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पेंशन नहीं मिलने पर झारखंड हाईकोर्ट सख्त, कहा- दान नहीं कर्मचारियों का है हक

झारखंड हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को 10 साल से पेंशन का लाभ नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई है

झारखंड हाईकोर्ट
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Published : Feb 19, 2019, 9:32 AM IST

Updated : Feb 19, 2019, 5:53 PM IST

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी कर्मचारियों को 10 साल से पेंशन का लाभ नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि पेंशन कोई रिटायर्ड कर्मचारियों का अधिकार है. इस मामले में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.


राज्य में सेवानिवृत्ति होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों को वर्षों तक पेंशन के लिए भटकने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब मांगा है कोर्ट में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें 3 हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है.

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ब्रजकिशोर की याचिका पर हुई सुनवाई
न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में सोमवार को ब्रजकिशोर की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि पेंशन सेवानिवृत्ति कर्मचारियों का अधिकार है ना की दान. सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए. कोर्ट ने सचिव से पूछा कि पेंशन कर्मियों को पेंशन देने में इतनी देरी क्यों हो जाती है, क्या इसके लिए राज्य सरकार के जिला स्तर पर पेंशन सेल है जिस पर सचिव के द्वारा सकारात्मक जवाब पेश नहीं किए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

मुख्य सचिव को कोर्ट में जवाब पेश करने के आदेश
मामले में सुनवाई के दौरान सचिव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के पास अभी जिले स्तर पर पेंशन सेल नहीं है. लेकिन वह इसके लिए कोशिश कर रहे हैं कि जल्दी ही इस सेल को बना लिया जाए. मामले में ब्रज किशोर तिवारी के अधिवक्ता मनोज टंडन ने विरोध किया जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कोर्ट में जवाब पेश करने को आदेश दिया है.

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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी कर्मचारियों को 10 साल से पेंशन का लाभ नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि पेंशन कोई रिटायर्ड कर्मचारियों का अधिकार है. इस मामले में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.


राज्य में सेवानिवृत्ति होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों को वर्षों तक पेंशन के लिए भटकने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब मांगा है कोर्ट में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें 3 हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है.

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ब्रजकिशोर की याचिका पर हुई सुनवाई
न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में सोमवार को ब्रजकिशोर की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि पेंशन सेवानिवृत्ति कर्मचारियों का अधिकार है ना की दान. सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए. कोर्ट ने सचिव से पूछा कि पेंशन कर्मियों को पेंशन देने में इतनी देरी क्यों हो जाती है, क्या इसके लिए राज्य सरकार के जिला स्तर पर पेंशन सेल है जिस पर सचिव के द्वारा सकारात्मक जवाब पेश नहीं किए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.

मुख्य सचिव को कोर्ट में जवाब पेश करने के आदेश
मामले में सुनवाई के दौरान सचिव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के पास अभी जिले स्तर पर पेंशन सेल नहीं है. लेकिन वह इसके लिए कोशिश कर रहे हैं कि जल्दी ही इस सेल को बना लिया जाए. मामले में ब्रज किशोर तिवारी के अधिवक्ता मनोज टंडन ने विरोध किया जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कोर्ट में जवाब पेश करने को आदेश दिया है.

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Intro:बाइट-- मनोज टंडन अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट प्रार्थी


राज में सेवानिवृत्ति होने वाले कर्मचारियों और सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशन नहीं मिलने वाले कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों को सेवा निर्मित के बाद वर्षों तक पेंशन के लिए भटकने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब मांगा है कोर्ट में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें 3 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है


Body:झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सेन की अदालत में सोमवार को ब्रजकिशोर की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि पेंशन सेवानिवृत्ति कर्मचारियों का अधिकार है ना की दान। सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए ।कोर्ट ने सचिव से पूछा कि पेंशन कर्मियों को पेंशन देने में इतनी देरी क्यों हो जाती है क्या इसके लिए राज्य सरकार के जिला स्तर पर पेंशन सेल है जिस पर सचिव के द्वारा सकारात्मक जवाब पेश नहीं किए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव और कार्मिक विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए 3 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी कोर्ट ने सरकार को अपनी जवाब में यह बताने को कहा है कि कर्मचारी सेवानिवृत्ति होने के बाद वर्षो भटकते हैं। पेंशन के लिए कर्मचारी को कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाना पड़ता है इसके लिए सरकार का कोई व्यवस्था है या नहीं इस पर स्पष्ट जवाब पेश करने के लिए कहा है कोर्ट ने सरकार को कहा है कि सरकारी ऐसी व्यवस्था करें ताकि कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ के बाद पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ के लिए कहीं भटकना ना पड़े


Conclusion:आपको बता दें कि पश्चिम सिंहभूम के बंदगांव बीडीओ कार्यालय से जूनियर इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए ब्रज किशोर तिवारी ने सेवा निर्मित लाभ और पेंशन के लिए याचिका दायर की है उस याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में कोर्ट ने ग्रामीण विभाग के सचिव अविनाश कुमार को कोर्ट में हाजिरी होकर जवाब पेश करने को कहा था। उसी आदेश के आलोक में आज कोर्ट में हाजिर हुए उनके जवाब पर कोर्ट आसंतुष्ट जताते हुए मुख्य सचिव को पार्टी बनाकर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है ब्रज किशोर तिवारी ने याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया कि व्वे 31 मार्च 2007 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त के बाद 10 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा पेंशन और सेवानिवृत्त लाभ के लिए भटकने के बाद आखिरकार उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर करना पड़ा ।हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद सेवानिवृत्त लाभ मिला लेकिन पेंशन अभी तक चालू नहीं किया गया ।जिस पर कोर्ट ने विभाग के सचिव को कोर्ट में हाजिर होने को कहा उसी आदेश पर विभाग के सचिव हाजिर हुए।सचिव ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के पास अभी जिले स्तर पर पेंशन सेल नहीं है लेकिन हम लोग इसके लिए कोशिश कर रहे हैं शीघ्र बन जाएगा ब्रज किशोर तिवारी के अधिवक्ता मनोज टंडन ने विरोध किया जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को कोर्ट में जवाब पेश करने को आदेश दिया है
Last Updated : Feb 19, 2019, 5:53 PM IST
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