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बिंदी के कारण आत्महत्या मामला: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पहुंचे धनबाद, कहा- जांच में शामिल अधिकारी के साथ डीसी भी लापरवाह

छात्रा की आत्महत्या मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो जांच के लिए धनबाद पहुंचे. उन्होंने परिजनों से मिलकर घटना के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त की. इस दौरान आयोग के अध्यक्ष ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते ही जांच पदाधिकारियों को बदलने की बात कही है.

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Child Protection Commission Team Reached Dhanbad
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Published : Jul 15, 2023, 10:17 PM IST

धनबादः स्कूल में छात्रा द्वारा बिंदी लगाए जाने के बाद शिक्षिका की प्रताड़ना से सुसाइड करने के मामले की जांच को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो शनिवार को धनबाद पहुंचे. राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ राज्य बाल आयोग की अध्यक्षा काजल यादव उनकी टीम भी शामिल रहीं. राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के साथ पूरी टीम तेतुलमारी स्थित छात्रा के घर पहुंचे. छात्रा की मां से मिलकर घटनाक्रम की पूरी जानकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम के साथ जिला शिक्षा पदाधिकारी भूतनाथ रजवार, बाघमारा डीएसपी निशा मुर्मू, बीडीओ सुनील कुमार प्रजापति मौके पर मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें-बिंदी के लिए आत्महत्या मामला: डीसी के निर्देश पर बीडीओ ने शुरू की जांच, स्कूल के शिक्षकों से की पूछताछ

आयोग के अध्यक्ष ने परिजनों से ली मामले की जानकारीः राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने सभी से घटना के बारे में जानकारी ली. कई घंटे तक परिजनों से पूछताछ की. इसके बाद इस घटनाक्रम की जांच में शामिल सभी पदाधिकारियों से राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जानकारी ली. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जिला प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली के साथ ही सरकार पर भी सवाल खड़ा किया है. इस जांच में शामिल तमाम पदाधिकारी पर उन्होंने कई आरोप मढ़े हैं. साथ ही जांच अधिकारी बदलवाने की भी बात उन्होंने कही है.

प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवालः मीडिया को जानकारी देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि धनबाद पहुंचने के बाद हमने छात्रा के परिजनों से मुलाकात कर मामले की जानकारी लेना चाहते थे, लेकिन बीडीओ ने हमें गुमराह किया. बीडीओ ने बताया कि छात्रा की मां फिलहाल अपने गांव में घर पर नहीं हैं, जबकि जांच में परिजन घर में ही मौजूद थे. उन्होंने कहा की प्राथमिक जांच-पड़ताल में पुलिस की कई खामियां उजागर हुई है. आरोपियों के अभिरक्षा का आवेदन पुलिस ने न्यायालय में लगाना मुनासिब नहीं समझा. घटना के अगले ही दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्हें पुलिस अभिरक्षा में लेने के लिए न्यायालय को आवेदन नहीं दिया गया.

गैर मान्यता प्राप्त स्कूल के संचालन पर उठाए सवालः राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पीड़ित परिवार अनुसूचित जाति वर्ग का है, लेकिन सरकार ने उन्हें आज तक अनुसूचित जाति होने का प्रमाण नहीं दिया है. इस केस में अनुसूचित जाति निवारण अधिनियम धाराओं के तहत कार्रवाई नहीं की गई है. पुलिस की जांच में घटनास्थल का नक्शा अभी तक तैयार नहीं किया गया है. हाई स्कूल गैर मान्यता प्राप्त है. इसमें डीसी की लापरवाही देखने को मिल रही है. गैर मान्यता प्राप्त स्कूल का संचालन ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर की कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करता है. इस पूरे मामले में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर को बीडीओ के साथ जांच का प्रभार दे दिया गया. यह अपने आप में डीसी की जांच को संदेह के घेरे में डालता है.

बीडीओ ने किया गुमराह, दी गलत जानकारीः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि धनबाद पहुंचने पर बीडीओ ने हमें गुमराह कर बताया गया कि पीड़ित बच्चे के परिजन गांव में नहीं रह रहे हैं. उन्होंने यह गलत जानकारी हमें दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शशांक राज के द्वारा मामले की शिकायत की गई थी. शशांक राज के द्वारा ही यह जानकारी दी गई कि पीड़ित परिवार अपने घर में ही मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि यह गंभीर लापरवाही है.

ये भी पढ़ें-बिंदी के लिए आत्महत्या मामला: झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने की बाल संरक्षण आयोग से जांच की मांग

सरकार से जांच अधिकारी बदलने की करेंगे मांगः उन्होंने कहा कि मैं सरकार से जांच अधिकारी को बदलने की मांग करूंगा. पीड़ित बच्ची के परिजनों को तत्काल अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाला लाभ दिया जाना चाहिए. वहीं मृत छात्रा की मां विधवा हैं, लेकिन उसकी मां की अब तक पेंशन शुरू नहीं हो सकी है. उन्हें जल्द पेंशन का लाभ मिले, इसके लिए सरकार से मांग करेंगे. उनके दो बच्चों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिए भी निर्देश देंगे. विपरीत परिस्थितियों में रहने वाले इस परिवार के पास राशन कार्ड तक नहीं है. इसके लिए भी सरकार को निर्देशित किया जाएगा. यह सभी बातें गंभीर लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रदर्शन करती हैं. पूरे मामले में राज्य सरकार को एक निर्देश जारी करेंगे.

धनबादः स्कूल में छात्रा द्वारा बिंदी लगाए जाने के बाद शिक्षिका की प्रताड़ना से सुसाइड करने के मामले की जांच को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो शनिवार को धनबाद पहुंचे. राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ राज्य बाल आयोग की अध्यक्षा काजल यादव उनकी टीम भी शामिल रहीं. राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष के साथ पूरी टीम तेतुलमारी स्थित छात्रा के घर पहुंचे. छात्रा की मां से मिलकर घटनाक्रम की पूरी जानकारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने ली. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम के साथ जिला शिक्षा पदाधिकारी भूतनाथ रजवार, बाघमारा डीएसपी निशा मुर्मू, बीडीओ सुनील कुमार प्रजापति मौके पर मौजूद रहे.

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आयोग के अध्यक्ष ने परिजनों से ली मामले की जानकारीः राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने सभी से घटना के बारे में जानकारी ली. कई घंटे तक परिजनों से पूछताछ की. इसके बाद इस घटनाक्रम की जांच में शामिल सभी पदाधिकारियों से राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जानकारी ली. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जिला प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली के साथ ही सरकार पर भी सवाल खड़ा किया है. इस जांच में शामिल तमाम पदाधिकारी पर उन्होंने कई आरोप मढ़े हैं. साथ ही जांच अधिकारी बदलवाने की भी बात उन्होंने कही है.

प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवालः मीडिया को जानकारी देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि धनबाद पहुंचने के बाद हमने छात्रा के परिजनों से मुलाकात कर मामले की जानकारी लेना चाहते थे, लेकिन बीडीओ ने हमें गुमराह किया. बीडीओ ने बताया कि छात्रा की मां फिलहाल अपने गांव में घर पर नहीं हैं, जबकि जांच में परिजन घर में ही मौजूद थे. उन्होंने कहा की प्राथमिक जांच-पड़ताल में पुलिस की कई खामियां उजागर हुई है. आरोपियों के अभिरक्षा का आवेदन पुलिस ने न्यायालय में लगाना मुनासिब नहीं समझा. घटना के अगले ही दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्हें पुलिस अभिरक्षा में लेने के लिए न्यायालय को आवेदन नहीं दिया गया.

गैर मान्यता प्राप्त स्कूल के संचालन पर उठाए सवालः राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पीड़ित परिवार अनुसूचित जाति वर्ग का है, लेकिन सरकार ने उन्हें आज तक अनुसूचित जाति होने का प्रमाण नहीं दिया है. इस केस में अनुसूचित जाति निवारण अधिनियम धाराओं के तहत कार्रवाई नहीं की गई है. पुलिस की जांच में घटनास्थल का नक्शा अभी तक तैयार नहीं किया गया है. हाई स्कूल गैर मान्यता प्राप्त है. इसमें डीसी की लापरवाही देखने को मिल रही है. गैर मान्यता प्राप्त स्कूल का संचालन ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर की कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करता है. इस पूरे मामले में ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर को बीडीओ के साथ जांच का प्रभार दे दिया गया. यह अपने आप में डीसी की जांच को संदेह के घेरे में डालता है.

बीडीओ ने किया गुमराह, दी गलत जानकारीः राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि धनबाद पहुंचने पर बीडीओ ने हमें गुमराह कर बताया गया कि पीड़ित बच्चे के परिजन गांव में नहीं रह रहे हैं. उन्होंने यह गलत जानकारी हमें दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शशांक राज के द्वारा मामले की शिकायत की गई थी. शशांक राज के द्वारा ही यह जानकारी दी गई कि पीड़ित परिवार अपने घर में ही मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि यह गंभीर लापरवाही है.

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सरकार से जांच अधिकारी बदलने की करेंगे मांगः उन्होंने कहा कि मैं सरकार से जांच अधिकारी को बदलने की मांग करूंगा. पीड़ित बच्ची के परिजनों को तत्काल अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाला लाभ दिया जाना चाहिए. वहीं मृत छात्रा की मां विधवा हैं, लेकिन उसकी मां की अब तक पेंशन शुरू नहीं हो सकी है. उन्हें जल्द पेंशन का लाभ मिले, इसके लिए सरकार से मांग करेंगे. उनके दो बच्चों को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिए भी निर्देश देंगे. विपरीत परिस्थितियों में रहने वाले इस परिवार के पास राशन कार्ड तक नहीं है. इसके लिए भी सरकार को निर्देशित किया जाएगा. यह सभी बातें गंभीर लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रदर्शन करती हैं. पूरे मामले में राज्य सरकार को एक निर्देश जारी करेंगे.

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