धनबाद: कोरोना से बचाव को लेकर सभी शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन के जरिए बच्चों की पढ़ाई हो रही है. बच्चे ऑनलाइन क्लासेस (Online Classes) मोबाइल, लैपटॉप या फिर कंप्यूटर के जरिए कर रहे हैं. ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को पढ़ाई के लिए लगातार मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर की स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखना पड़ता है, जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके आंखों पर पड़ रहा है.
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अभिभावक रेशमा केशरी कहती हैं, कि मोबाइल पर ऑनलाइन क्लासेस की वजह से बच्चों के ऊपर बुरा असर पड़ रहा है, बच्चे की आंख से पानी आ रहा है, इतने कम उम्र के बच्चों को चश्मे की जरूरत पड़ने लगी है. वो चाहती हैं कि जल्द से जल्द कोरोना खत्म हो, जिसके बाद से बच्चों का रेगुलर ऑफलाइन क्लास शुरू हो सके. अभिभावक रश्मि ने बताया कि बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर वो बेहद चिंतित हैं, उनके बच्चे की आंख खराब होने लगी है. वहीं अनिता बताती हैं कि ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों की ठीक से पढ़ाई भी नहीं हो पाती है और बच्चे की आंखें भी खराब होने लगी है.
स्क्रीन से निलकने वाली ब्लू लाइट बहुत प्रभावशाली
वहीं बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस में आ रही आंखों की समस्या पर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH) के नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ आरके सिन्हा ने बताया कि, स्क्रीन से निलकने वाली ब्लू लाइट बहुत ही प्रभावशाली होती है, आंखों के ऊपर इस लाइट का गहरा असर पड़ता है, मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल करते समय बच्चे पलक झपकाना भूल जाते हैं, जो आंखों के लिए परेशानी का सबब बनता है.
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आंखों को सुरक्षित रखने के लिए दो क्रियाएं बेहद जरूरी
आरके सिन्हा ने बताया कि एक मिनट में 11 से 16 बार पलक झपकाना चाहिए, इस क्रिया से आंख के ऊपर आंसू की पतली लेयर बनी रहती है, आंख पूरी तरह से नहीं सूखती है, 34 सेकेंड में आंख के आंसू खत्म हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि आंखों को सुरक्षित रखने के लिए दो क्रियाओं पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, पहला हर 20 मिनट के बाद लैपटॉप से नजर हटा लेना चाहिए, स्क्रीन से आंखें हटाने के बाद दूर तक देखना चाहिए, भारत में मेडिकल भाषा में इसे सिक्स विजन कहते हैं. जबकि अमेरिका में इसे ट्वेंटी- ट्वेंटी कहते हैं. वहीं दूसरा मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, यदि जरूरी है तो कमरे में पर्याप्त रौशनी की व्यवस्था रखनी चाहिए, बिना रौशनी के मोबाइल इस्तेमाल करने से आंखों के ऊपर बुरा असर पड़ता है.
ऑनलाइन क्लासेस के फायदे
वहीं SNMMCH के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ उदय शंकर सिंह बताते हैं, कि ऑनलाइन क्लासेस से सिर्फ बुरा असर ही आंखों पर नहीं पड़ा है, इसके फायदे भी देखने को मिल रहे हैं, ऑनलाइन क्लासेस से बच्चों में दृष्टि दोष की समस्या जल्द पकड़ में आ रही है, अभी ऑनलाइन पढ़ाई के कारण सिर दर्द की समस्या बच्चों में देखने को मिल रही है, माइपिया की शिकायत कभी-कभी बच्चों में बहुत बाद में पता चलता है, लेकिन समय से इसकी जानकारी मिलने पर उन्हें चश्मे के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है, इससे उनकी आंखें डैमेज नहीं होती है, बाद में मालूम होने पर आंखें तब तक अधिक डैमेज हो जाती है, बड़े होने के बाद अचानक से मालूम होता है, कि बच्चों में मोतियाबिंद की शिकायत है.