चतरा: झारखंड में विधानसभा चुनाव 2019 का शंखनाद हो चुका है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों के नेता और संभावित प्रत्याशी एक्शन मूड में आ गए हैं. जो कल तक आम थे वह आज खास बनकर खुद को बतौर प्रत्याशी पेश कर रहे हैं. ऐसे में पूरे पांच साल भूमिगत रहने वाले नेता भी आज गली-गली घूमते दिख रहे हैं. प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके विधायक गणेश गंझू ने सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं को कितनी गति दी है. इसको लेकर मौजूदा समस्याओं के साथ जनता ने अपनी बात ईटीवी भारत से साझा की है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए सिमरिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने कहा कि विधायक गणेश गंझू आज खुद समस्या बन गए हैं. उन्हें मतदाताओं ने इस उम्मीद के साथ स्थानीय प्रत्याशी समझकर लोकतंत्र के मंदिर में पहुंचाया था कि वो क्षेत्र का विकास करेंगे. साथ ही आम लोगों के सुख-दुख में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे. विधायक ने अपने कार्यकाल के दौरान आम लोगों की समस्याओं पर न ध्यान दिया और न ही क्षेत्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर कोई काम किया.
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मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव
मतदाताओं ने कहा कि कोयलांचल के रूप में विकसित हो चुके सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. क्षेत्र में व्याप्त इन समस्याओं पर न तो सरकार ने ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई. ऐसे में प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी इलाके का समुचित विकास नहीं हो सका. यहां के कोयले से पूरा देश रोशन हो रहा है, लेकिन आज यहां के लोग न सिर्फ ढिबरी युग में जीने को विवश है बल्कि कोयले की धूल की चपेट में आकर हर दिन मौत का सामना भी कर रहे हैं.
बेरोजगार युवा उठा रहे हथियार
मतदाताओं का कहना है कि सरकार ने क्षेत्र के बेरोजगार शिक्षित युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति कोई कदम नहीं उठाया. इसके कारण न सिर्फ युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रही है, बल्कि वो सरकार की बेरुखी के कारण मुख्यधारा से भटककर हथियार उठाने को भी विवश हैं. युवा मतदाताओं ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोल परियोजनाओं का संचालन होने के बाद भी यहां के युवकों को रोजगार से जोड़ने के प्रति सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि लापरवाह हैं.
काल बनकर टूट रहे कोल वाहन
मतदाताओं ने कहा है कि सिमरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत टंडवा इलाके में कोल परियोजनाओं के खुलने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब इलाके का समुचित विकास होगा. हालांकि परियोजनाओं से होने वाले मुनाफे से क्षेत्र का विकास होना तो दूर यहां संचालित कोलवाहन ही उल्टे आम लोगों के जीवन पर काल बनकर टूट रहे हैं. बीते 5 सालों में करीब 500 मौत होने के बाद भी न तो जनप्रतिनिधियों ने इस ओर अपनी गंभीरता दिखाई और न ही सरकार ने कोई कदम उठाया.
जीरो टॉलरेंस के दावे नहीं हुए सच
युवा मतदाताओं ने कहा है कि प्रदेश की सरकार विकास योजनाओं के क्रियान्वयन और आम लोगों के सहयोग को लेकर जीरो टॉलरेंस के दावे कर रही थी. हालांकि उनके दावों को सरकारी रहनुमा ही चुनौती देने पर तुले हैं. सरकारी विभागों की स्थिति तो यह है कि छोटे-छोटे कामों में भी लोगों को दर्जनों बार कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है.