पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला अनुमंडल स्थित धालभूमगढ़ प्रखंड के अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी लापरवाही सामने आई है. कोकपाड़ा हाई स्कूल के बजाए पंचायत भवन में शरण लेने वाले 27 लोगों को दिनभर भूखे प्यासे रहना पड़ा, जब इसकी भनक अधिकारियों को लगी तो रात को 11 बजे भोजन की व्यवस्था करायी गयी.
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शरण लेने वालों में रोष
इससे शरण लेने वाले लोगों में काफी रोष है. बता दें कि यास चक्रवात तूफान को लेकर कोकपाड़ा पंचायत भवन शेल्टर होम में आंधी तूफान से बचने के लिए 27 लोग शरण लेने पहुंचे लेकिन दिन भर किसी सरकारी कर्मचारी ने नाश्ते और भोजन के लिए नहीं पूछा इस वजह से शेल्टर होम में बच्चे और महिलाओं को परिवार के साथ दिन भर भूखे प्यासे रहना पड़ा जिससे अब शरण लेने वाले बेहद नाराज हैं.
पंचायत भवन में शरण लिए लोगों ने बताया कि वे लोग अपने परिवार के साथ पंचायत भवन शेल्टर होम सुबह 8:00 बजे पहुंच गए थे लेकिन न तो दिनभर प्रशासन की ओर से और ना ही जनप्रतिनिधियों की ओर से भोजन नाश्ता के लिए कुछ व्यवस्था की गई. मजबूरन सभी को देर रात तक भूखे रहना पड़ा.
उपप्रमुख ने लिया जाएजा
रात लगभग 8:30 बजे कुड़मी संस्कृति विकास समिति के अध्यक्ष सह उप प्रमुख सपन कुमार महतो ने पंचायत भवन जाकर जायजा लिया. इस दौरान अंधेरे में सभी लोगों को भूखे प्यासे बैठे देखा. सुबह से भूखे रहने की बात सुनकर तुरंत सूखे नाश्ता की व्यवस्था करायी. उसके बाद कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी.
रात 10 बजे मिला खाना
खबर सुनकर कोकपाड़ा पंचायत के पंचायत समिति सदस्य काजल भालुक के पति संजीव भालुक ने आकर आश्रित लोगों को आश्वासन देते हुए बताया कि प्रशासन की ओर से यदि एक घंटा के अंदर कुछ व्यवस्था नहीं की जाती है तो वे निजी स्तर से भोजन की व्यवस्था करेंगे. रात 10:00 बजे तक जब प्रशासन की ओर से भोजन के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं हुई तो संजीव भालुक के प्रयास से पंचायत भवन में रह रहे सभी आश्रितों को खाने की व्यवस्था करायी गयी.
प्रशासन ने रात 11 बजे दिया खाना
उसके बाद प्रशासन की ओर से रात 11:00 बजे खिचड़ी और मूढी पहुंचाई गई. इस दौरान आश्रित लोगों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए प्रशासन की ओर से इस प्रकार की संवेदनहीनता को लेकर नाराजगी जताई. इस विषय में बीडीओ शालिनी खालको से पूछने पर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उच्च विद्यालय कोकपाड़ा को शेल्टर होम बनाया गया था इसलिए ऐसी दिक्कत हुई.