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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती, नन्हें रचनाकारों ने किया कविता पाठ

जमशेदपुर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के मौके पर "साहित्य परंपरा" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. निश्चय फाउंडेशन, नन्हें रचनाकार और महिला काव्य मंच के संयुक्त प्रयास से "रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं" काव्य गोष्ठी आयोजित की गई. जिसमें बच्चों ने ऑनलाइन कविता पाठ किया.

birth anniversary of poet ramdhari singh dinkar was celebrated in jamshedpur
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती
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Published : Sep 24, 2020, 1:26 AM IST

जमशेदपुरः शहर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के मौके पर नन्हें रचनाकारों को देश की समृद्ध साहित्यिक परंपरा से अवगत करवाने के लिए "साहित्य परंपरा" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. निश्चय फाउंडेशन, नन्हें रचनाकार और महिला काव्य मंच के संयुक्त प्रयास से "रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं" काव्य गोष्ठी आयोजित की गई.

बच्चों ने किया कविता पाठ

इस दौरान विभिन्न अंग्रेजी और हिंदी विद्यालयों के 15 से ज्यादा बच्चों ने दिनकर जी की लिखी हुई बाल कविताओं और काव्य का पाठ किया. हर कविता के पाठ के बाद बच्चों ने कविता से मिलनेवाली सीख के बारे में भी विस्तार से अपने विचार रखे. कार्यक्रम की शुरुआत बाल कविता "चूहे की दिल्ली यात्रा" से हुई. वहीं इसके बाद कई नन्हें रचनाकारों ने दिनकर जी की प्रसिद्ध कविताएं चांद का कुर्ता, हमारे कृषक, कलम आज उनकी जय बोल, कृष्ण की चेतावनी, सूरज का ब्याह, भगवान के डाकिए, किसको नमन करूं मैं, दर्पण, कलम या कि तलवार, रह जाता कोई अर्थ नहीं, रोटी और स्वाधीनता और अन्य प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया. इससे पहले भाग लेने वाले बच्चों ने पिछले कई दिनों से रामधारी जी की रचनाओं का अध्य्यन किया था, और उन्होंने अपनी सबसे पसंदीदा रचना प्रस्तुत की.

नन्हें रचनाकार कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू "साहित्य परंपरा" अभियान का मुख्य उद्देश्य नन्हें रचनाकारों और युवाओं को भारत की अनमोल साहित्यिक विरासत से रूबरू करवाने के साथ-साथ बच्चों का साहित्य से जुड़ाव बढ़ाने को प्रेरित करना है, जिससे उनमें भाषा की समझ व व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आएगा, वही उनकी रचनात्मकता में भी तेजी से निखार आ सकता है.

'बच्चों में साहित्य के रूचि बढ़ाना'

कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूजा कुमारी ने बताया की हम पाठ्यपुस्तकों में जब यह कविताये पढ़ते थे, तब हम इन कविताओं को इतना संजीदगी से नहीं लेते थे. लेकिन ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने से हमें कविताओं को समझने में मदद मिल रही है. तरुण कुमार ने बताया की बच्चों में रचनात्मकता, भाषा की पकड़ और उनमें साहित्य के प्रति रुचि को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन लगातार किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- सरयू राय की पार्टी BJM मनाएगी दीनदयाल उपाध्याय की जयंती, बैठक में लिया निर्णय


कार्यक्रम के दौरान उमवि लक्ष्मीनगर, सेंट जोसफ हाई स्कूल, गोलमुरी, केरला समाजम मॉडल स्कूल, टैगोर अकेडमी विद्यालयों से आदित्य सिंह, पिंकी मोदक, निकिता कुमारी, अदिति सिंह, श्रेया कुमारी, एंजल रंधावा, सोनल कुमारी, रिचा कुमारी, मुस्कान कुमारी, अंशु कुमारी, ब्यूटी कुमारी, जूली कुमारी, सुधा कुमारी व अन्य बच्चों ने भाग लिया. कार्यक्रम का संचालन नन्हें रचनाकार पूजा महतो ने किया, वहीं पूनम महानंद, आरती शर्मा, ज्योति, तरुण कुमार, आशा पांडे और अन्य मेंटोर की भूमिका में रहे.

जमशेदपुरः शहर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के मौके पर नन्हें रचनाकारों को देश की समृद्ध साहित्यिक परंपरा से अवगत करवाने के लिए "साहित्य परंपरा" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. निश्चय फाउंडेशन, नन्हें रचनाकार और महिला काव्य मंच के संयुक्त प्रयास से "रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं" काव्य गोष्ठी आयोजित की गई.

बच्चों ने किया कविता पाठ

इस दौरान विभिन्न अंग्रेजी और हिंदी विद्यालयों के 15 से ज्यादा बच्चों ने दिनकर जी की लिखी हुई बाल कविताओं और काव्य का पाठ किया. हर कविता के पाठ के बाद बच्चों ने कविता से मिलनेवाली सीख के बारे में भी विस्तार से अपने विचार रखे. कार्यक्रम की शुरुआत बाल कविता "चूहे की दिल्ली यात्रा" से हुई. वहीं इसके बाद कई नन्हें रचनाकारों ने दिनकर जी की प्रसिद्ध कविताएं चांद का कुर्ता, हमारे कृषक, कलम आज उनकी जय बोल, कृष्ण की चेतावनी, सूरज का ब्याह, भगवान के डाकिए, किसको नमन करूं मैं, दर्पण, कलम या कि तलवार, रह जाता कोई अर्थ नहीं, रोटी और स्वाधीनता और अन्य प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया. इससे पहले भाग लेने वाले बच्चों ने पिछले कई दिनों से रामधारी जी की रचनाओं का अध्य्यन किया था, और उन्होंने अपनी सबसे पसंदीदा रचना प्रस्तुत की.

नन्हें रचनाकार कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू "साहित्य परंपरा" अभियान का मुख्य उद्देश्य नन्हें रचनाकारों और युवाओं को भारत की अनमोल साहित्यिक विरासत से रूबरू करवाने के साथ-साथ बच्चों का साहित्य से जुड़ाव बढ़ाने को प्रेरित करना है, जिससे उनमें भाषा की समझ व व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आएगा, वही उनकी रचनात्मकता में भी तेजी से निखार आ सकता है.

'बच्चों में साहित्य के रूचि बढ़ाना'

कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूजा कुमारी ने बताया की हम पाठ्यपुस्तकों में जब यह कविताये पढ़ते थे, तब हम इन कविताओं को इतना संजीदगी से नहीं लेते थे. लेकिन ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने से हमें कविताओं को समझने में मदद मिल रही है. तरुण कुमार ने बताया की बच्चों में रचनात्मकता, भाषा की पकड़ और उनमें साहित्य के प्रति रुचि को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम का आयोजन लगातार किया जाएगा.

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कार्यक्रम के दौरान उमवि लक्ष्मीनगर, सेंट जोसफ हाई स्कूल, गोलमुरी, केरला समाजम मॉडल स्कूल, टैगोर अकेडमी विद्यालयों से आदित्य सिंह, पिंकी मोदक, निकिता कुमारी, अदिति सिंह, श्रेया कुमारी, एंजल रंधावा, सोनल कुमारी, रिचा कुमारी, मुस्कान कुमारी, अंशु कुमारी, ब्यूटी कुमारी, जूली कुमारी, सुधा कुमारी व अन्य बच्चों ने भाग लिया. कार्यक्रम का संचालन नन्हें रचनाकार पूजा महतो ने किया, वहीं पूनम महानंद, आरती शर्मा, ज्योति, तरुण कुमार, आशा पांडे और अन्य मेंटोर की भूमिका में रहे.

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