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कोयलांचल में कोयले का काला खेल, आज भी कमाई का मोटा जरिया है कोयला - धनबाद में कोयले की खबरें

कोयला चोरी को लेकर पूरे राज्य में चर्चाओं का बाजार गर्म है. खासकर धनबाद जिले में कोयला तस्करी चरम पर है. कोयला चोरी से अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान सरकार को हर महीने हो रहा है. हर महीने कोयला के अवैध खनन में लोग मर रहे हैं. एक के बाद एक मौत हो रही हैं, उसके बाद भी खुलेआम कोयला चोरी बदस्तूर जारी है.

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कोयले का काला खेल
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Published : Oct 6, 2020, 11:45 AM IST

धनबादः कोयला चोरी राज्य में इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि यह चोरी डकैती के रूप में बदल हो चुकी है. धनबाद में खुलेआम धड़ल्ले से कोयला तस्करी हो रही है और इस पूरे मामले में पुलिस से लेकर नेता तक सभी की एक बड़ी हिस्सेदारी होती है. भले ही राज्य के आलाधिकारी कोयला तस्करी पर रोक लगाने को लेकर दिशा निर्देश जारी करते रहे हों. लेकिन जिला स्तर पर राजनितिक दबाव के आगे सारी प्रशासनिक का पहल धरी की धरी रह जाती है. कई कोयला तस्कर विभिन्न दलों में शामिल होकर कोयला तस्करी को परवान चढाने में लगे हैं. धनबाद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कोयला तस्करी को लेकर लाखों रुपए पुलिस आलाधिकारियों को बतौर पेशगी दी जाती है. जगह-जगह बीसीसीएल और ईसीएल के बंद कोयला खानो से कोयला की अवैध कटाई कराई जाती है. बड़े पैमाने पर महिला पुरूष अवैध कोयला कटाई कर माफियाओं के अड्डे तक कोयला पहुंचते हैं. जहां से इस अवैध कोयले को ट्रकों के जरिए फर्जी कागजातों पर बाहर मंडी में भेजा जाता है.

देखें पूरी खबर

चलती है समानांतर सरकार

धनबाद जिले में कोयला तस्करी चरम पर है. कोयला चोरी से अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान सरकार को हर महीने हो रहा है. हर महीने कोयला के अवैध खनन में लोग मर रहे हैं. एक के बाद एक मौत हो रही हैं, उसके बाद भी खुलेआम कोयला चोरी बदस्तूर जारी है. धनबाद एसएसपी भी मानते हैं कि बीसीसीएल और ईसीएल के अफसर, सभी राजनितिक दलों से जुड़े लोग, खनन महकमा और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों से लेकर अफसरों को इंसान की जान की परवाह नहीं है. सबको अपना हिस्सा चाहिए. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह धंधा कोयला सेक्टर के सामानांतर (पैरलेल) चलती है. भले ही कोल सेक्टर हानि में हो पर इलीगल माइनिंग कभी लॉस में नहीं जाती है यह धंधा हर वक्त फलता-फूलता रहता है.

शिबू सोरेन के प्रलोजल से लगेगी लगाम

झारखंड इंडस्ट्रीज ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष की मानें तो उनका कहना है कि 2004 में जब शिबू सोरेन कोल मिनिस्टर थे तो उन्होंने एक अच्छी प्लान ले कर आई थी कि कैसे इस इलीगल माइनिंग को लीगल माइनिंग में तब्दील किया जाए. उन्होंने कहा था कि अगर एक कॉपरेटिव सोसाइटी बना कर इन मजदूरों से माइनिंग करवाया जाए इन मजदूरों का बीमा करवाया जाए और इनकी ओर से उत्खनन कोयला कॉल इंडिया ले ताकि बिचौलिया खत्म हो और गैरकानूनी माइनिंग का अंत हो जाएगा. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा. पर उस वक्त कई अधिकारी और सफेदपोश नेता को यह बात नागंवार गुजरी. झारखंड इंडस्ट्रीज ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा का कहना है कि अगर सरकार ईमानदारी पूर्वक इसपर अंकुश लगाना चाहती है तो शिबू सोरेन का यह प्रोपजल पर काम करे अविलंब इस पर रोक लग जाएगा.

इसे भी पढ़ें- धनबाद: कांग्रेस का मौन सत्याग्रह, झरिया विधायक ने कहा- लोकतंत्र की आवाज को दबाने का काम कर रही BJP

कई लोग गंवा चुके हैं जान

निरसा में अवैध कोयला खनन में कई लोग जान गंवा चुके हैं. इतना होने पर भी प्रशासन ईसीएल और अन्य स्तर पर अवैध खनन रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. गलफरबाड़ी ओपी में कापासारा आउटसोर्सिंग परियोजना चल रही है. आधी रात के बाद दर्जनों लोगों ने अवैध खनन शुरू किया. इस दौरान चाल धंस गई. तत्काल तीन लोगों की मौत हो गई और इलाके में कोहराम मच गया. लेकिन तुरंत लाशों को गायब किया गया. ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के अधिकारियों ने इस घटना के बाबत अनभिज्ञता जाहिर की. जहां एक ओर लीगल माइनिंग में दुर्घटना के बाद आश्रितों को मुआवजा दी जाती है जबकि अवैध उत्खनन में दुर्घटना होने पर आश्रितों पर मामला दर्ज किया जाता है. इस माइंस में मौत होने के बाद अपने भी अपनों को पहचाने से डरते हैं.

अवैध भट्ठों में खपाया जाता है कोयला

खदानों में रोजाना सैकड़ों लोग अवैध रूप से कोयला निकालते हैं. निरसा से गोविंदपुर तक दर्जनों अवैध भट्ठे हैं. सभी पुलिस कोल कंपनी खनन महकमा एवं राजनेताओं के संरक्षण में चलते हैं. अवैध खनन का कोयला इन्हीं भट्ठों में बेचा जाता है. फिर भट्ठों से वाराणसी से डेहरी ऑन सोन तक कोयला जाता है. अवैध खनन के दौरान मौत हो जाती है तो भट्ठा संचालक प्रभावित परिवार को कुछ देकर और मुकदमा होने का भय दिखाकर खामोश कर देते हैं. इसीएल मुगमा क्षेत्र की कापासारा आउटसोर्सिंग परियोजना में अवैध कोयला उत्खनन में मौत की यह पहली घटना नहीं है. यहां अब तक नौ लोगों की अवैध उत्खनन में मौत हो चुकी है. 23 जनवरी 2019 को चार लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक का शव पुलिस ने बरामद किया था. पिछले साल ही 24 सितंबर को एक महिला की मौत हो गई थी. 22 अक्टूबर को एक की जान गई थी. इस साल 27 जनवरी को तीन लोगों ने दम तोड़ दिया था. इसके बावजूद ना तो जिला प्रशासन ना ही ईसीएल के पदाधिकारी की ओर से अवैध खनन रोकने के लिए ठोस कदम उठाया जा रहा है. कोयला चोरी रोकने के लिए ईसीएल मुख्यालय ने टास्क फोर्स का गठन किया. पिछले साल राजपुरा कोलियरी में टास्क फोर्स पर कोयला चोरों ने पथराव किया था.

धनबादः कोयला चोरी राज्य में इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि यह चोरी डकैती के रूप में बदल हो चुकी है. धनबाद में खुलेआम धड़ल्ले से कोयला तस्करी हो रही है और इस पूरे मामले में पुलिस से लेकर नेता तक सभी की एक बड़ी हिस्सेदारी होती है. भले ही राज्य के आलाधिकारी कोयला तस्करी पर रोक लगाने को लेकर दिशा निर्देश जारी करते रहे हों. लेकिन जिला स्तर पर राजनितिक दबाव के आगे सारी प्रशासनिक का पहल धरी की धरी रह जाती है. कई कोयला तस्कर विभिन्न दलों में शामिल होकर कोयला तस्करी को परवान चढाने में लगे हैं. धनबाद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कोयला तस्करी को लेकर लाखों रुपए पुलिस आलाधिकारियों को बतौर पेशगी दी जाती है. जगह-जगह बीसीसीएल और ईसीएल के बंद कोयला खानो से कोयला की अवैध कटाई कराई जाती है. बड़े पैमाने पर महिला पुरूष अवैध कोयला कटाई कर माफियाओं के अड्डे तक कोयला पहुंचते हैं. जहां से इस अवैध कोयले को ट्रकों के जरिए फर्जी कागजातों पर बाहर मंडी में भेजा जाता है.

देखें पूरी खबर

चलती है समानांतर सरकार

धनबाद जिले में कोयला तस्करी चरम पर है. कोयला चोरी से अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान सरकार को हर महीने हो रहा है. हर महीने कोयला के अवैध खनन में लोग मर रहे हैं. एक के बाद एक मौत हो रही हैं, उसके बाद भी खुलेआम कोयला चोरी बदस्तूर जारी है. धनबाद एसएसपी भी मानते हैं कि बीसीसीएल और ईसीएल के अफसर, सभी राजनितिक दलों से जुड़े लोग, खनन महकमा और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों से लेकर अफसरों को इंसान की जान की परवाह नहीं है. सबको अपना हिस्सा चाहिए. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह धंधा कोयला सेक्टर के सामानांतर (पैरलेल) चलती है. भले ही कोल सेक्टर हानि में हो पर इलीगल माइनिंग कभी लॉस में नहीं जाती है यह धंधा हर वक्त फलता-फूलता रहता है.

शिबू सोरेन के प्रलोजल से लगेगी लगाम

झारखंड इंडस्ट्रीज ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष की मानें तो उनका कहना है कि 2004 में जब शिबू सोरेन कोल मिनिस्टर थे तो उन्होंने एक अच्छी प्लान ले कर आई थी कि कैसे इस इलीगल माइनिंग को लीगल माइनिंग में तब्दील किया जाए. उन्होंने कहा था कि अगर एक कॉपरेटिव सोसाइटी बना कर इन मजदूरों से माइनिंग करवाया जाए इन मजदूरों का बीमा करवाया जाए और इनकी ओर से उत्खनन कोयला कॉल इंडिया ले ताकि बिचौलिया खत्म हो और गैरकानूनी माइनिंग का अंत हो जाएगा. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी नहीं होगा. पर उस वक्त कई अधिकारी और सफेदपोश नेता को यह बात नागंवार गुजरी. झारखंड इंडस्ट्रीज ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा का कहना है कि अगर सरकार ईमानदारी पूर्वक इसपर अंकुश लगाना चाहती है तो शिबू सोरेन का यह प्रोपजल पर काम करे अविलंब इस पर रोक लग जाएगा.

इसे भी पढ़ें- धनबाद: कांग्रेस का मौन सत्याग्रह, झरिया विधायक ने कहा- लोकतंत्र की आवाज को दबाने का काम कर रही BJP

कई लोग गंवा चुके हैं जान

निरसा में अवैध कोयला खनन में कई लोग जान गंवा चुके हैं. इतना होने पर भी प्रशासन ईसीएल और अन्य स्तर पर अवैध खनन रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. गलफरबाड़ी ओपी में कापासारा आउटसोर्सिंग परियोजना चल रही है. आधी रात के बाद दर्जनों लोगों ने अवैध खनन शुरू किया. इस दौरान चाल धंस गई. तत्काल तीन लोगों की मौत हो गई और इलाके में कोहराम मच गया. लेकिन तुरंत लाशों को गायब किया गया. ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के अधिकारियों ने इस घटना के बाबत अनभिज्ञता जाहिर की. जहां एक ओर लीगल माइनिंग में दुर्घटना के बाद आश्रितों को मुआवजा दी जाती है जबकि अवैध उत्खनन में दुर्घटना होने पर आश्रितों पर मामला दर्ज किया जाता है. इस माइंस में मौत होने के बाद अपने भी अपनों को पहचाने से डरते हैं.

अवैध भट्ठों में खपाया जाता है कोयला

खदानों में रोजाना सैकड़ों लोग अवैध रूप से कोयला निकालते हैं. निरसा से गोविंदपुर तक दर्जनों अवैध भट्ठे हैं. सभी पुलिस कोल कंपनी खनन महकमा एवं राजनेताओं के संरक्षण में चलते हैं. अवैध खनन का कोयला इन्हीं भट्ठों में बेचा जाता है. फिर भट्ठों से वाराणसी से डेहरी ऑन सोन तक कोयला जाता है. अवैध खनन के दौरान मौत हो जाती है तो भट्ठा संचालक प्रभावित परिवार को कुछ देकर और मुकदमा होने का भय दिखाकर खामोश कर देते हैं. इसीएल मुगमा क्षेत्र की कापासारा आउटसोर्सिंग परियोजना में अवैध कोयला उत्खनन में मौत की यह पहली घटना नहीं है. यहां अब तक नौ लोगों की अवैध उत्खनन में मौत हो चुकी है. 23 जनवरी 2019 को चार लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक का शव पुलिस ने बरामद किया था. पिछले साल ही 24 सितंबर को एक महिला की मौत हो गई थी. 22 अक्टूबर को एक की जान गई थी. इस साल 27 जनवरी को तीन लोगों ने दम तोड़ दिया था. इसके बावजूद ना तो जिला प्रशासन ना ही ईसीएल के पदाधिकारी की ओर से अवैध खनन रोकने के लिए ठोस कदम उठाया जा रहा है. कोयला चोरी रोकने के लिए ईसीएल मुख्यालय ने टास्क फोर्स का गठन किया. पिछले साल राजपुरा कोलियरी में टास्क फोर्स पर कोयला चोरों ने पथराव किया था.

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