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2019 में PMCH में 813 बच्चों की हुई मौत, अस्पताल प्रबंधक सतर्क - PMCH Jharkhand

राजस्थान और गुजरात के अस्पतालों में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत देशभर में चिंता का विषय बनी हुई है. राजस्थान के कोटा से सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों के मरने की हैरान करने वाली खबरें सुर्खियों में है. धनबाद जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच की हालत भी ठीक नहीं है. पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (पीएमसएच) में एक वर्ष में 813 नवजातों की मौत हो चुकी है.

Hospital manager alert on death of children in PMCH Dhanbad
पीएमसीएच में भर्ती नवजात
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Published : Jan 7, 2020, 11:51 AM IST

धनबाद: देशभर के विभिन्न अस्पतालों में तेजी से हो रहे बच्चों की मौत पर हड़कंप मचा हुआ है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में बच्चों की मौत ना हो इसके लिए अस्पताल अधीक्षक और संबंधित विभाग के एचओडी गंभीर हैं और लगातार बच्चों की वार्ड का जायजा ले रहे हैं.

देखें पूरी खबर

राजस्थान और गुजरात के अस्पतालों में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत देशभर में चिंता का विषय बना हुआ है. धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भी बच्चों की मौत के आकड़े चिंताजनक है. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2019 में कुल 813 नवजात बच्चों की मौत हुई है. अब पीएमसीएच में अस्पताल अधीक्षक और डॉक्टर गंभीर नजर आ रहे हैं. यहां प्रत्येक दिन पीएमसीएच अधीक्षक और संबंधित विभाग के एचओडी अपने संबंधित वार्ड का जायजा ले रहे हैं ताकि यहां भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी ना रहे.

PMCH अस्पताल लाने में देरी से हाेती हैं ज्यादातर मौतें

पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से जब बच्चों की मौत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पीएमसीएच धनबाद में आए नवजात की मौत दूसरों जिलों से आए मरीज बच्चों के कारण ज्यादा होती है. क्योंकि सभी जगह से इलाज कराने के बाद जब बच्चा ठीक नहीं होता है तो आखिरी में परिजन बच्चों को लेकर पीएमसीएच धनबाद पहुंचते हैं. इस अस्पताल में लगभग 100 किलोमीटर दूर-दूर से आते-आते बच्चों की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है. ऐसे में हमारे यहां नवजात बच्चों की मौत का रिकॉर्ड ज्यादा हो जाता है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं. हालांकि जब पीएमसीएच के शिशू विभाग के एनआईसीयू में ईटीवी भारत की टीम गई तो वहां पर एक वार्मर में दो-दो बच्चे को रखा पाया गया. जब पीएमसीएच अधीक्षक से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा बच्चों में इस कारण संक्रमण का खतरा नहीं होता है लेकिन जानकारों के अनुसार यह सही नहीं है. क्योंकि वार्मर में रखे नवजात बच्चों में एक-दूसरे से संक्रमण का बना रहता है.

जरूरत से कम है वॉर्मरों की संख्या

इस पूरे मामले में जब पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि अब पीएमसीएच में लापरवाही की वजह से एक भी नवजात की मौत नहीं होगी. इसके लिए पीएमसीएच प्रबंधन पूरी तरह से सजग है. हालांकि उन्होंने कहा कि यहां पर जितने वार्मर की जरूरत है उतना नहीं है. मात्र 13 वार्मर ही पीएमसीएच में उपलब्ध है. लेकिन इसके बावजूद भी किसी तरह की कोई दिक्कत पीएमसीएच प्रबंधन नहीं होने देगा.

डॉक्टरों ने बताया दूसरे अस्पतालों की तुलना में PMCH बेहतर

इधर पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अविनाश कुमार बताते हैं कि दूसरे अस्पतालों की तुलना में पीएमसीएच की स्थिति बेहतर है. झारखंड में शिशु मृत्यु दर 165 है. राज्य में शिशु मृत्यु दर की मानें तो जन्म के समय प्रति लाख में मात्र 165 नवजात की मौत हो रही है. पहले यह आंकड़ा 200 से ऊपर था. हालांकि सरकारी संस्थाओं की कोशिश से यह आंकड़ा 165 तक आया है. धनबाद में भी इसी के आसपास आंकड़ा का आकलन किया गया है. पीएमसीएच में धनबाद के साथ-साथ गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा के भी नवजात काफी संख्या में आते हैं.

आपको बता दें कि पीएमसीएच अस्पताल पूरे झारखंड का तीसरा और धनबाद का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां पर प्रत्येक दिन लगभग दो हजार से अधिक ओपीडी में मरीज आते हैं. पीएमसीएच में साल 2019 में विभिन्न कारणों से 813 नवजात बच्चों की मौत हुई है. इन आंकड़ों में स्त्री और प्रसव रोग विभाग में प्रसव के दौरान 325 नवजातों की मौत, एसएनसीयू (सिकल नियोनेटल केयर यूनिट) में 58 और एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में 430 नवजात की मौत हुई है. सबसे अधिक नवजात की जान संक्रमण और अंडर वेट के कारण गई है. फिलहाल, अंडर वेट नवजात पीएमसीएच में सबसे ज्यादा आ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- झामुमो विधायक रवींद्र नाथ महतो होंगे विधानसभा के अध्यक्ष, कहा- सभी के सहयोग से चलाएंगे सदन

पिछले साल किस महीने में कितने बच्चों की मौत

महीना भर्ती मौत
जनवरी 385 34
फरवरी 398 26
मार्च 341 37
अप्रैल 330 36
मई 352 36
जून 291 29
जुलाई 290 28
अगस्त 392 26
सितंबर 396 20
अक्टूबर 417 30
नवंबर 389 23

SNCU में नवजातों की मौत का आंकड़ा

महीना भर्ती मौत
जनवरी 35 6
फरवरी 72 8
मार्च 26 4
अप्रैल 34 1
मई 45 1
जून 42 5
जुलाई 52 4
अगस्त 53 4
सितंबर 56 6
अक्टूबर 54 10
नवंबर 29 6
दिसंबर 26 3

NICU में भर्ती बच्चे और उनके मौत का आंकड़ा

महीने भर्ती मौत
जनवरी 160 36
फरवरी 150 36
मार्च 170 37
अप्रैल 165 32
मई 180 38
जून 160 34
जुलाई 175 47
अगस्त 140 26
सितंबर 169 36
अक्टूबर 167 34
नवंबर 150 37
दिसंबर 145 38

बता दें कि पिछले एक वर्ष में प्रसव के दौरान नवजातों की मौत की आंकड़ें में संक्रमण और अंडरवेट की वजह से 60 फीसदी हुई है. वहीं, सांस लेने में तकलीफ से 20 फीसदी और अन्य कारणों से 20 फीसदी मौतें पिछले साल 2019 में हुई हैं.

धनबाद: देशभर के विभिन्न अस्पतालों में तेजी से हो रहे बच्चों की मौत पर हड़कंप मचा हुआ है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में बच्चों की मौत ना हो इसके लिए अस्पताल अधीक्षक और संबंधित विभाग के एचओडी गंभीर हैं और लगातार बच्चों की वार्ड का जायजा ले रहे हैं.

देखें पूरी खबर

राजस्थान और गुजरात के अस्पतालों में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत देशभर में चिंता का विषय बना हुआ है. धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भी बच्चों की मौत के आकड़े चिंताजनक है. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2019 में कुल 813 नवजात बच्चों की मौत हुई है. अब पीएमसीएच में अस्पताल अधीक्षक और डॉक्टर गंभीर नजर आ रहे हैं. यहां प्रत्येक दिन पीएमसीएच अधीक्षक और संबंधित विभाग के एचओडी अपने संबंधित वार्ड का जायजा ले रहे हैं ताकि यहां भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी ना रहे.

PMCH अस्पताल लाने में देरी से हाेती हैं ज्यादातर मौतें

पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से जब बच्चों की मौत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पीएमसीएच धनबाद में आए नवजात की मौत दूसरों जिलों से आए मरीज बच्चों के कारण ज्यादा होती है. क्योंकि सभी जगह से इलाज कराने के बाद जब बच्चा ठीक नहीं होता है तो आखिरी में परिजन बच्चों को लेकर पीएमसीएच धनबाद पहुंचते हैं. इस अस्पताल में लगभग 100 किलोमीटर दूर-दूर से आते-आते बच्चों की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है. ऐसे में हमारे यहां नवजात बच्चों की मौत का रिकॉर्ड ज्यादा हो जाता है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं. हालांकि जब पीएमसीएच के शिशू विभाग के एनआईसीयू में ईटीवी भारत की टीम गई तो वहां पर एक वार्मर में दो-दो बच्चे को रखा पाया गया. जब पीएमसीएच अधीक्षक से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा बच्चों में इस कारण संक्रमण का खतरा नहीं होता है लेकिन जानकारों के अनुसार यह सही नहीं है. क्योंकि वार्मर में रखे नवजात बच्चों में एक-दूसरे से संक्रमण का बना रहता है.

जरूरत से कम है वॉर्मरों की संख्या

इस पूरे मामले में जब पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि अब पीएमसीएच में लापरवाही की वजह से एक भी नवजात की मौत नहीं होगी. इसके लिए पीएमसीएच प्रबंधन पूरी तरह से सजग है. हालांकि उन्होंने कहा कि यहां पर जितने वार्मर की जरूरत है उतना नहीं है. मात्र 13 वार्मर ही पीएमसीएच में उपलब्ध है. लेकिन इसके बावजूद भी किसी तरह की कोई दिक्कत पीएमसीएच प्रबंधन नहीं होने देगा.

डॉक्टरों ने बताया दूसरे अस्पतालों की तुलना में PMCH बेहतर

इधर पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अविनाश कुमार बताते हैं कि दूसरे अस्पतालों की तुलना में पीएमसीएच की स्थिति बेहतर है. झारखंड में शिशु मृत्यु दर 165 है. राज्य में शिशु मृत्यु दर की मानें तो जन्म के समय प्रति लाख में मात्र 165 नवजात की मौत हो रही है. पहले यह आंकड़ा 200 से ऊपर था. हालांकि सरकारी संस्थाओं की कोशिश से यह आंकड़ा 165 तक आया है. धनबाद में भी इसी के आसपास आंकड़ा का आकलन किया गया है. पीएमसीएच में धनबाद के साथ-साथ गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा के भी नवजात काफी संख्या में आते हैं.

आपको बता दें कि पीएमसीएच अस्पताल पूरे झारखंड का तीसरा और धनबाद का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां पर प्रत्येक दिन लगभग दो हजार से अधिक ओपीडी में मरीज आते हैं. पीएमसीएच में साल 2019 में विभिन्न कारणों से 813 नवजात बच्चों की मौत हुई है. इन आंकड़ों में स्त्री और प्रसव रोग विभाग में प्रसव के दौरान 325 नवजातों की मौत, एसएनसीयू (सिकल नियोनेटल केयर यूनिट) में 58 और एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में 430 नवजात की मौत हुई है. सबसे अधिक नवजात की जान संक्रमण और अंडर वेट के कारण गई है. फिलहाल, अंडर वेट नवजात पीएमसीएच में सबसे ज्यादा आ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- झामुमो विधायक रवींद्र नाथ महतो होंगे विधानसभा के अध्यक्ष, कहा- सभी के सहयोग से चलाएंगे सदन

पिछले साल किस महीने में कितने बच्चों की मौत

महीना भर्ती मौत
जनवरी 385 34
फरवरी 398 26
मार्च 341 37
अप्रैल 330 36
मई 352 36
जून 291 29
जुलाई 290 28
अगस्त 392 26
सितंबर 396 20
अक्टूबर 417 30
नवंबर 389 23

SNCU में नवजातों की मौत का आंकड़ा

महीना भर्ती मौत
जनवरी 35 6
फरवरी 72 8
मार्च 26 4
अप्रैल 34 1
मई 45 1
जून 42 5
जुलाई 52 4
अगस्त 53 4
सितंबर 56 6
अक्टूबर 54 10
नवंबर 29 6
दिसंबर 26 3

NICU में भर्ती बच्चे और उनके मौत का आंकड़ा

महीने भर्ती मौत
जनवरी 160 36
फरवरी 150 36
मार्च 170 37
अप्रैल 165 32
मई 180 38
जून 160 34
जुलाई 175 47
अगस्त 140 26
सितंबर 169 36
अक्टूबर 167 34
नवंबर 150 37
दिसंबर 145 38

बता दें कि पिछले एक वर्ष में प्रसव के दौरान नवजातों की मौत की आंकड़ें में संक्रमण और अंडरवेट की वजह से 60 फीसदी हुई है. वहीं, सांस लेने में तकलीफ से 20 फीसदी और अन्य कारणों से 20 फीसदी मौतें पिछले साल 2019 में हुई हैं.

Intro:सर एक बार चेक कर लीजिएगा हमें रैप से खबर लगाने में दिक्कत हो रही है। खासकर पैकेज बनाने में

धनबाद:पूरे देश के कोने कौने से जिस तरह बच्चों की मौत की खबर आ रही है धनबाद जिले का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच धनबाद बच्चों की मौत ना हो इसके लिए यह जान में जुट गया है. यहां पर प्रत्येक दिन पीएमसीएच अधीक्षक और संबंधित विभाग के एचओडी संबंधित विभाग का जायजा ले रहे हैं ताकि यहां भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी ना हो.Body:आपको बता दें कि धनबाद जिले का पीएमसीएच अस्पताल पूरे सूबे का तीसरा और जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है.यहां पर प्रत्येक दिन लगभग दो हजार से अधिक ओपीडी मरीज आते हैं. यहां पर धनबाद जिले के साथ-साथ देवघर,गिरिडीह,जामताड़ा,हजारीबाग,कोडरमा आदि कई जिलों से मरीज पहुंचते हैं जिससे पीएमसीएच अस्पताल प्रबंधन भी लाचार दिखता नजर आता है.

पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से जब बच्चों की मौत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां पर आए नवजात की मौत दूसरों जिलों से आए हुए बच्चों के कारण ज्यादा होती है क्योंकि सभी जगह से हारने के बाद वहां पर बच्चों को पीएमसीएच धनबाद रेफर कर दिया जाता है और लगभग 100 किलोमीटर की दूरी आते-आते बच्चों की स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है. ऐसे में हमारे यहां नवजात बच्चों की मौत का रिकॉर्ड ज्यादा हो जाता है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते.

हालांकि जब बच्चा विभाग के एनआईसीयू में ईटीवी भारत की टीम गई तो वहां पर एक वार्मर में दो-दो बच्चे को रखा पाया गया.जब पीएमसीएच अधीक्षक से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा बच्चों में संक्रमण का इसका खतरा नहीं होता है लेकिन जानकारों के अनुसार यह सही नहीं है क्योंकि एक दूसरे बच्चे के संक्रमण का खतरा वार्मर में दो-दो बच्चे को रखे जाने पर बना रहता है.

आपको बता दें कि पीएमसीएच में बीते साल 2019 में विभिन्न कारणों से 813 नवजात बच्चों की मौत हो गई है. चुकी पीएमसीएच धनबाद जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है यहां पर धनबाद जिले के साथ-साथ कई अन्य जिलों से भी मरीज आते हैं जिस कारण सभी की नजर धनबाद पीएमसीएच पर रहती है.ऐसे में वार्मर में यहां पर एक साथ दो-दो बच्चे को रखा जाना कहां तक उचित है और कारण क्या है इस बात पर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.




Conclusion:हालांकि इस पूरे मामले में जब पीएमसीएच अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यहां पर लापरवाही की वजह से एक भी नवजात की मौत नहीं होगी और पीएमसीएच प्रबंधन पूरी तरह से इसमें सजग है.हालांकि उन्होंने कहा कि यहां पर जितने वार्मर की जरूरत है उतना नहीं है मात्र 13 वार्मर ही पीएमसीएच में उपलब्ध है लेकिन उसके बावजूद भी किसी तरह की कोई पीएमसीएच प्रबंधन नहीं होने देगा.

बाइट- अरुण कुमार चौधरी-पीएमसीएच अधीक्षक
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