हजारीबाग: भारत अपने व्यंजन के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. हर एक क्षेत्र का कोई एक ऐसा व्यंजन जरूर है जिसकी चर्चा पूरे देश में होती है. हजारीबाग के टाटीझरिया का गुलाब जामुन की भी चर्चा आसपास के राज्यों से लेकर विदेश तक पहुंच चुकी है. यही कारण है कि जो भी व्यक्ति टाटीझरिया से गुजरता है, वह अपने साथ गुलाब जामुन ले जाना नहीं भूलता है. आज आपको बताते हैं कि किस तरह से गुलाब जामुन का व्यापार टाटीझरिया में चल रहा है और क्या खासियत है यहां के मिठाई की.
गुलाब जामुन की चर्चा हो और टाटीझरिया का नाम नहीं सामने आए तो यह बेमानी होगी. आमतौर पर गुलाब जामुन कई जगहों पर मिलता है. टाटीझरिया का जो गुलाब जामुन है उसका जोड़ कहीं नहीं है. यही कारण है कि लाखों रुपए का व्यवसाय महज 24 घंटे में हो जाता है. पहले एक छोटी झोपड़ी के दुकान से व्यापार शुरू हुआ था. धीरे-धीरे महज 500 मीटर के दायरे में एक दर्जन से अधिक गुलाब जामुन के दुकान हो गए हैं. बताया जाता है कि यहां के गुलाब जामुन का स्वाद देश के प्रधानमंत्री से लेकर विदेशों तक पहुंच चुका है. इस व्यंजन की चर्चा बंगाल के एक मशहूर साहित्यकार ने अपनी पुस्तक में भी की है.
गुलाब जामुन की बिक्री बढ़ने से यहां के दूध व्यवसाय को भी काफी बढ़ावा मिला है. घी के बने इस गुलाब जामुन के स्वाद की प्रशंसा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी कर चुके हैं. यहां के गुलाब जामुन का स्वाद लालू यादव, शिबू सोरेन, अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, शत्रुघ्न सिन्हा, महिमा चौधरी, चंद्रचूड़ सिंह, हरीश के अलावा कई मंत्री, अधिकारी और बॉलीवुड के कलाकारों ने लिया है. 1948 में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगला के सामने झोपड़ीनुमा होटल से शुरू हुए गुलाब जामुन के होटल अब आलीशान हो चुके हैं.
बताया जाता है कि 40 वर्ष पूर्व टाटीझरिया में हजारीबाग गिरिडीह मार्ग पर एक बुजुर्ग दंपती रहते थे. उनकी झोपड़ी में एक होटल हुआ करता था. उस समय लोग उन्हें प्रधान जी के नाम से बुलाते थे. उनके गुलाब जामुन उस मार्ग में यात्रा करने वालों के लिए पसंदीदा थे. जिस कारण उनके स्वर्गवास के बाद आस-पास के लोग उसी स्वाद और उसी नाम के साथ वहां कई होटल खोलते गए. जिस कारण अभी 50 से अधिक प्रधान जी होटल टाटीझरिया में संचालित हैं.
इस स्वादिष्ट गुलाब जामुन का स्वाद लेने के लिए आपको हजारीबाग से विष्णुगढ़ जाने वाले रोड में 30 किलोमीटर दूर जाना होगा. यहां हाइवे पर एक दर्जन से अधिक प्रधान होटल दिख जाएंगे. घी वाले गुलाब जामुन का रेट 20 रूपए पीस और 400 से 500 रुपए किलो के बीच है. 1948 में स्व वासुदेव चौधरी ने गुलाब जामुन बनाकर बेचने की शुरुआत की थी. तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि यह गुलाब जामुन न केवल क्षेत्र की पहचान बनेगा, बल्कि टाटीझरिया की व्यावसायिक क्षमता बढ़ाने का भी काम करेगा.
टाटीझरिया के गुलाब जामुन ने न केवल इस क्षेत्र की पहचान हजारीबाग जिले में बनाने का काम किया है, बल्कि झारखंड से लेकर बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान और बंगाल तक के लोग यहां के गुलाब जामुन के स्वाद की चर्चा करते हैं. गुलाब जामुन बनाने के लिए सबसे पहले दूध को धीमी आंच में गर्म कर खोवा तैयार किया जाता है. खोवा मसल कर और उसमे मैदा हल्का मिलाया जाता है. उसे लंबा-लंबा आकार दिया जाता है. घी में उसे फ्राई किया जाता है. फ्राई करते समय आंच को मध्यम रखा जाता है. फिर उसे केशर, इलायची और चीनी के एक तार में चासनी में डाल दिया जाता है.
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