दुमका: पति की लंबी आयु एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए महिलाओं ने वट सावित्री का पूजन किया.जामा प्रखंड अंतर्गत सिरसानाथ, लकडा़पहाडी़, पलासी, महारों, लक्ष्मीपुर ,भैरवपुर, जामा, ताराजोरा, बाबू कदेली,बागझोपा, सहित विभिन्न गांवों में महिलाओं ने वट सावित्री का पूजन विधि- विधान से किया.
महिलाओं के लिए वट सावित्री का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट टल जाते हैं और उसकी आयु लंबी हो जाती है.
यही नहीं अगर दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो वह भी इस व्रत के प्रताप से दूर हो जाते हैं. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे धागा एवं फल मेवा चढ़ाकर पूजा-अर्चना करती हैं.
इस दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट टल जाते हैं और उसकी आयु लंबी हो जाती है. यही नहीं अगर दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो वह भी इस व्रत के प्रताप से दूर हो जाते हैं.
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सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे कच्चे धागा एवं फल मेवा चढ़ा कर पूजा-अर्चना करती हैं.
इस दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है. मान्यता है कि इस कथा को सुनने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले आने में सफल हो गई थी. वट सावित्री व्रत के दिन ही शनि जयंती भी मनाई जाती है.