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संसाधनों की कमी से जूझ रहा है दुमका का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

लोगों के फायदे के लिए बनाए गए संस्थान देखरेख के अभाव में बेकार होने लगते हैं. इसका एक उदाहरण देखने को मिलता है दुमका में, जहां बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बना तो करोड़ खर्च के बाद, लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है.

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Published : Jun 2, 2023, 12:31 PM IST

Updated : Jun 2, 2023, 12:42 PM IST

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दुमकाः सरकार जनता के हित में करोड़ों खर्च कर बड़े-बड़े संस्थान स्थापित कर देती है पर उसका लाभ लोगों को मिला या नहीं इसकी मॉनिटरिंग नहीं करती. इसका एक बड़ा नमूना दुमका में स्थापित बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र है. किसानों को लाभ देने के बजाय यह खुद संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.

ये भी पढ़ेंः Dumka News: दुमका के जामाबहियार गांव में पेयजल की समस्या, खराब चापानल और जल मीनार को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश

क्या है पूरा मामलाः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र दुमका में स्थापित किया गया है. यह लगभग 100 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है. यहां नए-नए अनुसंधान कर कृषि क्षेत्र और कृषि उत्पादन को विकसित करना है. इस रिसर्च सेंटर की जिम्मेदारी तो बहुत है क्योंकि इसका कार्य क्षेत्र संथाल परगना के छह जिलों के अतिरिक्त गिरिडीह, धनबाद, कोडरमा, बोकारो, रामगढ़, चतरा और हजारीबाग तक फैला हुआ है. संस्थान बड़ा है, कार्यक्षेत्र काफी फैला हुआ है, इसके बावजूद यह खुद संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. जिससे यह अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रहा.

15 की जगह 3 कृषि वैज्ञानिक हैं पदास्थापितः सबसे ज्यादा कमी यहां कृषि वैज्ञानिकों की है. यहां वरीय कृषि वैज्ञानिक के 3 पद और कनीय कृषि वैज्ञानिक के 12 पद कुल 15 कृषि वैज्ञानिकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन पदस्थापित हैं सिर्फ 3. यही हाल यहां के कर्मियों का है. लगभग 25% कर्मी से ही संचालित हो रहा है. संस्थान के सह निदेशक राकेश कुमार भी कहते हैं कि वैज्ञानिकों की काफी कमी है. इससे परेशानी है लेकिन यह बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति के संज्ञान में है और इस दिशा में आवश्यक पहल की जा रही है.

प्रयोगशालाएं हैं बदहाल स्थिति मेंः इस कृषि अनुसंधान के लिए कई प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, लेकिन इसमें भी संसाधनों की कमी की वजह से यह बदहाल है. लगभग एक करोड़ की लागत से एक उत्तक संवर्धन प्रयोगशाला यहां स्थापित किया गया था. जिसमें केला, पपीता, बांस जैसे अन्य पौधे उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध कराना है. लेकिन लंबे समय से इसका आउटपुट नगण्य है. दुमका के किसान भी इसे सुचारू रूप से चलाने की मांग कर रहे हैं.

क्या कहते हैं कृषि मंत्रीः इस संबंध में हमने सीधे झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बात की. उन्होंने कहा कि सचिव के स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी और सबकुछ ठीक किया जाएगा.

आवश्यक पहल हो जल्द से जल्दः केंद्र या राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई नई योजनाएं चला रही हैं पर यह तब संभव होगा जब किसानों के हित में तैयार संस्थान सही ढंग से काम करे और उसका पूरा लाभ किसानों को मिले. दुमका के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र को दुरूस्त करने की दिशा में आवश्यक पहल करने की आवश्यकता है.

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दुमकाः सरकार जनता के हित में करोड़ों खर्च कर बड़े-बड़े संस्थान स्थापित कर देती है पर उसका लाभ लोगों को मिला या नहीं इसकी मॉनिटरिंग नहीं करती. इसका एक बड़ा नमूना दुमका में स्थापित बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र है. किसानों को लाभ देने के बजाय यह खुद संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.

ये भी पढ़ेंः Dumka News: दुमका के जामाबहियार गांव में पेयजल की समस्या, खराब चापानल और जल मीनार को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश

क्या है पूरा मामलाः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची का क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र दुमका में स्थापित किया गया है. यह लगभग 100 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है. यहां नए-नए अनुसंधान कर कृषि क्षेत्र और कृषि उत्पादन को विकसित करना है. इस रिसर्च सेंटर की जिम्मेदारी तो बहुत है क्योंकि इसका कार्य क्षेत्र संथाल परगना के छह जिलों के अतिरिक्त गिरिडीह, धनबाद, कोडरमा, बोकारो, रामगढ़, चतरा और हजारीबाग तक फैला हुआ है. संस्थान बड़ा है, कार्यक्षेत्र काफी फैला हुआ है, इसके बावजूद यह खुद संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. जिससे यह अपने उद्देश्यों पर खरा नहीं उतर पा रहा.

15 की जगह 3 कृषि वैज्ञानिक हैं पदास्थापितः सबसे ज्यादा कमी यहां कृषि वैज्ञानिकों की है. यहां वरीय कृषि वैज्ञानिक के 3 पद और कनीय कृषि वैज्ञानिक के 12 पद कुल 15 कृषि वैज्ञानिकों के पद स्वीकृत हैं लेकिन पदस्थापित हैं सिर्फ 3. यही हाल यहां के कर्मियों का है. लगभग 25% कर्मी से ही संचालित हो रहा है. संस्थान के सह निदेशक राकेश कुमार भी कहते हैं कि वैज्ञानिकों की काफी कमी है. इससे परेशानी है लेकिन यह बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति के संज्ञान में है और इस दिशा में आवश्यक पहल की जा रही है.

प्रयोगशालाएं हैं बदहाल स्थिति मेंः इस कृषि अनुसंधान के लिए कई प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, लेकिन इसमें भी संसाधनों की कमी की वजह से यह बदहाल है. लगभग एक करोड़ की लागत से एक उत्तक संवर्धन प्रयोगशाला यहां स्थापित किया गया था. जिसमें केला, पपीता, बांस जैसे अन्य पौधे उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध कराना है. लेकिन लंबे समय से इसका आउटपुट नगण्य है. दुमका के किसान भी इसे सुचारू रूप से चलाने की मांग कर रहे हैं.

क्या कहते हैं कृषि मंत्रीः इस संबंध में हमने सीधे झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से बात की. उन्होंने कहा कि सचिव के स्तर पर इसकी समीक्षा की जाएगी और सबकुछ ठीक किया जाएगा.

आवश्यक पहल हो जल्द से जल्दः केंद्र या राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई नई योजनाएं चला रही हैं पर यह तब संभव होगा जब किसानों के हित में तैयार संस्थान सही ढंग से काम करे और उसका पूरा लाभ किसानों को मिले. दुमका के क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र को दुरूस्त करने की दिशा में आवश्यक पहल करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Jun 2, 2023, 12:42 PM IST

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