चतरा: विषम परिस्थितियों में भी बैंकों से कर्ज लेकर आत्मनिर्भर बनने की चाहत रखने वाले किसानों की परेशानी इन दिनों बढ़ी हुई है. विगत कई सालों से आकाल की मार झेल रहें किसानों के दुग्ध उत्पादक बनने की चाहत ने आज उन्हें कर्ज के बोझ तले जीने को विवश कर दिया है.
ऐसा नहीं है कि उन्हें दूध उत्पादन के व्यवसाय में घाटा हो रहा है. वृहत पैमाने पर दूध का उत्पादन होने के बाद भी कलेक्शन और ट्रांसपोर्टिंग की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी मेहनत ना सिर्फ जाया हो रही बल्कि उनके समक्ष बैंकों का कर्ज भी लौटाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. जिससे दुग्ध उत्पादक बने किसान परेशान हैं.
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90 प्रतिशत अनुदान दर पर मिला था गाय
चतरा के मयूरहंड प्रखंड अंतर्गत पंदनी और बेलखोरी पंचायत समेत अन्य पंचायतों में बीपीएल परिवारों को गव्य विकास विभाग ने साल 2017 में 90 प्रतिशत अनुदान दर पर दुधारू गाय दिया गया था ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके और वे आत्मनिर्भर बन सकें. इतना ही नहीं उनकी सहूलियत के लिए विभिन्न इलाकों में दूध संग्रह केंद्र खोल दिया गया. दूध उत्पादकों को उनके मेहनत और लागत के अनुरूप दूध की सही कीमत मिल सके इसे लेकर सरकार ने मेधा डेयरी से एमओयू भी कर लिया. जिससे घर बैठे किसानों को ना सिर्फ उनके मेहनत का फल मिल सके, बल्कि दूध का भी ट्रांसपोर्टिंग हो सके.
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मेधा ने दूध लेने से किया इंकार
जिसके बाद उत्पादकों ने मेधा डेयरी को दूध देना शुरू कर दिया था, लेकिन मेधा डेयरी किसानों को अच्छी रकम नहीं दे रहा था. इसी बीच निभा डेयरी का आगमन प्रखंड में हुआ, जो ना सिर्फ मेधा डेयरी के अनुरूप किसानों को ज्यादा पैसे देने लगी बल्कि इनके आने से उन्हें सुविधाएं भी ज्यादा मयस्सर होने लगी. प्रखंड के महुवाय, अमझर, सालेय और एकतारा में निभा डेयरी का दूध संग्रह केंद्र खोला गया. ये सिलसिला करीब आठ महीने तक ठीक चला, लेकिन विगत 31 अक्टूबर तक दूध लेने के बाद एक नवंबर से निभा डेयरी ने दूध लेने से मना कर दिया. निभा डेयरी के दूध लेने से इंकार करने के बाद दूध उत्पादक पुनः दूध विक्रेता मेधा डेयरी के संपर्क में आए और दूध संग्रह केंद्र खोलने की मांग की, लेकिन मेधा डेयरी ने दूध संग्रह केंद्र में दूध लेने से इंकार कर दिया. ऐसे में अब दूध उत्पादकों को दूध बेचने में काफी मेहनत करनी पड़ रही है. ज्यादा समस्या उनको हो रही है, जो इसी से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते है.
जिला गव्य विकास विभाग दुग्ध उत्पादकों की समस्या को गंभीरता से जरूर ले रहा है, लेकिन उसके रहनुमा सरकार और डेयरी के बीच हुए एमओयू का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं. जिला गव्य तकनीकी सहायक अरविंद कुमार ने कहा कि वे इस मामले में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन किसानों की लिखित शिकायत मिलती है तो विभाग को उनकी समस्याओं से जरूर अवगत कराया जाएगा. उन्होंने मीडिया को मेधा डेयरी से भी बात कर किसानों को सहयोग उपलब्ध कराने की बात कही है.