चतरा: जिले में मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के परिजनों ने सुरक्षाबलों की टीम पर गंभीर आरोप लगाया है. परिजनों ने एनकाउंटर को फर्जी बताया है. उनका कहना है कि पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने पकड़कर गोली मारी है. वहीं, डीजीपी अजय कुमार सिंह ने कहा कि परिजनों के आरोप कतई सही नहीं हैं. अगर कोई सबूत है तो सामने लेकर आएं .
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चतरा एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए मारे गए नक्सलियों के परिजनों ने कहा है कि वो मानवाधिकार में जाएंगे. परिजनों का साफ कहना है कि वे लोग सरेंडर करने चतरा आए थे. प्रशासन ने फर्जी एनकाउंटर क्यों किया. इसकी जांच होनी चाहिए. हमें न्याय चाहिए. वहीं परिजनों का कहना है कि सही में एनकाउंटर होता तो दोनों ओर से गोलियां चलती. उन्हें सरेंडर करने के बाद गोली मारी गई है.
वहीं डीजीपी अजय कुमार सिंह ने सारे आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि जो हुआ वह सब के सामने है. प्रमाण भी सामने है. परिजनों के आरोप निरर्थक हैं. उसमें सच्चाई नहीं है. डीजीपी अजय कुमार सिंह ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा है कि झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी बेहतर है, इसका फायदा उठाएं. नक्सली मुख्यधारा में लौटें. नक्सलवाद की राह पर चलने ले उन्हें कोई फायदा नहीं होगा.
बता दें कि चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र के चतरा-पलामू बॉर्डर पर नौडीहा जंगल में सोमवार की सुबह पुलिस और भाकपा माओवादी के बीच मुठभेड़ हुई थी. जिसमें 5 टॉप नक्सली मारे गए. मारे गए नक्सलियों में दो 25-25 लाख रुपए के इनामी थे। इसमें सैक मेंबर सुरेश पासवान उर्फ गौतम पासवान उर्फ बड़का दा और अजीत उरांव उर्फ चार्लीस का नाम शामिल है. इनके अलावा जो तीन नक्सली मारे गए हैं, वो हैं सब जोनल कमांडर अजय यादव उर्फ नंदू, अमर गंझू उर्फ अमन और संजीत भुइयां. गौतम पासवान और अजीत माओवादियों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स थे. अजीत माओवादियों के लिए इम्प्रोवाइज मिसाइल बना रहा था. गौतम पासवान माओवादियों का सुप्रीम कमांडर था. इन दोनों नक्सलियों की मौत से माओवादियों को बड़ा झटका लगा है.