दुमका: सभी सरकारी स्कूलों की तरह दुमका के सदर प्रखंड के बनकाठी गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय भी लॉकडाउन में बंद है. सरकार ने ऑनलाइन और डिजिटल तरीके के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा है, लेकिन गांव में उतनी समृद्धि नहीं है कि सभी बच्चों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन हो. ऐसे में इस विद्यालय के शिक्षकों ने अनोखा उपाय खोज निकाला है, जिससे बच्चे पढ़ने में अपनी रूची भी दिखा रहे हैं.
लॉकडाउन का असर शिक्षा पर भी गहरा पड़ा है. नियमित रूप से संचालित होने वाले स्कूल-कॉलेज महीनों से बंद पड़े हैं और आगे भी खुलने की तिथि स्पष्ट नहीं हुई है. ऐसे में सरकार स्कूल और कॉलेजों को ऑनलाइन पढ़ाने का आदेश दिया है. कई निजी स्कूलों के बच्चे घर से ही ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं. सरकार ने सरकारी स्कूलों को भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कहा है, लेकिन उचित संसाधन नहीं होने के कारण कई बच्चे इस से वंचित हैं. सदर प्रखंड के बनकाठी गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय भी लॉकडाउन में बंद है. यहां के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है. स्कूल की ओर से माइक और लाउडस्पीकर की व्यवस्था की गई है. आवाज ज्यादा दूर तक पहुंचे इसके लिए स्पीकर को पेड़ के ऊपर लगा दिया गया है. बच्चों को घर-घर से शिक्षकों ने बुलाकर गांव के सामुदायिक चबूतरा और उसके आसपास के इलाकों में बैठा दिया है. स्मार्टफोन से माइक को जोड़कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय बनकाठी के प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह गांधी ने बताया कि हमारे स्कूल में 246 बच्चे हैं. जबकि 42 बच्चे के अभिभावकों के पास ही स्मार्टफोन मौजूद है. इसे देखते हुए उन्होंने माइक-लाउडस्पीकर की व्यवस्था कर बच्चों की पढ़ाई शुरू कर दी है. यह काफी फायदेमंद साबित हो रहा है और बच्चे भी काफी रुचि ले रहे हैं.
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क्या कहना हैं स्कूल के छात्रों का
इस संबंध में बनकाठी विद्यालय के छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह नजर आ रहा है. उनकी पढ़ाई बाधित हो रही थी, लेकिन शिक्षकों के इस प्रयास से अब पढ़ाई शुरू हो गई है. जिससे बच्चे काफी खुश नजर आ रहे हैं और रूचि भी ले रहे हैं. काफी संख्या में बच्चे पढ़ाई करने पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि हमारे घर में मोबाइल नहीं है, पर हमारे शिक्षक माइक लगा कर हमें पढ़ा रहे हैं. एक कहावत है 'जहां चाह है, वहां राह है'. इस कहावत को काफी हद तक दुमका के बनकाठी विद्यालय के शिक्षकों और बच्चों ने कर दिखाया है. लंबे समय से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही थी. डिजिटल पढ़ाई की बात आई तो मोबाइल की संख्या कम पड़ गई. ऐसे में स्कूल के शिक्षक जिस तरह के तरीके का इजाद कर बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं वह काफी सराहनीय है. इस कार्य की प्रशंसा पूरे क्षेत्र में हो रही है.