देवघर: पोस्टमार्टम का नाम सुनते ही जेहन में एक खौफनाक और डरावना मंजर घूमने लगता है. पोस्टमार्टम हाउस वह जगह है जिसके आसपास भी कोई जाना नहीं चाहता. यहां दिनभर में कई लाशें आती हैं और उनका चीरफाड़ भी किया जाता है. ऐसे में वो शख्स वाकई में सम्मान के काबिल है, जो यहां का सारा कामकाज संभालता है.
चारों तरफ बदबू और सड़न का माहौल होता है. इसी सड़ांध भरे माहौल में पिछले 25 सालों से पोचू बिना रुके और बिना थके लाशों की चीर फाड़ कर डॉक्टरों को मौत की वजह बताने में मदद करता चला आ रहा है. पोचू शराब का सेवन भी नहीं करता है. बावजूद इसके अबतक 20 हजार से भी ज्यादा लाशों का पोस्टमार्टम कर चुका है. मुर्दों के जिस्म को चीरकर उसकी मौत की वजह बताने वाले को आखिरकार एक सुखद अहसास दिलाया गया. देवघर के पोस्टमार्टम मैन को एक मंच से सम्मनित किया गया. जिसके बाद सूबे के मंत्री ने पोचू के पैर भी छुए.
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दरअसल, देवघर के इंडोर स्टेडियम में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जहां, देवघर के विधायक नारायण दास, सूबे के कृषि मंत्री रणधीर सिंह और पूर्व राज्यसभा सांसद जयप्रकाश नारायण सिंह समेत कई लोग मौजूद थे. उसी कार्यक्रम में पोस्टमार्टम मैन पोचू को सम्मानित किया गया. आपको बता दें कि देवघर के पोस्टमार्टम हाउस में सिर्फ एक स्टाफ है. वही लाशों की इंट्री करता है और सफाई के साथ-साथ लाशों का चीरफाड़ भी करता है. डॉक्टरों से कहीं ज्यादा दिक्कत लाशों को चीरफाड़ करने और यहां लाने, ले जाने वालों को होती है.
सड़ी-गली लाशों के बीच ये न सिर्फ रहते हैं. बल्कि उन्हें उठाकर पोस्टमार्टम हाउस के अंदर भी रखते हैं. डॉक्टर्स के देखने से पहले ब्लेड से लाश की चीरफाड़ करते हैं और बाद में लाश को व्यवस्थित भी यही करते हैं. एक के ऊपर एक पड़ी लाशों के बीच चीरफाड़ करने वाले किन हालत से गुजरते हैं. पोचू की मानें तो, बच्चों की चीर फाड़ करते हुए उसका दिल दहल जाता है और कलेजा कांप जाता है. इतना सबकुछ देखने के बाद भी पोचू आज भी अपने काम में जुटा है.