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देवघर: खतरे में औषधीय प्राकृतिक जल स्रोत का अस्तित्व, ईटीवी की पहल पर होगा संरक्षण - Municipal Administrator Shailendra Kumar Lal

देवघर की महादेवातरी स्थित औषधीय प्राकृतिक जलस्रोत का अस्तित्व खतरे में है. इस प्राकृतिक जलस्रोत से निकलने वाले पानी में कई औषधीय तत्व पाए जाने की बात कही जाती है. लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ये प्राकृतिक झरना अब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गया है. अब ईटीवी की पहल पर नगर निगम की ओर से इसके संरक्षण की चर्चा हो रही है.

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औषधीय प्राकृतिक जल स्रोत
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Published : Feb 12, 2021, 1:16 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 4:18 PM IST

देवघर: शुद्ध पेयजल और मिनरल वाटर के लिए लोग आज हजारों रुपये खर्च करने को तैयार रहते हैं, लेकिन देवघर के हाथी पहाड़ स्थित एक प्राकृतिक झरना है, जहां से लोगों को मुफ्त में मिनरल पानी मिलता रहा है.

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औषधीय तत्वों से भरपूर है प्राकृतिक जलस्रोत

इस प्राकृतिक जलस्रोत से निकलने वाले पानी में कई औषधीय तत्व पाए जाने की बात कही जाती है, जो पेट संबंधित बीमारियों में कारगर होता है. इसी औषधीय गुण और इसमें पाए जाने वाले आवश्यक खनिज तत्व के कारण एक समय में देवघर पहुचने वाले अधिकांश तीर्थयात्री इस झरने का पानी बंगाल, ओडिशा, बिहार सहित कई अन्य राज्यों में ले जाते थे. लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ये प्राकृतिक झरना अब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गया है. कुछ वर्ष पहले इसे संरक्षित रखने के लिए प्रयास भी हुआ था और पानी निकालने के लिए पाइप लगाकर इस जगह का सौंदर्यीकरण भी किया गया था. स्थानीय लोगों के अनुसार बाद में इसकी देख-रेख पर ध्यान नहीं दिए जाने से इसका जलस्रोत ही अवरुद्ध होने लग गया.

बहरहाल, ईटीवी भारत ने जब इस बात की जानकारी नगर निगम के नगर प्रशासक शैलेंद्र कुमार लाल को दी तो उन्होंने विशेषज्ञों की एक दल को उस जगह का आकलन कर जल्द ही इसके जीर्णोद्धार की बात कही.

देवघर: शुद्ध पेयजल और मिनरल वाटर के लिए लोग आज हजारों रुपये खर्च करने को तैयार रहते हैं, लेकिन देवघर के हाथी पहाड़ स्थित एक प्राकृतिक झरना है, जहां से लोगों को मुफ्त में मिनरल पानी मिलता रहा है.

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इस प्राकृतिक जलस्रोत से निकलने वाले पानी में कई औषधीय तत्व पाए जाने की बात कही जाती है, जो पेट संबंधित बीमारियों में कारगर होता है. इसी औषधीय गुण और इसमें पाए जाने वाले आवश्यक खनिज तत्व के कारण एक समय में देवघर पहुचने वाले अधिकांश तीर्थयात्री इस झरने का पानी बंगाल, ओडिशा, बिहार सहित कई अन्य राज्यों में ले जाते थे. लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण ये प्राकृतिक झरना अब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गया है. कुछ वर्ष पहले इसे संरक्षित रखने के लिए प्रयास भी हुआ था और पानी निकालने के लिए पाइप लगाकर इस जगह का सौंदर्यीकरण भी किया गया था. स्थानीय लोगों के अनुसार बाद में इसकी देख-रेख पर ध्यान नहीं दिए जाने से इसका जलस्रोत ही अवरुद्ध होने लग गया.

बहरहाल, ईटीवी भारत ने जब इस बात की जानकारी नगर निगम के नगर प्रशासक शैलेंद्र कुमार लाल को दी तो उन्होंने विशेषज्ञों की एक दल को उस जगह का आकलन कर जल्द ही इसके जीर्णोद्धार की बात कही.

Last Updated : Feb 12, 2021, 4:18 PM IST
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