रांची: झारखंड में लोकसभा के 7 सीटों में से 6 सीटों पर कांग्रेस की हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जेपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार और प्रभारी आरपीएन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने समेत सभी कमेटियों को भंग करने की मांग की है.
पूर्व महासचिव विनय सिन्हा दीपू ने शनिवार को मांग की है कि इस हार की जिम्मेवारी झारखंड कांग्रेस के उच्च पद पर आसीन नेताओं को लेनी चाहिए और केंद्रीय नेतृत्व से मांग की है कि सभी कमिटी को भंग करना चाहिए. वहीं, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महानगर पदाधिकारी एम मोईन ने जेपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार और प्रभारी आरपीएन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि निकाय चुनाव के समय से ही पैसों का खेल शुरू किया गया था और इस लोकसभा चुनाव में भी टिकट देने के नाम पर पैसों का खेल इनके द्वारा किया गया है.
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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने जेपीसीसी अध्यक्ष की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल के मुद्दे को लेकर कहा है कि अजय कुमार से पहले भी अध्यक्ष पद पर रहे सुखदेव भगत के समय में कांग्रेस का खाता झारखंड में नहीं खुला था. ऐसे में इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक सीट पर जीत हासिल की है. जो उपलब्ध ही कही जाएगी. हालांकि उन्होंने कहा है कि आलाकमान इसको लेकर समीक्षा कर रही हैं और संगठन की मजबूती के लिए कार्यकर्ताओं की भावना को ध्यान में रखते हुए जो भी परिवर्तन की जरूरत होगी वह की जाएगी .
वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि इस हार से पार्टी को सबक लेने की जरूरत है और जिन जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी दी गई थी. उनसे कहां चूक हुई है. उसके सुधार के लिए भी कार्य किए जाएंगे. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व समीक्षा कर रही है. उसी तरह झारखंड प्रदेश कांग्रेस में भी समीक्षा की जाएगी और चूक के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही भविष्य में उन्हें उन जिम्मेदारियों से दूर रखा जाएगा.
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झारखंड के 14 लोकसभा सीट में 7 सीटों पर खड़ी महागठबंधन की सबसे बड़ी विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को 6 सीटों पर मिली करारी हार के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या झारखंड प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्वकर्ता इस बड़ी हार के जिम्मेवार है. खासकर जेपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार के झारखंड प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षता की कमान संभालने के बाद से ही पार्टी दो फाड़ हो गई थी. ऐसे में क्या इस हार की सबसे बड़ी वजह पार्टी में गुटबाजी है और क्या आलाकमान इस मुद्दे पर कार्रवाई करेगी.
वर्ष 2017 के नवंबर महीने में अजय कुमार ने झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान संभाली थी. जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस दो फाड़ हो गई थी और लगातार इसका विरोध भी जमकर हुआ था. साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन नहीं हो पाया. जिस पर सवाल भी खड़े हुए.ऐसे में कांग्रेस कमेटी का गठन नहीं किए जाने पर भी पार्टी के बड़े नेताओं में नाराजगी जताई थी. ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर भी जेपीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार पर सवाल उठने लगे हैं.