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संस्थापक दिवस के दिन टाटा ग्रुप कंपनी परिसर में रखा जाता है एक मिनट का मौन? जानें क्यों

जमशेदपुर और टाटा स्टील कंपनी के संस्थापक जेएन टाटा के जन्मदिन 3 मार्च को टाटा ग्रुप संस्थापक दिवस के रूप में मनाती है. पिछले 32 वर्ष से टाटा ग्रुप संस्थापक दिवस पर कंपनी परिसर में एक मिनट का मौन भी रखा जाता है. समारोह में आखिर ये एक मिनट मौन रखने की परंपरा क्यों है? आखिर ऐसा क्या हुआ था कि खुशी के पल में मौन रखा जाता है?

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टाटा ग्रुप कंपनी परिसर
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Published : Mar 4, 2021, 7:21 AM IST

Updated : Mar 5, 2021, 5:26 PM IST

जमशेदपुरः जेएन टाटा की सोच और दूरदर्शिता के कारण टाटा स्टील की स्थापना हुई और जमशेदपुर शहर बना. टाटा स्टील जेएन टाटा के जन्मदिन 3 मार्च को संस्थापक दिवस के रूप में मनाती है. संस्थापक दिवस में टाटा ग्रुप के चेयरमैन और एमडी के अलावा वरीय अधिकारी जेएन टाटा को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. इस दिन पूरे शहर की रौनक देखते बनती है. समारोह के दौरान एक मिनट का मौन भी रखा जाता है. ये मौन क्यों रखा जाता है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार बिनोद शरण से बात की.

जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार

इसे भी पढ़ें- 100 साल पुराने टाटा शहर का सफर, जमशेदजी नसरवान जी टाटा ने रखी थी नींव


साल 1988 में संथापक दिवस के दिन आयोजन के दौरान घटी एक घटना को आज भी टाटा ग्रुप नहीं भुला सका है. आज भी पुराने लोग उस घटना को याद कर सहम जाते हैं. शहर के वरिष्ठ पत्रकार बिनोद शरण बताते हैं कि 1988 में 3 मार्च के दिन कंपनी परिसर में स्थापित जेएन टाटा की विशालकाय मूर्ति के पास 149वां जयंती समारोह मनाया जा रहा था. टाटा ग्रुप के चेयरमैन, एमडी, अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के साथ मौजूद थे. शहर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में संस्थापक दिवस पर झांकिया निकाली जा रही थी. इस आयोजन में कई विदेशी मेहमान भी शामिल थे. एक भव्य पंडाल में बैठकर लोग संस्थापक दिवस का आनंद ले रहे थे. इसी दौरान एक अनहोनी हो गई.

1 minute silence is observed in Tata group company on Founder's Day in jamshedpur
संस्थापक दिवस पर मौन

इसे भी पढ़ें- जेएन टाटा की जयंती पर रोशनी से जगमगाया जमशेदपुर, सतरंगी रोशनी से नहाए चौराहे

संस्थापक दिवस के दिन लगी थी आग

बिनोद शरण बताते हैं रिपोर्टिंग के दौरान यह पता चला कि पंडाल में शॉर्ट सर्किट से एक कोने में आग लग गई है. कुछ ही पल में आग ने विकराल रूप ले लिया और कई लोगों की सांसें थम गईं. वो बताते हैं कि तत्काल ही अग्निशमन की गाड़ियां पहुंची और सभी झुलसे लोगों को टीएमएच ले जाया गया. यह घटना सुबह 9 बजे के आसपास की थी. टीएमएच में बर्न यूनिट छोटा था, लिहाजा एक पूरे वार्ड को बर्न यूनिट में तब्दील कर दिया गया. पूरा तंत्र लोगों को बचाने जुट गया. टाटा स्टील के लिए एक चुनौती भरा पल था. कंपनी ने घायलों को हरसंभव इलाज और सुविधा देने की कोशिश की. कहा जाता है कि आग में झुलसे लोगों को बेहतर इलाज के लिए विदेश तक भेजा गया था.


हादसे में 58 लोगों की हुई थी मौत

बिनोद शरण बताते हैं कि उस दौर में पत्रकार कम थे लेकिन वहां मौजूद सभी लोग हताहतों की मदद कर रहे थे. उस दौरान यह देखने को मिला कि अस्पताल में एक जगह तत्कालीन सीएमडी रूसी मोदी बैठे थे और उनकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे. उन्होंने यह आदेश दिया था कि हर हाल में इलाज की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. टाटा स्टील पूरी तरह संवेदना के इस घटना में हताहतों के साथ खड़ी रही. इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी देने में कंपनी ने कोई कमी नहीं छोड़ी, सच्चाई के साथ टाटा स्टील के कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन ने सारी जानकारी को पत्रकारों से साझा किया. यह बताया गया कि 58 लोगों की जलने से मौत हो गई है.

1 minute silence is observed in Tata group company on Founder's Day in jamshedpur
टाटा ग्रुप का संस्थापक दिवस

इसे भी पढ़ें- चुनौतियों का सामना कर टाटा ग्रुप लगातार आगे बढ़ रहाः एन चंद्रशेखरन


मृतकों के परिजनों को आजीवन मदद
इस घटना के बाद टाटा स्टील ने जिस तरह से अपनी जिम्मेदारी को निभाया है, ऐसा किसी भी कॉरपोरेट की ओर से करना असंभव था. टाटा ने मृतकों के परिजनों को आवंटित घरों को उन्हें हमेशा के लिए दे दिया. उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च आजीवन वहन किया और कंपनी में नौकरी भी दी. इसके साथ ही आग में झुलसे लोगों को बेहतर इलाज के लिए अमेरिका तक भेजा गया.

साल 1988 की घटना के बाद से संस्थापक दिवस मनाने की रूपरेखा में काफी बदलाव लाया गया है. संस्थापक दिवस पर टाटा ग्रुप घटना में मृतकों को याद उनके लिए एक मिनट का मौन रखता है, जो परंपरा आज भी चली आ रही है.

जमशेदपुरः जेएन टाटा की सोच और दूरदर्शिता के कारण टाटा स्टील की स्थापना हुई और जमशेदपुर शहर बना. टाटा स्टील जेएन टाटा के जन्मदिन 3 मार्च को संस्थापक दिवस के रूप में मनाती है. संस्थापक दिवस में टाटा ग्रुप के चेयरमैन और एमडी के अलावा वरीय अधिकारी जेएन टाटा को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. इस दिन पूरे शहर की रौनक देखते बनती है. समारोह के दौरान एक मिनट का मौन भी रखा जाता है. ये मौन क्यों रखा जाता है, ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार बिनोद शरण से बात की.

जानकारी देते वरिष्ठ पत्रकार

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साल 1988 में संथापक दिवस के दिन आयोजन के दौरान घटी एक घटना को आज भी टाटा ग्रुप नहीं भुला सका है. आज भी पुराने लोग उस घटना को याद कर सहम जाते हैं. शहर के वरिष्ठ पत्रकार बिनोद शरण बताते हैं कि 1988 में 3 मार्च के दिन कंपनी परिसर में स्थापित जेएन टाटा की विशालकाय मूर्ति के पास 149वां जयंती समारोह मनाया जा रहा था. टाटा ग्रुप के चेयरमैन, एमडी, अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के साथ मौजूद थे. शहर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में संस्थापक दिवस पर झांकिया निकाली जा रही थी. इस आयोजन में कई विदेशी मेहमान भी शामिल थे. एक भव्य पंडाल में बैठकर लोग संस्थापक दिवस का आनंद ले रहे थे. इसी दौरान एक अनहोनी हो गई.

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संस्थापक दिवस पर मौन

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संस्थापक दिवस के दिन लगी थी आग

बिनोद शरण बताते हैं रिपोर्टिंग के दौरान यह पता चला कि पंडाल में शॉर्ट सर्किट से एक कोने में आग लग गई है. कुछ ही पल में आग ने विकराल रूप ले लिया और कई लोगों की सांसें थम गईं. वो बताते हैं कि तत्काल ही अग्निशमन की गाड़ियां पहुंची और सभी झुलसे लोगों को टीएमएच ले जाया गया. यह घटना सुबह 9 बजे के आसपास की थी. टीएमएच में बर्न यूनिट छोटा था, लिहाजा एक पूरे वार्ड को बर्न यूनिट में तब्दील कर दिया गया. पूरा तंत्र लोगों को बचाने जुट गया. टाटा स्टील के लिए एक चुनौती भरा पल था. कंपनी ने घायलों को हरसंभव इलाज और सुविधा देने की कोशिश की. कहा जाता है कि आग में झुलसे लोगों को बेहतर इलाज के लिए विदेश तक भेजा गया था.


हादसे में 58 लोगों की हुई थी मौत

बिनोद शरण बताते हैं कि उस दौर में पत्रकार कम थे लेकिन वहां मौजूद सभी लोग हताहतों की मदद कर रहे थे. उस दौरान यह देखने को मिला कि अस्पताल में एक जगह तत्कालीन सीएमडी रूसी मोदी बैठे थे और उनकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे. उन्होंने यह आदेश दिया था कि हर हाल में इलाज की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. टाटा स्टील पूरी तरह संवेदना के इस घटना में हताहतों के साथ खड़ी रही. इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी देने में कंपनी ने कोई कमी नहीं छोड़ी, सच्चाई के साथ टाटा स्टील के कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन ने सारी जानकारी को पत्रकारों से साझा किया. यह बताया गया कि 58 लोगों की जलने से मौत हो गई है.

1 minute silence is observed in Tata group company on Founder's Day in jamshedpur
टाटा ग्रुप का संस्थापक दिवस

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मृतकों के परिजनों को आजीवन मदद
इस घटना के बाद टाटा स्टील ने जिस तरह से अपनी जिम्मेदारी को निभाया है, ऐसा किसी भी कॉरपोरेट की ओर से करना असंभव था. टाटा ने मृतकों के परिजनों को आवंटित घरों को उन्हें हमेशा के लिए दे दिया. उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च आजीवन वहन किया और कंपनी में नौकरी भी दी. इसके साथ ही आग में झुलसे लोगों को बेहतर इलाज के लिए अमेरिका तक भेजा गया.

साल 1988 की घटना के बाद से संस्थापक दिवस मनाने की रूपरेखा में काफी बदलाव लाया गया है. संस्थापक दिवस पर टाटा ग्रुप घटना में मृतकों को याद उनके लिए एक मिनट का मौन रखता है, जो परंपरा आज भी चली आ रही है.

Last Updated : Mar 5, 2021, 5:26 PM IST
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