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बारिश से खिले किसानों के चेहरे, धान की खेती की शुरू

पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है. बारिश के बाद किसान अपने खेतों में काम पर जुट गए हैं.

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Published : Jul 25, 2019, 10:43 AM IST

खेती करते किसान


धनबाद: मानसून के ठीक से सक्रीय नहीं होने के कारण बारिश कम हुई थी. जिससे इलाके के किसान मायूस थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश से एक बार फिर किसानों के चेहरे खिल गए हैं.

देखें खबर

क्या कह रहे हैं किसान
नक्सल प्रभावित क्षेत्र टुंडी प्रखंड के किसान दिलीप मंडल का कहना है कि दो-तीन दिन से हो रही बारिश ने नई उम्मीद जगा दी है. उनका कहना है कि अब ये ठीक से खेती कर पाएंगे और इनकी मेहनत बर्बाद नहीं जाएगी.
अभी भी हो सकती है मुश्किल
दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के बावजूद किसान खेतों में धान रोपनी कर पाएंगे या नहीं यह कहना मुश्किल है. जिस तरह से मानसून की बेरुखी की खबरें आ रही है वह चिंताजनक है. धान पकने के समय खेतों में फिर बारिश की जरूरत होगी, ऐसे में अगर बारिश ने धोखा दे दिया तो किसानों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी.


धनबाद: मानसून के ठीक से सक्रीय नहीं होने के कारण बारिश कम हुई थी. जिससे इलाके के किसान मायूस थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश से एक बार फिर किसानों के चेहरे खिल गए हैं.

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क्या कह रहे हैं किसान
नक्सल प्रभावित क्षेत्र टुंडी प्रखंड के किसान दिलीप मंडल का कहना है कि दो-तीन दिन से हो रही बारिश ने नई उम्मीद जगा दी है. उनका कहना है कि अब ये ठीक से खेती कर पाएंगे और इनकी मेहनत बर्बाद नहीं जाएगी.
अभी भी हो सकती है मुश्किल
दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के बावजूद किसान खेतों में धान रोपनी कर पाएंगे या नहीं यह कहना मुश्किल है. जिस तरह से मानसून की बेरुखी की खबरें आ रही है वह चिंताजनक है. धान पकने के समय खेतों में फिर बारिश की जरूरत होगी, ऐसे में अगर बारिश ने धोखा दे दिया तो किसानों की सारी मेहनत बेकार हो जाएगी.

Intro:धनबाद: कोयलांचल धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है. लेकिन उसके बाद में धनबाद के ग्रामीण हिस्सो में काफी मात्रा में खेती होती है. कुछ दिनों से मौसम की बेरुखी के बाद किसान मायूस हो गए थे लेकिन लगातार दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के बीच किसान अब गदगद हो गए हैं और खेती में जुट गए हैं.


Body:यह नजारा जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र टुंडी प्रखंड का है. जहां पर किसान खेती में जुटे हुए हैं.किसानों का कहना है कि काफी मात्रा में बिचड़ा धूप से जल गया है जिस कारण सभी खेतों में और रोपनी का काम नहीं होगा. किसानों ने कहा हम लोगों को यह उम्मीद ही नहीं थी कि अब हमारा बीज भी बच पाएगा,लेकिन भगवान की कृपा से बारिश शुरू हो गई है और अब भले ही कम खेती हो लेकिन हमारा बीज के साथ-साथ भी बिचाली भी हो जाएगा जिससे अगले साल हम बीज भी बो सकते हैं और इस साल अपने पशुधन को बिचाली भी खिला सकते हैं जिस कारण हम खेती में जुटे हुए हैं.

गौरतलब है कि धनबाद जिले के टुंडी, बाघमारा, बलियापुर प्रखंड के इलाकों में काफी मात्रा में खेती की जाती है लेकिन इस बार मानसून की बेरुखी के कारण किसानों का बिचड़ा नहीं हो पाया है कुछ लोग बिचड़ा डाल भी नहीं पाए और जिन्होंने बिचड़ा डाला था वह धूप में जल चुके थे. तीन तरह के खेत होते हैं.बाद,कनाली और बहियार अब सिर्फ बहीयार खेतों में अच्छी खेती होने की उम्मीद है क्योकि कुछ निचले हिस्सों के क्षेत्रों का बिचड़ा अभी भी बचा हुआ है और बहियार ( निचले हिस्सों के खेत) खेतों में लोग 2 दिनों की बारिश के बाद धान रोपने का काम कर रहे हैं. कुछ कनाली खेतों में भी रोपनी हो सकती है लेकिन इन खेतों में समय-समय पर बारिश की जरूरत पड़ती है.


Conclusion:अभी भी खेतों में धान रोपने के बाद किसानों की खेती हो पाएगी या नहीं यह कहना मुश्किल ही लग रहा है. क्योंकि जिस तरह से मानसून की बेरुखी सामने आ रही है धान पकने के टाइम फिर से इन्हें खेतों में बारिश की जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में देखना होगा कि इन खेतों में भी आने वाले दिनों में फसल हो पाएगा या नहीं यह तो समय ही बता पाएगा.

बाइट-दिलीप मंडल-किसान
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