धनबादः 'सूरज सा चमके हम, स्कूल चलें हम' यह स्लोगन हमें फील गुड जरूर कराती है, लेकिन झारखंड में इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है. शहर से सटे उत्क्रमित मध्य विद्यालय ठाकुरकुल्ही में कुल 175 बच्चे अध्ययनरत हैं. लेकिन टीचर की संख्या जानकार आप हैरान हो जाएंगे. इस स्कूल में मात्र एक टीचर है. इससे साफ पता चलता है कि स्कूल में अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था का क्या हाल होगा.
कक्षा एक और दो के बच्चे एक कमरे में बैठते हैं. कक्षा तीन और चार के बच्चों की पढ़ाई के लिए दूसरा कमरा है. दोनों कक्षा के बच्चे एक ही कमरे में बैठ कर पढ़ाई करते है. कक्षा पांच और छह के बच्चों के लिए तीसरा कमरा है, जिसमें दोनों कक्षा के बच्चे पढ़ाई करते हैं. इसी तरह कक्षा सात और आठ के बच्चों के लिए चौथा कमरा है. मतलब चार कमरों में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. ऐसा इसलिए किया गया है कि बच्चों को पढ़ाने नहीं बल्कि संभालने में कठिनाई ना हो.
स्कुल की प्रभारी मीना कुमारी क्लास लगने के बाद हर कमरे में जाकर बच्चों को पढ़ाती हैं. जिस कक्षा में टीचर पढ़ाती हैं, अन्य क्लास के बच्चे अपने मन की करते हैं. क्योंकि उन्हें कोई देखने वाला तक कोई नहीं होता है. प्रभारी टीचर कहती हैं कि कक्षा एक और दो को बच्चों को ज्यादा समय देना पड़ता है. क्योंकि वह छोटे और शरारती हैं. वह कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं. बिना पढाई के बच्चों का भविष्य कैसे ठीक हो सकता है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान वह बच्चों के भविष्य के प्रति काफी चिंतित नजर आयीं. उन्होंने शिक्षा विभाग को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है.
फिलहाल स्कूल में परीक्षा चल रही है. बच्चे प्रश्न पत्र हाथों में लिए पशोपेश में हैं. बच्चे परेशान हैं कि हम परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्रों का आखिर क्या जवाब दें. ईटीवी भारत की टीम कक्षा तीन से आठ तक के कमरे में गई तो हर बच्चे के पास परीक्षा के दौरान किताबें और कॉपियां पड़ी हुई थी. परीक्षा में आए प्रश्नों का जवाब किताबों और घर से लाए कॉपियों को देख कर दे रहे थे. उसमें भी कई बच्चे परेशान नजर आए. क्योंकि उन्हें प्रश्नों के जवाब किताबों में भी नही मिल रहे थे.
वहीं बच्चों ने कहा कि हमारी पढाई ना के बराबर हो रही है. अभी परीक्षा चल रही है. लेकिन हम परीक्षा में क्या लिखें, जब हमें पढ़ाया ही नहीं गया है. जिन सवालों के जवाब नहीं जानते उसके लिए हमें चीटिंग करना पड़ा रहा है. आखिर परीक्षा में पास होना भी जरूरी है. वहीं छत्राओं ने कहा कि पढ़ाई होती नहीं है. क्योंकि यहां टीचर नहीं हैं. ऐसे में हम चीटिंग करने को मजबूर हैं. हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. सरकार हमें टीचर दे ताकि हमारा भी भविष्य संवर सके.