (Christmas Celebration at St George Church) है. बिना ढलाई के बना यह चर्च आज भी मजबूती के साथ खड़ा है. जिससे लोगों का विश्वास जुड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ें: Video: देर रात यीशु मसीह के जन्म के साथ ही शुरू हुआ क्रिसमस का जश्न, सड़कों पर नाचते रहे लोग

जमशेदपुर में बिष्टुपुर नॉर्दन टाउन स्थित चर्च आजादी से पूर्व अंग्रेजों के शासन काल में बनाया गया 106 साल पुराना ऐतिहासिक चर्च है. सेंट जॉर्ज चर्च नाम से प्रचलित यह चर्च ईसाई धर्मावलंबियों के लिए खास है. कोरोना काल के बाद इस साल क्रिसमस को लेकर चर्च से जुड़े लोग काफी उत्साहित हैं.

गौरतलब है कि जमशेदपुर में सौ साल से ज्यादा पुरानी टाटा स्टील कंपनी को ब्रिटिश शासन काल मे स्थापित किया था. कंपनी में आये अंग्रेज अधिकारियों ने प्रार्थना के लिए नॉर्दन टाउन में एक बड़े क्षेत्र का चयन कर 28 दिसंबर 1914 में चर्च की नींव रखी. दो वर्ष में चर्च का निर्माण कार्य पूरा हुआ और 23 अपैल 1916 में कोलकाता से आये बिशप ने चर्च में प्राण प्रतिष्ठा की और पहली प्रार्थना सभा हुई. चर्च का नाम सेंट जॉर्ज चर्च रखा गया.

आपको बता दें कि टाटा स्टील में ब्लास्ट फर्नेस के लिए इंग्लैंड से ईंटें लाई गई थीं. जिससे सेंट जॉर्ज चर्च का निर्माण किया गया. बिना ढलाई और पिलर के गगन चुम्बी चर्च खड़ा है. चारों तरफ सुंदर मनमोहक फूलों की बागवानी की गई है. खास बात यह है कि टाटा स्टील ने चर्च के लिए खास घंटा बनवाया, जिसे चर्च में लगाया गया. इससे खास प्रकार की ध्वनि निकलती है.


चर्च में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रार्थना होती है. ठंड के मौसम में सुबह 8 बजे से 9.30 तक अंग्रेजी और 10 बजे से 11.30 बजे तक हिंदी में प्रार्थना होती है. जबकि गर्मी में सुबह 7.30 बजे से 9 बजे तक अंग्रेजी में और 10 बजे से 11.30 बजे तक हिंदी में प्रार्थना होती है. चर्च में बैठने के लिए लकड़ी के बैंच भी सौ साल से ज्यादा पुराने है, जो चर्च की शोभा बढ़ाते हैं.

निर्माण के बाद आज तक चर्च की मरम्मत करने की जरूरत नहीं पड़ी. बताया जाता है कि जमशेदपुर में स्थित कीनन स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के लिए जब जब वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की टीम आती थी. खिलाड़ी मैच से पूर्व सेंट जॉर्ज चर्च में प्रार्थना करने आते थे. चर्च के 22 वें फादर पतरस बताते है कि यह ऐतिहासिक चर्च है जो अंग्रेजों के जमाने का बना है. इस चर्च से शहर के अलावा आस- पास क्षेत्र के लोग भी जुड़े हैं. 3 हजार से ज्यादा लोग इस चर्च के सदस्य हैं.

कोरोना काल के बाद इस साल क्रिसमस को लेकर सभी उत्साहित है. प्रभु ईशु के जन्म के साथ एक खुशी का पल शुरू होता है जो समाज में भाई-चारे और प्रेम का संदेश देता है. फादर बताते हैं कि चर्च शहर के लिए एक धरोहर है. चर्च में अंग्रेज के समय का वाद्य यंत्र है, जिसकी आवाज काफी मनमोहक है. इस चर्च में लोगो की मन्नतें भी पूरी होती है.

चर्च से जुड़े डेविड बताते है कि उनके पूर्वज इस चर्च में आया करते थे और अब हमारा परिवार भी यहीं प्राथना करने आता है. यह सबसे पुराना चर्च है. यहां आने से मन को शांति मिलती है. इस बार क्रिसमस मनाने को लेकर हम काफी उत्साहित है. यहां काफी भीड़ होती है. बहरहाल सेंट जॉर्ज चर्च के हर एक हिस्से का अपना इतिहास है और यहां क्रिसमस मना कर लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.

Last Updated : Dec 25, 2022, 11:44 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.