दुमका: उपराजधानी में पिछले वर्ष काफी कम बारिश हुई थी. इसका सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि इस वर्ष जिले में गंभीर जलसंकट की स्थिति है. वहीं दुसरी ओर दुमका में पिछले पांच वर्षों में सरकार के अलग-अलग विभाग भूमि संरक्षण, मतस्य, मनरेगा से गांवों में लगभग चार सौ तालाब बने, लेकिन आज अधिकांश तालाब पुरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं. इस जलसंकट से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है.
किसानों को हो रही है परेशानी
इस जलसंकट की स्थिति से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है. उनका कहना है अभी खेत में धान का बीज डालने का समय है, लेकिन खेत मे पानी नहीं है, सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बीज बोने में दिक्कत हो रही है.
क्या कहते हैं पर्यावरणविद
इस संबंध में पर्यावरणविद दुमका के एसकेएम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा का कहना है कि जलवायु में लगातार परिवर्तन हो रहा है और तापमान लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में मनुष्य को सचेत होने की जरूरत है, अगर पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हुए तो और भी ज्यादा जलसंकट सामने आ सकता है.