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दुमकाः जले मरीजों का जनरल सर्जरी वार्ड में किया जा रहा इलाज, मरीजों पर संक्रमण का खतरा

दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल स्टाफ की कमी की समस्या से जूझ रहा है. नतीजतन यहां जले मरीजों का जनरल सर्जरी वार्ड में ही इलाज किया जा रहा है. इसके चलते यहां इलाज करा रहे छह मरीजों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.

Treatment of burn patients in General Surgery Ward in Dumka Medical College
जले मरीजों का जनरल सर्जरी वार्ड में किया जा रहा इलाज
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Published : Jan 9, 2021, 8:50 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 9:40 PM IST

दुमका: दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल स्टाफ की कमी की समस्या से जूझ रहा है, नतीजतन खानापूरी के लिए अस्पताल प्रबंधन ने नया तरीका निकाल लिया है. इस तरीके को अपनाने में मरीजों के जीवन की चिंता को भी दरकिनार कर दिया गया.

दरअसल, जिले की स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ माने जाने वाले दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इन दिनों जले मरीजों का इलाज अस्पताल के जनरल सर्जरी वार्ड में किया जा रहा है. इस वार्ड में दूसरे रोगी भी होते हैं, जिससे जले मरीजों के संक्रमित होने का खतरा रहता है. ऐसा नहीं है कि यहां बर्न यूनिट नहीं है, मगर उसका दूसरे काम में इस्तेमाल किया जा रहा है. जिम्मेदार इसके लिए बर्न यूनिट के लिए प्लास्टिक सर्जन न होने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वर्तमान में भी इस वार्ड में छह मरीजों का इलाज किया जा रहा है, लेकिन दूसरे रोगियों के साथ इलाज के खतरे की ओर से मुंह फेर लिया गया है.

देखें पूरी खबर


बर्न यूनिट को बना दिया गया यक्ष्मा केंद्र
बता दें कि डीएमसीएच कैंपस में लगभग एक करोड़ की लागत से 4 वर्ष पूर्व बर्न यूनिट बनवाई गई थी. लेकिन इसमें जले मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता. जानकारी के मुताबिक इस भवन को यक्ष्मा केंद्र बना दिया गया है. इससे जिले के जले मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. इससे तीमारदारों को मरीजों की चिंता सताती रहती है.

Treatment of burn patients in Dumka Medical College
दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल


ये भी पढ़ें-झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी, कैसे सुधरेगी उच्च शिक्षा की स्थिति ?

तीमारदार रहते हैं चिंतित
यहां के स्थानीय अमरेंद्र ने बताया कि अस्पताल में आग से झुलसे मरीजों के लिए बनवाया गया है पर जले मरीजों का इलाज दूसरे मरीजों के साथ किया जा रहा है, जबकि जले मरीजों का इलाज अलग से होना चाहिए. डीएमसीएच प्रबंधन इसके खतरे की ओर सचेत नहीं है. जनरल वार्ड में जले हुए मरीजों का इलाज खतरनाक हो सकता है. जनरल वार्ड के अगल-बगल के जो चार-पांच कमरे हैं, वहां दर्जनों मरीज अन्य बीमारियों के हैं. यह जले मरीजों में संक्रमण फैला सकता है, जो उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. वहीं एक तीमारदार ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि बर्न यूनिट में ही जले हुए मरीजों का इलाज हो.

Treatment of burn patients in General Surgery Ward in Dumka Medical College
Treatment of burn patients in General Surgery Ward in Dumka Medical College
प्लास्टिक सर्जन न होने से दिक्कतइधर डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि संसाधनों के अभाव में बर्न यूनिट को चालू नहीं किया जा सका है. अभी उसमें यक्ष्मा केन्द्र चला रहे हैं, उनका कहना है कि आग से झुलसे मरीजों के लिए प्लास्टिक सर्जन भी होने चाहिए, लेकिन यहां वे उपलब्ध नहीं हैं. डॉ. रविंद्र कुमार कहते हैं कि सरकार को मामले की जानकारी है.

दुमका: दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल स्टाफ की कमी की समस्या से जूझ रहा है, नतीजतन खानापूरी के लिए अस्पताल प्रबंधन ने नया तरीका निकाल लिया है. इस तरीके को अपनाने में मरीजों के जीवन की चिंता को भी दरकिनार कर दिया गया.

दरअसल, जिले की स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ माने जाने वाले दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इन दिनों जले मरीजों का इलाज अस्पताल के जनरल सर्जरी वार्ड में किया जा रहा है. इस वार्ड में दूसरे रोगी भी होते हैं, जिससे जले मरीजों के संक्रमित होने का खतरा रहता है. ऐसा नहीं है कि यहां बर्न यूनिट नहीं है, मगर उसका दूसरे काम में इस्तेमाल किया जा रहा है. जिम्मेदार इसके लिए बर्न यूनिट के लिए प्लास्टिक सर्जन न होने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वर्तमान में भी इस वार्ड में छह मरीजों का इलाज किया जा रहा है, लेकिन दूसरे रोगियों के साथ इलाज के खतरे की ओर से मुंह फेर लिया गया है.

देखें पूरी खबर


बर्न यूनिट को बना दिया गया यक्ष्मा केंद्र
बता दें कि डीएमसीएच कैंपस में लगभग एक करोड़ की लागत से 4 वर्ष पूर्व बर्न यूनिट बनवाई गई थी. लेकिन इसमें जले मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता. जानकारी के मुताबिक इस भवन को यक्ष्मा केंद्र बना दिया गया है. इससे जिले के जले मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. इससे तीमारदारों को मरीजों की चिंता सताती रहती है.

Treatment of burn patients in Dumka Medical College
दुमका मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल


ये भी पढ़ें-झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी, कैसे सुधरेगी उच्च शिक्षा की स्थिति ?

तीमारदार रहते हैं चिंतित
यहां के स्थानीय अमरेंद्र ने बताया कि अस्पताल में आग से झुलसे मरीजों के लिए बनवाया गया है पर जले मरीजों का इलाज दूसरे मरीजों के साथ किया जा रहा है, जबकि जले मरीजों का इलाज अलग से होना चाहिए. डीएमसीएच प्रबंधन इसके खतरे की ओर सचेत नहीं है. जनरल वार्ड में जले हुए मरीजों का इलाज खतरनाक हो सकता है. जनरल वार्ड के अगल-बगल के जो चार-पांच कमरे हैं, वहां दर्जनों मरीज अन्य बीमारियों के हैं. यह जले मरीजों में संक्रमण फैला सकता है, जो उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. वहीं एक तीमारदार ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि बर्न यूनिट में ही जले हुए मरीजों का इलाज हो.

Treatment of burn patients in General Surgery Ward in Dumka Medical College
Treatment of burn patients in General Surgery Ward in Dumka Medical College
प्लास्टिक सर्जन न होने से दिक्कतइधर डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि संसाधनों के अभाव में बर्न यूनिट को चालू नहीं किया जा सका है. अभी उसमें यक्ष्मा केन्द्र चला रहे हैं, उनका कहना है कि आग से झुलसे मरीजों के लिए प्लास्टिक सर्जन भी होने चाहिए, लेकिन यहां वे उपलब्ध नहीं हैं. डॉ. रविंद्र कुमार कहते हैं कि सरकार को मामले की जानकारी है.
Last Updated : Jan 9, 2021, 9:40 PM IST
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