रांची: मोराबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर महागठबंधन ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीटों को लेकर घोषणा कर दी है. जिसे लेकर राज्य की राजनीतिक सरगर्मी काफी तेज हो गई है. एक तरफ आरजेडी ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है तो वहीं, लेफ्ट पार्टियों ने भी सीट नहीं मिलने पर दुख जताया है.
आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस सर्वाधिक 7 सीट, जेएमएम 4 सीट, जेवीएम 2 सीट और राजद को 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी. सीट शेयरिंग में वाम दल के सीपीआई को बाहर कर दिया गया है. जिसको लेकर सीपीआई सहित वाम दल के अन्य नेताओ ने कांग्रेस के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह से कांग्रेस अपने जिद पर अड़ी हुई है, और हजारीबाग सीट नहीं छोड़ रही है. उससे यह मालूम पड़ता है कि कांग्रेस की यह जिद भाजपा को मजबूत करने की साजिश है.
लेफ्ट का कहना है कि हजारीबाग सीट पर सीपीआई प्रत्याशी भुवनेश्वर मेहता ने अपना दावा ठोका था, जो जीत के प्रबल दावेदार भी हैं. लेकिन आज सीट शेयरिंग की घोषणा के बाद हजारीबाग की सीट कांग्रेस के खाते में गई है, जो निश्चित रूप से महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएगी.
वाम दल कर सकती है तीसरे मोर्चे की पहल
सीपीआई के प्रवक्ता अजय कुमार सिंह का कहना है कि महागठबंधन में सीपीआई को स्थान नहीं मिलने के बाद अब वह हर लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार खड़ा करेंगे और एक तरह से तीसरे मोर्चे की पहल करते हुए चुनावी मैदान में उतरेंगे.
वहीं, भाकपा माले के नेता जनार्दन प्रसाद ने कहा है कि कांग्रेस के जिद ने कहीं ना कहीं महागठबंधन को काफी कमजोर कर दिया है. अगर आज कांग्रेस अपने स्वार्थ को नहीं देखती तो शायद वाम दलों की मदद से महागठबंधन आने वाले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करता और झारखंड में भाजपा को मात देता.
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने भी वाम दल को महागठबंधन में जोड़ने की जिम्मेदारी कांग्रेस पर दे रखी है. लेकिन कांग्रेस 7 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है. ऐसे में वाम दल महागठबंधन से बाहर हो गया है जिसकी नाराजगी वाम दल के नेताओं में देखने को मिल रही है.