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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता ने गिनाई समस्या, कहा- विधायक ही हैं प्रॉब्लम

झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 का चुनावी बिगुल बज चुका है. ऐसे में ईटीवी भारत ने चतरा के सिमरिया क्षेत्र की जनता से उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की. इस दौरान मतदाताओं ने कहा कि मौजूदा विधायक गणेश गंझू ने अपने कार्यकाल में कोई विकास नहीं किया है.

सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता ने बताईं समस्याएं
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Published : Nov 11, 2019, 2:31 PM IST

चतरा: झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 का शंखनाद हो चुका है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों के नेता और संभावित प्रत्याशी एक्शन मूड में आ गए हैं. जो कल तक आम थे वह आज खास बनकर खुद को बतौर प्रत्याशी पेश कर रहे हैं. ऐसे में पूरे पांच साल भूमिगत रहने वाले नेता भी आज गली-गली घूमते दिख रहे हैं. प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके विधायक गणेश गंझू ने सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं को कितनी गति दी है. इसको लेकर मौजूदा समस्याओं के साथ जनता ने अपनी बात ईटीवी भारत से साझा की है.

ईटीवी भारत से बात करती सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कहा कि विधायक गणेश गंझू आज खुद समस्या बन गए हैं. उन्हें मतदाताओं ने इस उम्मीद के साथ स्थानीय प्रत्याशी समझकर लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाया था कि वो क्षेत्र का विकास करेंगे. साथ ही आम लोगों के सुख-दुख में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे. विधायक ने अपने कार्यकाल के दौरान आम लोगों की समस्याओं पर न ध्यान दिया और न ही क्षेत्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर कोई काम किया.

ये भी पढ़ें- बहरागोड़ा से कुणाल षाड़ंगी पर बीजेपी ने जताया भरोसा, टिकट मिलने पर पीएम मोदी का किया आभार व्यक्त

मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव
मतदाताओं ने कहा कि कोयलांचल के रूप में विकसित हो चुके सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. क्षेत्र में व्याप्त इन समस्याओं पर न तो सरकार ने ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई. ऐसे में प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी इलाके का समुचित विकास नहीं हो सका. यहां के कोयले से पूरा देश रोशन हो रहा है, लेकिन आज यहां के लोग न सिर्फ ढिबरी युग में जीने को विवश है बल्कि कोयले की धूल की चपेट में आकर हर दिन मौत का सामना भी कर रहे हैं.

बेरोजगार युवा उठा रहे हथियार
मतदाताओं का कहना है कि सरकार ने क्षेत्र के बेरोजगार शिक्षित युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति कोई कदम नहीं उठाया. इसके कारण न सिर्फ युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रही है, बल्कि वो सरकार की बेरुखी के कारण मुख्यधारा से भटककर हथियार उठाने को भी विवश हैं. युवा मतदाताओं ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोल परियोजनाओं का संचालन होने के बाद भी यहां के युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि लापरवाह हैं.

काल बनकर टूट रहे कोल वाहन
मतदाताओं ने कहा है कि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत टंडवा इलाके में कोल परियोजनाओं के खुलने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब इलाके का समुचित विकास होगा. हालांकि परियोजनाओं से होने वाले मुनाफे से क्षेत्र का विकास होना तो दूर यहां संचालित कोलवाहन ही उल्टे आम लोगों के जीवन पर काल बनकर टूट रहे हैं. बीते 5 सालों में करीब 500 मौत होने के बाद भी न तो जनप्रतिनिधियों ने इस ओर अपनी गंभीरता दिखाई और न ही सरकार ने कोई कदम उठाया.

जीरो टॉलरेंस के दावे नहीं हुए सच
युवा मतदाताओं ने कहा है कि प्रदेश की सरकार विकास योजनाओं के क्रियान्वयन और आम लोगों के सहयोग को लेकर जीरो टॉलरेंस के दावे कर रही थी. हालांकि उनके दावों को सरकारी रहनुमा ही चुनौती देने पर तुले हैं. सरकारी विभागों की स्थिति तो यह है कि छोटे-छोटे कामों में भी लोगों को दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है.

चतरा: झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 का शंखनाद हो चुका है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों के नेता और संभावित प्रत्याशी एक्शन मूड में आ गए हैं. जो कल तक आम थे वह आज खास बनकर खुद को बतौर प्रत्याशी पेश कर रहे हैं. ऐसे में पूरे पांच साल भूमिगत रहने वाले नेता भी आज गली-गली घूमते दिख रहे हैं. प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके विधायक गणेश गंझू ने सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं को कितनी गति दी है. इसको लेकर मौजूदा समस्याओं के साथ जनता ने अपनी बात ईटीवी भारत से साझा की है.

ईटीवी भारत से बात करती सिमरिया विधानसभा क्षेत्र की जनता

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कहा कि विधायक गणेश गंझू आज खुद समस्या बन गए हैं. उन्हें मतदाताओं ने इस उम्मीद के साथ स्थानीय प्रत्याशी समझकर लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाया था कि वो क्षेत्र का विकास करेंगे. साथ ही आम लोगों के सुख-दुख में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे. विधायक ने अपने कार्यकाल के दौरान आम लोगों की समस्याओं पर न ध्यान दिया और न ही क्षेत्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर कोई काम किया.

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मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव
मतदाताओं ने कहा कि कोयलांचल के रूप में विकसित हो चुके सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. क्षेत्र में व्याप्त इन समस्याओं पर न तो सरकार ने ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई. ऐसे में प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी इलाके का समुचित विकास नहीं हो सका. यहां के कोयले से पूरा देश रोशन हो रहा है, लेकिन आज यहां के लोग न सिर्फ ढिबरी युग में जीने को विवश है बल्कि कोयले की धूल की चपेट में आकर हर दिन मौत का सामना भी कर रहे हैं.

बेरोजगार युवा उठा रहे हथियार
मतदाताओं का कहना है कि सरकार ने क्षेत्र के बेरोजगार शिक्षित युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति कोई कदम नहीं उठाया. इसके कारण न सिर्फ युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रही है, बल्कि वो सरकार की बेरुखी के कारण मुख्यधारा से भटककर हथियार उठाने को भी विवश हैं. युवा मतदाताओं ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोल परियोजनाओं का संचालन होने के बाद भी यहां के युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि लापरवाह हैं.

काल बनकर टूट रहे कोल वाहन
मतदाताओं ने कहा है कि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत टंडवा इलाके में कोल परियोजनाओं के खुलने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब इलाके का समुचित विकास होगा. हालांकि परियोजनाओं से होने वाले मुनाफे से क्षेत्र का विकास होना तो दूर यहां संचालित कोलवाहन ही उल्टे आम लोगों के जीवन पर काल बनकर टूट रहे हैं. बीते 5 सालों में करीब 500 मौत होने के बाद भी न तो जनप्रतिनिधियों ने इस ओर अपनी गंभीरता दिखाई और न ही सरकार ने कोई कदम उठाया.

जीरो टॉलरेंस के दावे नहीं हुए सच
युवा मतदाताओं ने कहा है कि प्रदेश की सरकार विकास योजनाओं के क्रियान्वयन और आम लोगों के सहयोग को लेकर जीरो टॉलरेंस के दावे कर रही थी. हालांकि उनके दावों को सरकारी रहनुमा ही चुनौती देने पर तुले हैं. सरकारी विभागों की स्थिति तो यह है कि छोटे-छोटे कामों में भी लोगों को दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है.

Intro:चतरा : प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव के तिथियों की घोषणा के बाद जहां राजनीतिक पार्टियों के नेता व उसके प्रत्याशी इलाके में जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को रिझाने में जुट गए हैं। वहीं अपने मतों से सरकार व प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करने वाले मतदाता भी चौक-चौराहों पर राजनीति चर्चा में जुट गए हैं। विगत पांच वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश की भाजपा सरकार व उसके विधायक गणेश गंझू ने सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं को कितनी गति दी है और विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में वे कितने सफल हुए हैं यह जानने का प्रयास ईटीवी भारत की टीम ने किया है। मतदाताओं ने भी ईटीवी भारत के मंच पर दिल खोलकर अपनी बात रखी है। वन 2 वन, सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से।


Body:खुद समस्या बन गए विधायक क्या करेंगे जनता के परेशानियों का समाधान ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कहा है कि विधायक गणेश गंझू आज खुद समस्या बन गए हैं। उन्हें मतदाताओं ने इस उम्मीद के साथ स्थानीय प्रत्याशी समझकर लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाया था वे क्षेत्र का विकास करेंगे। साथ ही आम लोगों के सुख-दुख में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगा। लेकिन विधायक जी ने चुनाव जीतते ही न सिर्फ पाला बदल कर निजी स्वार्थ साधने के चक्कर में भाजपा का दामन थाम लिया। बल्कि विगत पांच वर्षों तक क्षेत्र से भी दूर रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान दिया और ना ही क्षेत्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर। ऐसे में चुनाव का बिगुल बजते ही वे फिर से भाजपा का टिकट हासिल कर चुनाव जीतने की फिराक में जुट गए हैं जो इस बार सफल नहीं होगा। मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव मतदाताओं ने कहा है कि कोयलांचल के रूप में विकसित हो चूके सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। क्षेत्र में व्याप्त इन समस्याओं पर न तो सरकार ने ध्यान दिया और ना ही जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई। ऐसे में प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी इलाके का समुचित विकास नहीं हो सका। यहां के कोयले से पूरा देश रोशन हो रहा है लेकिन आज यहां के लोग न सिर्फ ढिबरी युग में जीने को विवश है बल्कि कोयले के धूल के चपेट में आकर जिंदगी और मौत का सामना भी कर रहे हैं। संपदाओं से भरे इस विधानसभा में न तो समुचित स्वास्थ्य की व्यवस्था है और नहीं सड़क की। बाईपास की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कोल वाहनों से आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती है। लोग दूसरों की प्यास बुझाने के चक्कर में अपनी जान गवा रहे हैं। रोजगार कि नहीं है व्यवस्था, व्यवसाय पर भी पड़ रहा प्रतिकूल असर मतदाताओं ने कहा है कि सरकार के द्वारा क्षेत्र के बेरोजगार शिक्षित युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति कोई कदम नहीं उठाया गया है। जिसके कारण न सिर्फ युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं बल्कि वे सरकार की बेरुखी के कारण मुख्यधारा से भटक कर हथियार उठाने को भी विवश है। युवा मतदाताओं ने कहा है कि विधानसभा क्षेत्र में वृहत पैमाने पर कॉल परियोजनाओं का संचालन होने के बाद भी यहां के युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि लापरवाह है। काल बनकर टूट रहे कोल वाहन मतदाताओं ने कहा है कि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत टंडवा इलाके में कोल परियोजनाओं के खुलने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब इलाके का समुचित विकास होगा। लेकिन परियोजनाओं से होने वाले मुनाफे से क्षेत्र का विकास होना तो दूर यहां संचालित कोलवाहन ही उल्टे आम लोगों के जीवन पर काल बनकर टूट रही है। विगत 5 वर्षों में करीब 500 मौतें होने के बाद भी न तो जनप्रतिनिधियों ने इस ओर अपनी गंभीरता दिखाई और ना ही सरकार ने। जीरो टोलरेंस के दावे नही हुए सच युवा मतदाताओं ने कहा है कि प्रदेश की सरकार विकास योजनाओं के क्रियान्वयन व आम लोगों के सहयोग को लेकर जीरो टोलरेंस के दावे कर रही थी। लेकिन उनके दावों को सरकारी रहनुमा ही चुनौती देने पर तुले हैं। सरकारी विभागों की स्थिति तो यह है कि छोटे-छोटे कामों में भी लोगों को दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। बावजूद चढ़ावा नहीं चढ़ाने पर उनकी समस्याओं का निदान नहीं होता है। इतना ही नहीं सरकारी कार्यालयों में व्याप्त लालफीताशाही रवैये का विरोध करने पर लोगों को गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं।


Conclusion:बहरहाल अब देखना दिलचस्प होगा कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहे आम लोगों के समस्याओं का समाधान नवगठित सरकार और उसके सहयोगी भी कर पाते हैं या नहीं। चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले नए विधायक लोगों के उम्मीदों पर खरा उतरते हैं या फिर पूर्व के विधायकों की तरह ही वह भी घोषणाओं मात्र में सिमट कर रह जाते हैं।
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