देवघर: कोरोना महामारी को लेकर इस बार श्रवणी मेला का आयोजन नहीं किया गया. इस मेले पर हजारों लोगों का रोजगार टिका हुआ था. मेला नहीं लगने के कारण पेड़ा व्यवसायी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. श्रावणी मेले में पेड़े का व्यवसाय हर साल लगभग 50 करोड़ का होता था, जो इस बार नहीं हो सका. ये व्यवसायी अब अपना पेट पालने के लिए वैकल्पित व्यवस्था में जुट गए हैं.
पेड़ा व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति दयनीय
देवघर में लगभग पांच सौ छोटे-बड़े पेड़ा का स्थायी व्यवसायी है, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूर काम करते हैं, लेकिन कोरोना काल के कारण सरकार ने श्रवणी मेला का आयोजन नहीं कराया, जिससे कई व्यवसायी की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. पेड़ा व्यवसायियों की माने तो जब लॉकडाउन की घोषणा की गई उस समय पेड़ा व्यवसायियों का भारी नुकसान हुआ था, मंगाया गया खोआ बनी बनाई पेड़ा सब खराब हो गया, जिससे लाखों का नुकसान उठाना पड़ा. पेड़ा व्यवसायी अब दूसरे रोजगार की तलाश में लग गए हैं.
भुखमरी के कगार पर पेड़ा व्यवसायी
श्रावणी मेला का नहीं लगने से देवघर आने वाले लाखों श्रद्धालु नहीं पहुंचे, जिससे सारा व्यवसाय ठप हो गया. शहर में कुछ पेड़ा व्यवसायी दुकान तो खोल रहे हैं, लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. दुकानदारों के बोहनी पर भी आफत हो रहा है. पेड़ा व्यवसायी बताते हैं कि पेड़ा व्यवसायी आम मजदूरी और दूसरे लोगों के पास नौकरी कर रहे हैं, कुछ पेड़ा व्यवसायी अब सब्जी बेचने पर मजबूर हैं, क्योंकि व्यवसायी भुखमरी के कगार पर हैं, अब एक अंतिम आस है कि सरकार पेड़ा व्यवसायियों के लिए कुछ आर्थिक पैकेज मुहैया कराए, ताकि पेड़ा व्यवसाय की स्थिति पटरी पर लौट सके.
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सरकार से मदद की उम्मीद
पेड़ा व्यवसायी पेट पालने के लिए रोजगार की तलाश में लगे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके लिए कुछ करेगी. जरूरत है कि सरकार को इन व्यवसायियों की मदद करे, ताकि उनकी जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौट सके.