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दिल्ली की नौकरी छोड़ गांव पहुंचा असरार, आज बहुतों को दे रहा रोजगार

चतरा का असरार अंसारी कई बेरोजगारों के लिए मिसाल बना हुआ है. असरार ने दिल्ली की नौकरी छोड़कर गांव में ही सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने का काम शुरू कर रोजगार का एक आयाम दिया है. जिससे गांव के बेरोजगार लोग आसानी से 10-12 हजार रुपए कमा लेते है.

Chatra youth quit job provided employment to the unemployed villagers
कारीगर
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Published : Jan 30, 2020, 3:52 PM IST

चतरा: इन दिनों घोर नक्सल प्रभावित चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल के फतहा गांव के असरार अंसारी ने एक मिसाल कायम की है. असरार अंसारी ने गांव के बेरोजगार युवा और महिलाओं को रोजगार देकर बेरोजगारी को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं और इनकी सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने के काम की तारीफ प्रदेश के कई जिलों में हो रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इनके बनाए सामानों की राज्य के कई जिलों में मांग हो रही है. असरार अंसारी ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देकर मिसाल पेश करते हुए सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने का काम शुरू कर रोजगार का एक आयाम दिया है. ऐसे में अगर इन होनहार युवाओं को सरकारी मदद मिल जाए तो इनका यह हुनर उद्योग का रूप धारण कर सकता है, क्योंकि यहां के दर्जनों बेरोजगार युवक अपनी कारीगरी से प्रदेश के कई जिलों के बाजारो में रौनक बढ़ाने में जुटे हैं.

ये भी देखें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले आरपीएन सिंह, कहा- पार्टी की प्रायोरिटी लिस्ट में किसानों की ऋण माफी

पूर्व में भी इस गांव के कारीगर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाकर अपनी कारीगरी का लोहा मनवा चुके हैं. असरार अंसारी दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने का प्रयास किया और खुद का गांव में ही एक गारमेंट बना लिया. असरार अंसारी का उद्देश्य था कि गांव के अन्य बेरोजगारों को इस व्यवसाय से जोड़कर गांव का पहचान दिलाई जाए.

इस योजना को अमलीजामा पहनाने में थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन उन्होंने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया. इस रोजगार से जुड़े लोगों में काफी खुशी है. काम कर रहे लोगों का कहना है कि रोजगार के लिए गांव से बाहर जाकर दर-दर की ठोकरें खाना पड़ता था, लेकिन गांव में ही इस तरह का काम मिल जाना, यह बेहद खुशी की बात है.

Chatra youth quit job provided employment to the unemployed villagers
दुकान

ये भी देखें- पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, बड़कागांव केस में मिली जमानत

कारीगरों का कहना है कि बड़े व्यवसायियों की तरह अगर सरकार दरियादिली दिखा कर कारीगरों को थोड़ी मदद कर दे तो उनका यह व्यवसाय लघु उद्योग का रूप धारण कर सकता है. जब ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय अंचलाधिकारी को कारीगरों की समस्या से अवगत कराया तो अंचल प्रशासन ने भी बेरोजगार कारीगरों की नीतियों की सराहना की. उन्होंने आश्वस्त किया कि बड़े शहरों को छोड़कर अपने छोटे से गांव में इस तरह का काम शुरू करने वाले बेरोजगार कारीगरों को प्रशासन हर संभव मदद करेगी.

चतरा: इन दिनों घोर नक्सल प्रभावित चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल के फतहा गांव के असरार अंसारी ने एक मिसाल कायम की है. असरार अंसारी ने गांव के बेरोजगार युवा और महिलाओं को रोजगार देकर बेरोजगारी को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं और इनकी सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने के काम की तारीफ प्रदेश के कई जिलों में हो रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इनके बनाए सामानों की राज्य के कई जिलों में मांग हो रही है. असरार अंसारी ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देकर मिसाल पेश करते हुए सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने का काम शुरू कर रोजगार का एक आयाम दिया है. ऐसे में अगर इन होनहार युवाओं को सरकारी मदद मिल जाए तो इनका यह हुनर उद्योग का रूप धारण कर सकता है, क्योंकि यहां के दर्जनों बेरोजगार युवक अपनी कारीगरी से प्रदेश के कई जिलों के बाजारो में रौनक बढ़ाने में जुटे हैं.

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पूर्व में भी इस गांव के कारीगर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाकर अपनी कारीगरी का लोहा मनवा चुके हैं. असरार अंसारी दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने का प्रयास किया और खुद का गांव में ही एक गारमेंट बना लिया. असरार अंसारी का उद्देश्य था कि गांव के अन्य बेरोजगारों को इस व्यवसाय से जोड़कर गांव का पहचान दिलाई जाए.

इस योजना को अमलीजामा पहनाने में थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन उन्होंने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया. इस रोजगार से जुड़े लोगों में काफी खुशी है. काम कर रहे लोगों का कहना है कि रोजगार के लिए गांव से बाहर जाकर दर-दर की ठोकरें खाना पड़ता था, लेकिन गांव में ही इस तरह का काम मिल जाना, यह बेहद खुशी की बात है.

Chatra youth quit job provided employment to the unemployed villagers
दुकान

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कारीगरों का कहना है कि बड़े व्यवसायियों की तरह अगर सरकार दरियादिली दिखा कर कारीगरों को थोड़ी मदद कर दे तो उनका यह व्यवसाय लघु उद्योग का रूप धारण कर सकता है. जब ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय अंचलाधिकारी को कारीगरों की समस्या से अवगत कराया तो अंचल प्रशासन ने भी बेरोजगार कारीगरों की नीतियों की सराहना की. उन्होंने आश्वस्त किया कि बड़े शहरों को छोड़कर अपने छोटे से गांव में इस तरह का काम शुरू करने वाले बेरोजगार कारीगरों को प्रशासन हर संभव मदद करेगी.

Intro:चतरा: दिल्ली में नौकरी छोड़कर, गांव में ही बेरोजगार लोगों को दिया रोजगार

चतरा: इन दिनों घोर नक्सल प्रभावित चतरा जिले के सिमरिया अनुमंडल के फतहा गांव के असरार अंसारी ने एक मिसाल कायम की है। असरार अंसारी गांव के बेरोजगार युवा और महिलाओं को रोजगार देकर बेरोजगारी को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं और इनकी सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने के काम की तारीफ प्रदेश के कई जिलों में हो रही है। इनके बनाए सामानों की राज्य के कई जिलों में मांग हो रही है। असरार अंसारी ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देकर मिसाल पेश करते हुए सलवार, पटियाला, लेगीज हिजाब और कुर्ती बनाने का काम शुरू कर रोजगार का एक आयाम दिया है। ऐसे में अगर इन होनहार युवाओं को सरकारी मदद मिल जाए तो इनका यह हुनर उद्योग का रूप धारण कर सकता है। क्योंकि यहां के दर्जनों बेरोजगार युवक अपनी कारीगरी से प्रदेश के कई जिलों के बाजारो में रौनक बढ़ाने में जुटे हैं।

1.बाइट: कारीगर
2.बाइट: कारीगर
3.बाइट: गारमेंट के मालिक, असरार अंसारी
4.बाइट: अंचलाधिकारी, छूटेश्वर दासBody:पूर्व में भी इस गांव के कारीगर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाकर अपनी कारीगरी का लोहा मनवा चुके हैं। असरार अंसारी दिल्ली में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने का प्रयास किया और खुद का गांव में ही एक गारमेंट बना लिया। असरार अंसारी का उद्देश्य था कि गांव के अन्य बेरोजगारों को इस व्यवसाय से जोड़कर गांव का पहचान दिलाई जाए। इस योजना का अमलीजामा पहनाने में थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन उन्होंने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया। इस रोजगार से जुड़े लोगों में काफी खुशी है। काम कर रहे लोगों का कहना है कि रोजगार के लिए गांव से बाहर जाकर दर-दर की ठोकरें खाना पड़ता था, लेकिन गांव में ही इस तरह का काम मिल जाना यह बेहद खुशी की बात है। कारीगरों का कहना है कि बड़े व्यवसायियों की तरह अगर सरकार दरियादिली दिखा कर कारीगरों को थोड़ी मदद कर दे तो उनका यह व्यवसाय लघु उद्योग का रूप धारण कर सकता है। Conclusion:जब ईटीवी भारत की टीम के द्वारा स्थानीय अंचलाधिकारी को कारीगरों की समस्या से अवगत कराने के बाद अंचल प्रशासन ने भी बेरोजगार कारीगरों की नीतियों की सराहना की। उन्होंने आश्वस्त किया कि बड़े शहरों को छोड़कर अपने छोटे से गांव में इस तरह का काम शुरू करने वाले बेरोजगार कारीगरों को प्रशासन हर संभव मदद करेगा।

मोहम्मद अरबाज ईटीवी भारत चतरा
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