चतराः जिले के सरकारी विभागों में आए दिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. अभी पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल (पीएचईडी) विभाग में शौचालय निर्माण में करोड़ों रुपए के गबन का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि इसी कड़ी में एक और मामला जुड़ गया है. इस बार चतरा पीएचईडी विभाग में 14 लाख रुपए खर्च कर जलमीनार निर्माण में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में (Irregularity In Construction Of Water Tower) आया है.
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पहले करवाया निर्माण, फिर खुद ही गिरवा दिया जलमीनारः जानकारी के अनुसार पहले विभाग ने 14 लाख रुपए खर्च कर जलमीनार का निर्माण करवाया, फिर खुद ही उसे गिरवा दिया. यह बात आपको सुनने में अटपटा सा अवश्य लगा होगा, पर यह बात हम नहीं, बल्कि पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अविक अंबाला ने खुद स्वीकार किया है. अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि सरकारी राशि खर्च कर जब जलमीनार का निर्माण कराया गया, तो उसे फिर उसे गिराने की क्या नौबत आन पड़ी. वहीं एक सुलगता सवाल यह भी है कि जब जलमीनार को विभाग ने खुद ही गिरवाया, तो फिर आनन-फानन में ध्वस्त जलमीनार के मलबे को रातोंरात हटवाकर पुनः काम क्यों शुरू करवाना पड़ा.
जानें क्या है पूरा मामलाः पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल चतरा द्वारा सदर प्रखंड के लोवागड़ा गांव में 14 लाख रुपए की लागत से 16 हजार लीटर क्षमता का बनाया गया जलमीनार पहला ट्रायल भी नहीं झेल पाया. ट्रायल के दौरान जलमीनार में पानी भरने के बाद देखते ही देखते जलमीनार ताश की पत्तों की तरह जमीन पर बिखर (During Trial Water Tower Razed Within Minutes) गई. जलमीनार गिरने से कई ग्रामीण बाल-बाल बच गए. समय रहते घटना पर मौजूद लोग खुद को नहीं संभालते, तो बड़ी घटना होने से इंकार नही किया जा सकता था.
ट्रायल के दौरान ही ध्वस्त हुई जलमीनारः ग्रामीणों के अनुसार हजारीबाग की कंपनी के संवेदक के द्वारा एक सप्ताह पूर्व ही जलमीनार का कार्य पूर्ण कराया गया था. दो दिन पूर्व 13 दिसंबर को ट्रायल के लिए जलमीनार में पानी चढ़ाया गया. जलमीनार में पानी भरने के बाद जलमीनार से पानी का तेज रिसाव होने लगा. जिसके बाद जलमीनार एक तरफ धीरे-धीरे झुकने लगी और देखते ही देखते पूरी जलमीनार मलबे में तब्दील हो गई.
2500 जलमीनार का निर्माण कराया जाना हैः गौरतलब है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार जल जीवन मिशन योजना के तहत प्रत्येक घरों में नल से जल पहुंचाने के उद्देश्य को लेकर जिले के 12 प्रखंडों में 2500 जलमीनार का निर्माण कराया जाना है. कई गांव में जलमीनार बनाने का काम चल रहा है. कहीं-कहीं योजना का काम पूरा हो गया है. सभी जलमीनार 16 हजार लीटर क्षमता की है. सभी जलमीनार का निर्माण 14 लाख रुपए की लागत से होना है.
पहले चरण में 2.13 लाख घरों में दिया जाएगा पानी का कनेक्शनः योजना के तहत पहले चरण में 2 लाख 13 हजार घरों में नल का कनेक्शन कर घर तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन विभाग द्वारा ऐसे जलमीनार का निर्माण कराया जा रहा है, जो शुरू होने के पहले ही धराशाई हो जा रही हैं. ऐसे में योजना का लाभ लोगों तक पहुंचेगा या नहीं यह यक्ष सवाल बन गया है. जलमीनार धराशाई होने के बाद कार्रवाई से बचने के लिए विभागीय अधिकारी के इशारे पर कार्य एजेंसी के संवेदक ने फिर से नई जलमीनार बनाने की कवायद शुरू कर दी है.
जलमीनार के मलबे को रातोंरात हटाया गयाः संवेदक के द्वारा धराशाई हुई जलमीनार के मलबे को जेसीबी लगाकर रातों-रात हटाया गया है, ताकि साक्ष्य को छुपाया जा सके. इसके बाद संवेदक पुरानी जलमीनार के बगल में ही नई जलमीनार बनाने के लिए नींव की खुदाई करवा रहा है. इस पूरे मामले में पीएचडी विभाग समेत जिले के कोई भी अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं
विभागीय आदेश पर जलमीनार को गिराया गयाः कार्यपालक अभियंता ने कहा कि राज कंस्ट्रक्शन कंपनी को दो यूनिट काम आवंटित किया गया है. लोवागड़ा में ट्रायल के दौरान जलमीनार से पानी का तेज रिसाव हो रहा था. जिसके कारण संवेदक ने विभागीय आदेश पर जलमीनार को गिरा दिया है. अब वहां फिर से नया जलमीनार बनाया जा रहा है.
डीसी ने जांच का निर्देश दियाः बहरहाल पीएचईडी विभाग ने संवेदक को जलमीनार गिराने का आदेश दिया था, तो इसके पूर्व ग्रामीणों को नोटिस के माध्यम से सूचना क्यों नही दी गई, यह जांच का विषय है. जबकि इस पूरे मामले में उपायुक्त अबु इमरान ने मामले में जांच के आदेश दे दिया है. उपायुक्त ने फोन पर बताया कि जलमीनार धराशाई होने की सूचना उन्हें प्राप्त हुई है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद संवेदक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.