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आस्था या अंधविश्वास! यहां नाग देवता लगाते हैं अपना दरबार - झारखंड न्यूज

धनबाद में अंधविश्वास का आस्था आज भी जारी है. गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक शिव मंदिर है जहां एक महिला पर हर सोमवार को नाग देवता विराजते हैं, लोगों का मानना है यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, आनेवाले सभी श्रद्धालुओं का मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

आस्था या अंधविश्वास!
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Published : Mar 5, 2019, 11:24 AM IST

धनबाद: वैसे कहने को तो हम 21वीं सदी के डीजीटल युग में जी रहे हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में अंधविश्वास का दौरा जारी है. धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक शिव मंदिर है जहां अंधविश्वास का नजारा अक्सर देखने को मिलता है.

आस्था या अंधविश्वास!

विज्ञान के इस युग जहां मनुष्य चांद पर जा पहुंचा वहां आज भी हम अंधविश्वास के अंधेरे में विश्वास जमाए बैठे हैं. यह विश्वास करना लोगों के लिए मुश्किल होगा लेकिन कुछ ऐसा ही होता है धनबाद जिले के गोविंदपुर इलाके में, जहां लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग देवता सवार होते हैं और फिर महिला झूमने लगती है.

लोगों की अलग-अलग मान्यताएं
खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ-साथ कुछ मूर्तियां भी हैं. मंदिर में दिमक का एक ढेर है जिसे लोग सांपों का टिल्हा मानते हैं. यहां आनेवाले श्रद्धालु बताते हैं कि भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए थे तबसे नाग देवता उन्हें पकड़ने के लिए आते हैं. हर सोमवार को नाग देवता यहां प्रकट होते हैं, जो लोग लगातार तीन सोमवार नाग देवता का पूजा करने आते हैं उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.
वहीं एक महिला श्रद्धालु बताती हैं कि सोमवार को यहां आने से कई बिमारियां खत्म हो जाती है.
लोग यहां हर सोमवार कई जगहों से अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं, नाग देवता को खुश करने के लिए गीत गाते हैं और खूब झूमते हैं. अब आज के इस युग में इसे अंधविश्वास कहेंगे या आस्था ये एक बड़ा सवाल है.

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धनबाद: वैसे कहने को तो हम 21वीं सदी के डीजीटल युग में जी रहे हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में अंधविश्वास का दौरा जारी है. धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक शिव मंदिर है जहां अंधविश्वास का नजारा अक्सर देखने को मिलता है.

आस्था या अंधविश्वास!

विज्ञान के इस युग जहां मनुष्य चांद पर जा पहुंचा वहां आज भी हम अंधविश्वास के अंधेरे में विश्वास जमाए बैठे हैं. यह विश्वास करना लोगों के लिए मुश्किल होगा लेकिन कुछ ऐसा ही होता है धनबाद जिले के गोविंदपुर इलाके में, जहां लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग देवता सवार होते हैं और फिर महिला झूमने लगती है.

लोगों की अलग-अलग मान्यताएं
खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ-साथ कुछ मूर्तियां भी हैं. मंदिर में दिमक का एक ढेर है जिसे लोग सांपों का टिल्हा मानते हैं. यहां आनेवाले श्रद्धालु बताते हैं कि भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए थे तबसे नाग देवता उन्हें पकड़ने के लिए आते हैं. हर सोमवार को नाग देवता यहां प्रकट होते हैं, जो लोग लगातार तीन सोमवार नाग देवता का पूजा करने आते हैं उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.
वहीं एक महिला श्रद्धालु बताती हैं कि सोमवार को यहां आने से कई बिमारियां खत्म हो जाती है.
लोग यहां हर सोमवार कई जगहों से अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं, नाग देवता को खुश करने के लिए गीत गाते हैं और खूब झूमते हैं. अब आज के इस युग में इसे अंधविश्वास कहेंगे या आस्था ये एक बड़ा सवाल है.

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Intro:धनबाद: वैसे तो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन हमारे देश में आज भी ऐसा कुछ नजारा देखने को मिल जाता है जिस पर आज के विज्ञान के इस युग में भरोसा कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है.ऐसा ही एक नजारा धनबाद जिले के गोविंदपुर इलाके में देखने को मिलता है. जहां पर लगभग तीन-चार वर्षों से एक महिला के ऊपर नाग माता सवार हो जाती हैं और फिर महिला झूमने लगती है.


Body:गौरतलब है कि धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के खिलकनाली गांव में एक छोटा सा शिव मंदिर है. जहां पर शिवलिंग के साथ साथ कुछ मूर्तियां भी हैं और सांपों का एक बड़ा सा टिल्हा(दिमक का ढेर) भी उस जगह मौजूद है. लोग बताते हैं की पूजा के समय कभी-कभी उन टिल्हों से सांप भी निकलता है. वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि सांप निकलते हुए इस गांव के सभी लोगों ने देखा भी है. इसी शिवलिंग के पास प्रत्येक सोमवार को पूजा के समय पूजन करते-करते उस महिला पर नाग माता सवार हो जाती हैं और फिर महिला अपने वस में नहीं होती है वह झूमने लगती है.

यहां पर बहुत दूर-दूर से लोग अपने दुखों और तकलीफों को लेकर इस महिला के पास आते हैं. महिला बगैर उनके तकलीफों को सुने बगैर ही स्वयं उसकी तकलीफों को बता देती है और साथ ही साथ उसका निवारण भी. ऐसा यहां पर आने वाले लोगों ने स्वयं ही बतलाया. लोगों ने कहा कि यहां पर तीन सोमवार को आना पड़ता है और उसके बाद सभी तकलीफ खत्म हो जाती है. कुछ लोगों की तकलीफ खत्म होने से अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है. काफी दूर-दूर से लोग यहां पर अपनी दुखों और तकलीफों को लेकर इस नाग माता के पास आते हैं.


Conclusion:अब सवाल यह उठता है कि सही में नाग माता इस महिला पर सवार होती है या कुछ और कारण है.लेकिन कारण जो कुछ भी हो आज के 21 वी सदी में हम इसे अंधविश्वास ही कह सकते हैं क्योंकि आज का युग विज्ञान का युग है. लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि आज भी आस्था भारी है. लोगों की आस्था के आगे सब कुछ संभव है.

बाइट-श्रद्धालु 1,2
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