दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में लगभग चार हजार आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका (Anganwadi Sevika Sahayika in Dumka) समेत समाज कल्याण विभाग की सुपरवाइजर, सीडीपीओ और डीएसडब्ल्यूओ (DSWO-District Social Welfare Officer) को आठ से दस माह का वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण उनका घर चलाना मुश्किल हो गया. वेतन नहीं मिलने से उनके सामने इतनी गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है कि वे बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं, यहां तक कि दवाइयां खरीदने में भी परेशानी आ रही है.
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लगभग चार हजार आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका का मानदेय आठ माह से बंद: सबसे पहले हम बात करते हैं आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका की. दुमका में 2060 आंगनवाड़ी केंद्र है, जिसमें लगभग 4000 सेविका और सहायिका काम करती हैं. इन सभी को लगभग 7 से 8 माह का मानदेय (salary for eight months) प्राप्त नहीं हो पाया है. ईटीवी भारत की टीम ने नमूने के तौर पर सदर प्रखंड के कड़हलबिल गांव में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र का जायजा लिया और यहां की सेविका-सहायिका से बात की. उन्होंने बताया कि उन्हें 8 माह से मानदेय नहीं मिला है. इसके बावजूद वे अपनी ड्यूटी कर रही हैं.
सेविका-सहायिका ने दी ये जानकारी: कड़हलबिल आंगनवाड़ी केंद्र की सेविका अमोला बास्की और सहायिका निली हेंब्रम ने बताया कि हमें आठ माह से मानदेय प्राप्त नहीं हो रहा है. जिससे हमारी आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई है. उन्होंने कहा कि अगर हमें मानदेय प्राप्त नहीं होगा तो हम अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे. उनकी स्कूल की फीस कैसे भरेंगे. घर का राशन कहां से लाएंगे. वे सरकार से जल्द से जल्द मानदेय भुगतान की मांग कर रही हैं. साथ ही साथ उनका कहना है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि महीने के 1 से 5 तारीख के अंदर हमारे मानदेय का भुगतान हो जाए.
महिला सुपरवाइजरों को दस माह से नहीं मिला है वेतन: दुमका जिला में समाज कल्याण विभाग में 41 महिला सुपरवाइजर कार्यरत हैं. इन सभी को कई महीनों से वेतन नहीं मिल पाया है. शिकारीपाड़ा प्रखंड की महिला सुपरवाइजर सबीना हेंब्रम और जामा प्रखंड की फूलमनी मरांडी ने बताया कि विगत 10 महीने से हमें वेतन नहीं प्राप्त हुआ है. जिससे हमारी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है. घर चलाना मुश्किल है. बच्चों की फीस तो दूर दवा कैसे खरीदें समझ में नहीं आता. लगभग दो महीने पहले सुपरवाइजरों ने सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक दिन काला बिल्ला लगाकर काम किया था लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने सरकार से जल्द वेतन दिए जाने की मांग की है.
क्या कहती हैं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी: पूरे मामले पर दुमका की जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीता कुजूर (DSWO-District Social Welfare Officer) ने बताया कि उन्हें भी फरवरी माह से वेतन प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि हमलोगों को कुछ माह पहले वेतन और अन्य खर्च के मद में जो राशि अलॉट हुई थी, उसकी कुछ विवरणी पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS-Public Financial Management System) में भरना था, जिसमें कुछ अड़चन आ रही थी. इन अड़चनों का अब तक निबटारा नहीं किया जा सका है. इस वजह से वेतन और मानदेय रुका हुआ है. अनिता कुजूर ने जानकारी दी कि यह स्थिति पूरे राज्य भर की है. वैसे बहुत जल्द सब कुछ ठीक हो जाएगा. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के अनुसार अगर दुमका सहित पूरे झारखंड राज्य में विभाग के कर्मियों-अधिकारियों के वेतन बंद हैं, तो सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.