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दुमका में गहराया जल संकट, इस साल कैसे होगी फसल की पैदावार?

दुमका के किसानों के लिए आज सबसे बड़ी समस्या पानी की समस्या है. उनका कहना है कि अभी धान की खेती के लिए बीज बोने का समय है, लेकिन हर जगह पानी की समस्या है, इस हालत में धान की खेती कैसे होगी.

दुमका में गहराया जल संकट
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Published : Jun 13, 2019, 4:47 AM IST

Updated : Jun 18, 2019, 10:58 AM IST

दुमका: उपराजधानी में पिछले वर्ष काफी कम बारिश हुई थी. इसका सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि इस वर्ष जिले में गंभीर जलसंकट की स्थिति है. वहीं दुसरी ओर दुमका में पिछले पांच वर्षों में सरकार के अलग-अलग विभाग भूमि संरक्षण, मतस्य, मनरेगा से गांवों में लगभग चार सौ तालाब बने, लेकिन आज अधिकांश तालाब पुरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं. इस जलसंकट से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है.

देखें पूरी खबर

किसानों को हो रही है परेशानी
इस जलसंकट की स्थिति से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है. उनका कहना है अभी खेत में धान का बीज डालने का समय है, लेकिन खेत मे पानी नहीं है, सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बीज बोने में दिक्कत हो रही है.

क्या कहते हैं पर्यावरणविद
इस संबंध में पर्यावरणविद दुमका के एसकेएम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा का कहना है कि जलवायु में लगातार परिवर्तन हो रहा है और तापमान लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में मनुष्य को सचेत होने की जरूरत है, अगर पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हुए तो और भी ज्यादा जलसंकट सामने आ सकता है.

दुमका: उपराजधानी में पिछले वर्ष काफी कम बारिश हुई थी. इसका सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि इस वर्ष जिले में गंभीर जलसंकट की स्थिति है. वहीं दुसरी ओर दुमका में पिछले पांच वर्षों में सरकार के अलग-अलग विभाग भूमि संरक्षण, मतस्य, मनरेगा से गांवों में लगभग चार सौ तालाब बने, लेकिन आज अधिकांश तालाब पुरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं. इस जलसंकट से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है.

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किसानों को हो रही है परेशानी
इस जलसंकट की स्थिति से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है. उनका कहना है अभी खेत में धान का बीज डालने का समय है, लेकिन खेत मे पानी नहीं है, सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बीज बोने में दिक्कत हो रही है.

क्या कहते हैं पर्यावरणविद
इस संबंध में पर्यावरणविद दुमका के एसकेएम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा का कहना है कि जलवायु में लगातार परिवर्तन हो रहा है और तापमान लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में मनुष्य को सचेत होने की जरूरत है, अगर पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हुए तो और भी ज्यादा जलसंकट सामने आ सकता है.

Intro:दुमका - दुमका में पिछले वर्ष काफी कम बारिश हुई थी इसका सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि इस वर्ष जिले में गम्भीर जलसंकट की स्थिति है । वहीं दुसरी ओर दुमका में पिछले पांच वर्षों में सरकार के अलग अलग विभाग भूमि संरक्षण, मतस्य , मनरेगा से गांवों में लगभग चार सौ तालाब बने लेकिन आज अधिकांश तालाब पुरी तरह से सूखे पड़े हुए हैं । इस जलसंकट से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है ।


Body:किसानों को हो रही है परेशानी ।
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इस जलसंकट की स्थिति से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है । उनका कहना है अभी हमारा खेत ने धान का बीज डालने का समय है लेकिन खेत मे पानी नहीं है , सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से बीज नहीं डाल पाते ।
बाईट --अनन्त कुमार, किसान
बाईट - रंजीत मांझी , किसान


Conclusion:क्या कहते हैं पर्यावरणविद ।
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इस संबंध में पर्यावरणविद दुमका के एसकेएम यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा का कहना है कि जलवायु में लगातार परिवर्तन हो रहा है और तापमान लगातार बढ़ रहा है । ऐसे में मनुष्य को सचेत होने की जरूरत है । अगर पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हुए तो और भी ज्यादा जलसंकट सामने आ सकता है ।

बाईट - डॉ मनोरंजन प्रसाद सिन्हा , कुलपति, एसकेएम यूनिवर्सिटी , दुमका ।

सर , यह खबर रेडी टू एयर पैकेज फॉर्मेट में भेजे हैं ।
Last Updated : Jun 18, 2019, 10:58 AM IST
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