चतरा: कोरोना वायरस महामारी को लेकर देशभर में लॉकडाउन-5 लागू है, जिसे अनलॉक 01 भी कहा गया है. चतरा जिले में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण की गई तालाबंदी, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की तिकड़ी ने जिले के किसानों की कमर तोड़ दी है. जिले के जो किसान सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं, इस समय दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. पहला यह कि वे बाहर की मंडियों में जाकर सब्जियां नहीं बेच पा रहे हैं और दूसरा बारिश और ओलावृष्टि ने सब्जियों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
किसान बताते हैं कि इस वक्त जो वे सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं उसका सही से दाम नहीं मिल रहा है. लॉकडाउन की वजह से जिले से बाहर सब्जी मंडियों में वे सब्जियों को नहीं ले जा पा रहे हैं.
इसके कारण सब्जियों को औने-पौने दाम पर स्थानीय बाजार में बेचना पड़ रहा है. किसान बताते हैं कि जिस फसल को वे 50 से 60 रुपए किलो बाहर के बाजारों में बेचते हैं उसकी कीमत इस वक्त स्थानीय बाजार में 10 रुपए किलो है.
इसके बावजूद सभी नहीं बिक रही है. किसानों ने बताया कि वे बड़े पैमाने पर सब्जी का उत्पादन करते हैं. इस वक्त खेतों में टमाटर, प्याज, खीरा, कद्दू शिमला मिर्च, बैगन के अलावा और कई तरह की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं.
इसके पहले उन्होंने मटर की खेती की थी जिसमें भरपूर फायदा हुआ था. बाजार में अच्छी कीमत मिलने से अच्छा मुनाफा भी हुआ था.
मगर अभी लॉकडाउन की वजह से सब्जी मंडी बंद हो जाने के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों ने कहा कि सब्जी उत्पादन करने से स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मिलता था, मगर अभी सब कुछ थम गया है.
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सब्जी उत्पादन के लिए जो पूंजी लगाई है, उस पूंजी को भी नहीं निकाल पा रहे हैं. सब्जियों में कीड़े लग रहे हैं. ऐसे में किसान जिला प्रशासन और राज्य के मुख्यमंत्री से यह मांग करते हैं कि उचित मुआवजा दें, ताकि अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.
इधर ईटीवी भारत ने किसानों की समस्या को लेकर जब स्थानीय विधायक किशुनदास से बात की तो उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि और बारिश के कारण सब्जी उत्पादकों को काफी नुकसान हुआ है. इसका सर्वे कराकर इसकी रिपोर्ट कृषि मंत्री को दी गई है. उन्होंने कहा कि प्रयास होगा कि किसानों को उचित मुआवजा दिला सकें.