दुमका: कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन की स्थिति में मजदूर दूसरे राज्यों से काम छोड़कर घर लौट रहे हैं, वहीं दुमका की महिलाएं काम के लिए फिर से पलायन करने को मजबूर हैं. बुधवार को शिकारीपाड़ा की 30 महिलाएं काम के लिए अलीगढ़ रवाना हुई.
पेट की आग को बुझाने के लिए कोरोना संक्रमण के दौर में भी लोग काम की तलाश में पलायन करने को विवश हो रहे हैं. बुधवार को रानीश्वर और शिकारीपाड़ा के पत्ताबाड़ी चौक में यह दृश्य देखने को मिला. जहां से एक बस में सवार होकर 30 महिलाएं अलीगढ़ के लिए रवाना हुईं. ये सभी पहले भी वहां एक फैक्ट्री में कार्यरत थी, जो लॉकडाउन के दौरान वापस अपने घर लौटी थी.
महिलाओं ने बताया कि वे लोग अलीगढ़ स्थित एक फैक्ट्री में काम करती हैं, जहां प्रतिमाह 10 हजार रुपए मिलते हैं. लॉकडाउन के समय वापस घर आए थे, लेकिन इन पांच महीने में कभी भी काम नहीं मिला और न ही कोई सहायता मिली. अब वे फिर से कंपनी के बुलावे पर वापस अलीगढ़ जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि उन्हें अपने क्षेत्र में ही रोजगार मिलता तो इस संक्रमण काल में वापस बाहर काम करने नहीं जाते, लेकिन पेट और परिवार के आगे सब भय दूर हो जाता है.
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क्या कहते हैं एसपी अंबर लकड़ा
अलीगढ़ से मजदूरों के लिए दुमका में बस का आना और 30 महिला मजदूरों को लेकर वापस लेकर रवाना होने की खबर पूरे जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने दुमका एसपी अंबर लकड़ा से बात की. जिसे लेकर उन्होंने बताया कि यह सभी महिलाएं पहले से वहां काम करती रही हैं. यह सभी अलीगढ़ की एक मीट फैक्ट्री में पैकेजिंग का काम करती हैं. वहां से जो बस दुमका आई थी, वह सभी कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए यहां पहुंची थी.